Ladakh:आर्मी को चुनना है इनमें से एक कंपनी के बख्तरबंद वाहन, जानिए स्वदेशी कौन है
नई दिल्ली- ऊंचे पहाड़ों पर तैनात अपने जवानों की सुरक्षा के लिए भारतीय सेना इस वक्त मोबाइल आर्मर्ड प्रोटेक्शन व्हीकल्स की तलाश में है। खासकर पूर्वी लद्दाख जैसे दुर्गम पहाड़ी इलाकों में सैनिकों के मूवमेंट के लिए इस तरह के बख्तरबंद वाहनों की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। खास बात ये है कि इस समय सेना जिन कंपनियों की बख्तरबंद सुरक्षा वाहनों पर विचार कर रही है, उसमें एक स्वदेशी कंपनी भी शामिल है।
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भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख जैसे इलाकों के लिए इन दिनों जिस तरह के सुरक्षित बख्तरबंद वाहनों की तलाश में है, उनमें अमेरिकन स्ट्राइक इंफैंट्री कॉम्बैट व्हीकल और हुमवी (Humvee) के साथ-साथ टाटा व्हील्ड आर्मर्ड प्रोटेक्शन भी शामिल है। भारतीय सेना को इस समय पूर्वी लद्दाख में तत्काल जवानों के मूवमेंट के लिए इस तरह की इंफैंट्री कॉम्बैट व्हीकल की जरूरत है। इन बख्तबंद वाहनों को उन जगहों पर भेजना है, जहां चीन ने बड़े पैमाने पर बख्तबंद वाहन जुटा रखे हैं। सेना के सूत्रों के मुताबिक इन तीनों विकल्पों का आंकलन किया जा रहा है और कोई भी फैसला जल्द ही ले लिया जाएगा।
इस प्रक्रिया में शामिल सूत्र के मुताबिक भारतीय सेना की जरूरतों को देखते हुए विदेशी उत्पादों के मुकाबले स्वदेशी प्लेटफॉर्म को निश्चित तौर पर तरजीह दी जाएगी। हालांकि टाटा व्हील्ड आर्मर्ड प्रोटेक्शन की सेवाएं अभी शुरू नहीं हुई हैं, लेकिन स्ट्राइकर और हुमवी लंबे वक्त से अमेरिकी सेना में शामिल हैं।
टाटा व्हील्ड आर्मर्ड प्रोटेक्शन को डीआरडीओ प्रयोगशाला के साथ मिलकर विकसित किया गया है और यह कई ट्रायल प्रक्रिया से भी गुजर चुकी है, जिसमें ऊंचे इलाकों से जुड़ा परीक्षण भी शामिल है। जानकारी के मुताबिक स्ट्राइकर और हुमवी को सी-130जे और सी-17एस ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से ढोया जा सकता है, जिसका उपयोग भारतीय वायुसेना भी कर रही है।
इस समय भारतीय सेना रूसी तकनीक वाली बीएमपी इनफैंट्री कॉम्बैट व्हीकल का इस्तेमाल कर रही है, जो विशेष रूप से मेकेनाइज्ड इंफैंट्री रेजिमेंट्स रेगिस्तानों, मैदानों और उंचाई वाली जगहों पर उपयोग करती है।