Ladakh:चीन की करतूत पर बड़ा खुलासा, भारतीय जवानों पर किया microwave weapon से हमला-रिपोर्ट
नई दिल्ली- ठंड बढ़ती जा रही है। लद्दाख के कई इलाके भारी बर्फबारी की चपेट में आ चुके हैं, लेकिन भारतीय सेना और चीन की पीएलए वास्तविक नियंत्रिण रेखा की दोनों ओर अपने-अपने मोर्चे पर डटी हुई हैं। अभी तक दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडरों और कूटनीतिक स्तर पर कई दौर की हुई बातचीत का जमीन पर कोई असर नहीं दिखा है। इस बीच एक रिपोर्ट आई है कि चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी ने पूर्वी लद्दाख में दो रणनीतिक चोटियों पर मौजूद भारतीय जवानों को वहां से पीछे धकलने के लिए 'माइक्रोवेव वेपन' का इस्तेमाल किया था।
यूके की अखबार दी टाइम्स ने पूर्वी लद्दाख में चीन की पीएलए की खौफनाक हरकत का खुलासा करते हुए बताया है कि भारत की ओर रणनीतिक तौर पर बेहद अहम दो चोटियों पर तैनात भारतीय जवानों पर उसने माइक्रोवव वेपन से हमला किया था। रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा इसलिए किया गया, ताकि पहाड़ की समारिक महत्त्व की चोटियां 'माइक्रोवेव ओवन' में तब्दील हो जाएं, जिससे मजबूर भारतीय सैनिकों को पीछे हटना पड़े और बिना कोई जंग लड़े चीन के सैनिक उन पोजिशनों पर फिर से कब्जा कर लें। ये रिपोर्ट बीजिंग स्थित रेन्मिन यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल रिलेशन्स के प्रोफेसर जिन कैनरॉन्ग के दावों पर आधारित है। प्रोफेसर ने एक लेक्चर के दौरान दावा किया है कि इससे पीएलए को बिना कोई हथियार दागे तनाव वाली जगह पर भारतीय जवानों से निपटने में मदद मिली। उन्होंने कहा, 'कहा जाता है कि 29 अगस्त को माइक्रोवेव हमला किया गया था।'
en.people.cn की फरवरी, 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन माइक्रोवेव रडार टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा था, ताकि नॉन-लीदल वेपन सिस्टम बना सके। उसमें सू सरनेम वाले चीफ प्रोजेक्ट इंजीनियर के हवाले से बताया गया था कि माइक्रोवेव ऐक्टिव डिनायल सिस्टिम कैसे टारगेट पर मिलीमीटर माइक्रोवेव्स दागता है। इसके चलते टारगेट को काफी तकलीफ होती है। यही नहीं, 2008 के न्यू साइंटिस्ट रिपोर्ट में भी बताया गया था कि माइक्रोवेव्स कैसे शरीर के टिशू को जलाने लगते हैं।
यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है, जब यह खबरें आई हैं कि सैन्य और कूटनीतिक स्तर की बातचीत से भारत और चीन के बीच विवाद को सुलझाने के लिए सहमति बन गई, जिसके तहत पैंगोंग झील से डिसएंगेजमेंट शुरू होना है। हालांकि, इसपर अभी आधिकारिक मुहर नहीं लगी है। जानकारी के तहत चीन की सेना पहले पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे के फिंगर 8 से पीछे हटेगी, जबकि, भारतीय जवान अप्रैल/मई से पहले वाली स्थितियों में लौटेंगे। इसके बाद देपसांग में डिसएंगेजमेंट शुरू होने से पहले दोनों देश पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर यह प्रक्रिया शुरू करेंगे। हालांकि, चीन की सरकारी एजेंडा मीडिया ने इस तरह के किसी भी समझौते से इनकार किया है।
गौरतलब है कि इस साल जब चीन ने पूरी दुनिया को कोरोना वायरस की गिरफ्त में झोंक दिया था, तभी उसने पूर्वी लद्दाख में भारतीय इलाके पर कब्जे की साजिश रची थी। लेकिन, भारतीय सेना की मुस्तैदी ने चीन का मंसूबा नाकाम कर दिया था। इसके चलते ऐसे दो-तीन मौके आए जब दोनों देशों की सेना आपस में भिड़ गई। लेकिन, जबसे भारत ने सभी रणनीतिक चोटियों को अपने कब्जे में ले लिया है, चीन अभी तक भारत के वार से संभलने के तरीके ढूंढ रहा है।
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