LAC: चीन से सटी सीमा पर ITBP को मिली नई ताकत, पशु परिवहन कैडर में बड़ा बदलाव
नई दिल्ली, 18 सितंबर: भारत तिब्बत सीमा पुलिस ने अपने एक महत्वरपूर्ण कैडर पशु परिवहन विंग के संगठन में बहुत ही महत्वपूर्ण बदलाव किया है। इस विंग में ऐसे जानवर शामिल होते हैं, जो चुनौती भरे दुर्गम बर्फीली और पहाड़ी इलाकों में तैनात जवानों तक हर जरूरी सप्लाई पहुंचाने की जिम्मेदारी अपने कंधे पर लिए हुए हैं। चाहे मौसम कितना भी विपरीत हो, शून्य से कितनी ही डिग्री तापमान नीचे हो, बर्फ का बवंडर उठा हो, आईटीबीपी का यह दस्ता अपनी ड्यूटी में जुटा रहता है। क्योंकि, इनके ऊपर जवानों को किसी तरह की दिक्कत ना हो, उसे निभाने की जिम्मेदारी है।
पशु परिवहन कैडर को किया गया मजबूत
भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की सुरक्षा की जिम्मेदारियां संभाल रही भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने अपने पशु परिवहन कैडर को और मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। आईटीबीपी के इस विंग पर याक, खच्चर और टट्टुओं के माध्यम से हिमालय के दुर्गम इलाकों और ऐसे पोस्ट तक जवानों तक रसद आपूर्ति के अलावा बाकी चीजें पहुंचाने का जिम्मा है। आईटीबीपी अब इस विंग के मानव संसाधन को मजबूत बनाने के लिए बड़ी योजना पर काम कर रहा है। इसके तहत पिछले हफ्ते 64 कर्मियों को हेड कॉन्सटेबल की रैंक से असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (एएसआई) की रैंक में प्रमोशन दी गई है।
एएसआई के पद का किया गया सृजन
इसी साल गृह मंत्रालय ने लद्दाख से अरुणाचल तक हिमालय की रक्षा करने वाली आईटीबीपी के पशु परिवहन विंह में पहली बार एएसआई के पद के सृजन के लिए नियमों में बदलाव किया था और उसके बाद दो महीने से भी कम समय में डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमिटी ने इन नियुक्तियों की प्रक्रिया पर मुहर लगा दी है और इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया गया है। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवान लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक देश की पश्चिम-उत्तर सीमा से लेकर उत्तर-पूर्व की सीमा की रखवाली करते हैं।
3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी की रक्षा की जिम्मेदारी
पहाड़ की लड़ाई के लिए प्रशिक्षित इस सशस्त्र बल के पशु परिवहन विंग में खच्चर, टट्टू और याक शामिल होते हैं। इस विंग पर 3,488 किलोमीटर लंबी भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा के दुर्गम इलाकों में जवानों तक लॉजिस्टिक, हथियार, रसद, ईंधन के अलावा रखरखाव के लिए जरूरी तमाम जरूरी सप्लाई बनाए रखने की जिम्मेदारी है। आईटीबीपी की तैनाती देश के कई बहुत ही ऊंचाई वाली दुर्गम जगहों पर भी है। यह 18,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर तैनात हैं और ऐसी जगहों पर भी हैं, जहां तापमान शून्य से काफी नीचे रहता है। यह भारी बर्फबारी में ड्यूटी देते हैं और बर्फ के तूफानों में भी डटे रहते हैं।
भर्ती की भी संभावना भी बन सकती है
आईटीबीपी का यह विंग एंटी-सबोटाज और आतंकवाद रोधी के9 (कैनाइन) प्रशिक्षण केंद्र भी चलाता है। ये वीआईपी सुरक्षा और नक्सल विरोधी अभियानों के साथ ही विभिन्न सुरक्षा जरूरतों के लिए पेट्रोलिंग, असॉल्ट और स्निफर डॉग को तैयार करता है। एक सीनियर आईटीबीपी अधिकारी ने कहा है, 'एटी कैडर में सारे 64 एएसआई पोस्ट नए सृजित हुए हैं और इससे ना सिर्फ कर्मियों के लिए प्रमोशन का दायरा खुला है, बल्कि इसससे इस विंग की बेहतर निगरानी और संचालन भी सुनिश्चित होगी।' यही नहीं उनके मुताबिक आने वाले दिनों में ऐसे और मैन पावर बढ़ेंगे, जिसमें एंट्री लेवल पर नए जवानों की भर्ती से लेकर अगले रैंक में हेड कांस्टेबल बनने तक की संभावना भी शामिल है।
प्रमोशन मिलना बहुत ही खुशी का मौका
आईटीबीपी के पशु परिहन कैडर में हुए इस बदलाव पर इसके डीआईजी (वेटनरी कैडर) सुधाकर नटराजन ने कहा है कि 'एक अधिकारी के लिए इससे बड़ी कोई खुशी नहीं हो सकती कि उसे एक मुकम्मल प्रमोशन मिल रहा है।' उन्होंने कहा, 'इस प्रमोशन प्रक्रिया की अगुवाई करना और जो 64 कर्मियों को चुनने और प्रमोशन सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई, मेरे लिए वह सम्मान की बात है। ' (इनपुट-पीटीआई) (तस्वीरें- प्रतीकात्मक भी)