LAC: अब तिब्बती युवाओं को ट्रेनिंग दे रहा चीन, स्पेशल फ्रंटियर फोर्स के वार से सदमे में है ड्रैगन
नई दिल्ली, 9 जुलाई: चाइनीज आर्मी ने अपने तिब्बती सैनिकों को स्पेशल ऑपरेशन की ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है। चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) की यह कवायद पूरी तरह से भारतीय सेना की नकल है। चीन की सेना अब तिब्बती युवकों का इस्तेमाल हाई एल्टीट्यूड या ऊंचाई वाले इलाकों में भारत से भिड़ने के लिए करना चाहती है। भारतीय एजेंसियों और सेना को जानकारी मिली है कि चीन, तिब्बत ऑटोनोमस क्षेत्र से स्थानीय युवाओं की अपनी सेना में बहला-फुसला कर भर्ती करने की भरसक कोशिशों में लगा हुआ है। क्योंकि, लद्दाख की भौगोलिक स्थिति में भारतीय सेना का मुकाबला करने के लिए पीएलए को उनकी बहुत ज्यादा जरूरत पड़ चुकी है। असल में पिछले साल भारत के स्पेशल फ्रंटियर फोर्स ने पीएलए को पैंगोंग त्सो इलाके में जो सबक सिखाई थी, उस सदमे से शायद चीन अभी भी उबर नहीं पाया है।
तिब्बती युवाओं को स्पेशल ट्रेनिंग दे रहा है चीन
चीन की सेना ने अपने तिब्बती सैनिकों को एक युद्धाभ्यास कराया है। सूत्रों के मुताबिक चीन की सेना में इन तिब्बतियों की भर्ती कई तरह के वफादारी टेस्ट करवाने के बाद और चीन की मुख्य भूमि की भाषा सीखने, वहां के रहन-सहन में ढलने के बाद की गई है। चाइनीज सूत्रों ने कहा है कि पीएलए भारत की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स की तर्ज पर एक साहसी फोर्स तैयार करना चाहती है, जो कि माउंटेन वॉरफेयर में माहिर माने जाते हैं और पिछले साल पैंगोंग झील के पास के पहाड़ों की चोटियों पर से चीनी सेना को खदेड़ चुके हैं। बता दें कि इस स्पेशल फ्रंटियर फोर्स में बहुत बड़ी तादाद में तिब्बती नौजवान हैं, जो खासकर ऊंचे पहाड़ों पर जंग लड़ने के लिए ही तैयार किए जाते हैं। यही नहीं, जब तक लद्दाख में इस फोर्स ने अपना जलवा नहीं दिखाया था, तबतक भारत में भी बहुत कम लोगों को उनके बारे में पता था।
स्पेशल फ्रंटियर फोर्स के वार से अभी भी सदमे में है पीएलए
भारत की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स पिछले साल अगस्त में तब चर्चा में आई थी जब उसने भारतीय सेना की दूसरी यूनिटों के साथ मिलकर किए गए ऑपरेशन में पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे की सामरिक रूप से महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा कर लिया था और सामने निचले इलाकों में मौजूद पीएलए के टुकड़ियों की स्थिति बहुत ही दयनीय बना दी थी। इस घटना के बाद से ही लद्दाख में चीन बातचीत के टेबल पर आने को मजबूर हुआ था। लेकिन, अब चीन की ओर से तिब्बत के युवाओं को दी जा रही स्पेशल ट्रेनिंग के बारे में सूत्र का कहना है कि 'चीन की सेना के तिब्बती सैनिक को स्पेशल ऑपरेशन के लिए ट्रेंड किया जा रहा है और हाल ही में उसने अपने पीछे के इलाकों में अभ्यास किया है।' वैसे तो चीन तिब्बत के लोगों को अपनी सेना में लाने का तिकड़म करता रहता है, लेकिन तिब्बत ऑटोनोमस रीजन की अधिकतर जनसंख्या की भावना चीन-विरोधी है। क्योंकि, ये लोग चीन की दमनकारी हरकतों से परेशान हैं और तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के अनुयायी हैं।
पिछले साल से लद्दाख में कई जगहों पर है तकरार
बता दें कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के कई इलाकों में भारत और चीन के सैनिक पिछले साल अप्रैल-मई से तकरार की स्थिति में हैं। पिछले साल से तनाव को कम करने की काफी कोशिशें हुईं हैं और कुछ जगहों से दोनों सेनाएं आपसी बातचीत के आधार पर अपनी-अपनी पोजिशन से पीछे भी हटी हैं, लेकिन हॉट स्प्रिंग-गोगरा हाइट्स जैसे कई जगहों पर टकराव की स्थिति कायम ही है। दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडरों और राजनयिक स्तर पर पिछले साल से ही कई राउंड की बातचीत हुई है, लेकिन पैंगोंग झील के दोनों किनारों से आपसी सहमति से दोनों देशों के सैनिकों के पीछे हटने के अलावा बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली है।