Kashmir: आतंकी हमले में मारे गए मजदूर ने दो दिन पहले बेटी से किया था ये वादा
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में जिस तरह से मंगलवार को आतंकियों ने मजदूरों को मौत के घाट उतारा उसके बाद से एक बार फिर से घाटी में हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। आतंकियों ने कश्मीर के कुलगाम में गैर कश्मीरी मजदूरों पर हमला कर करके पांच मजदूरों को मौत के घाट उतार दिया था। जानकारी के अनुसार ये सभी मजदूर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के रहने वाले थे। जिन मजदूरों को आतंकियों ने मौत के घाट उतारा उनमे कमालुद्दीन, मुरसालिम शेख, रोफिक, नोमुद्दीन, रफीकुल हैं।
दो दिन बाद हत्या
जिस दिन इन मजदूरों को आतंकियों ने मौत के घाट उतारा उसके कुछ दिन पहले शनिवार को मुरसालिम शेख ने फोन पर अपने घरवालों से बात की थी और कहा था कि वह जल्द ही घर आएंगे। लेकिन दो दिन बाद मंगलवार को आतंकियों ने उनके घर में घुसकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया। बता दें कि मुरसालिम कश्मीर के कुलगाम के कटरासू गांव में रहते थे। आतंकियों ने उन्हें घर से घसीटकर बाहर निकाला और पांच अन्य मजदूरों के साथ उन्हें गोली मार दी।
आतंकियों की बर्बरता जारी
पिछले
दो
हफ्तों
की
बात
करें
तो
आतंकियों
ने
चार
ट्रक
ड्राइवर
की
हत्या
की
है,
साथ
ही
पंजाब
के
एक
व्यापारी
और
राजस्थान
के
एक
मजदूर
को
भी
आतंकियों
ने
मौत
के
घाट
उतार
दिया।
अभी
तक
घाटी
में
आतंकियों
ने
कुल
12
लोगों
को
मार
दिया
है।
जिन
छह
मजदूरों
को
आतंकियों
ने
गोली
मारी
उसमे
एक
मजदूर
पश्चिम
बंगाल
के
मुर्शिदाबाद
के
बहालनगर
गांव
का
रहने
वाला
था।
मुरसालीम
शेख
ने
अपनी
बेटी
से
शनिवार
को
फोन
पर
बात
की
थी।
उनकी
बेटी
सुहाना
खातून
ने
बताया
कि
हर
वर्ष
अब्बू
घर
आते
थे
और
मेरे
लिए
कपड़े
लाते
थे।
सुहाना
जोकि
कक्षा
8
में
पढ़ती
है,
उसने
बताया
कि
हमारे
यहां
सगरडिघी
में
10
बीघा
जमीन
है,
यहां
पूरे
वर्ष
फसल
नहीं
होती
है,
लिहाजा
मेरे
पिता
को
काम
करने
के
लिए
कश्मीर
जाना
पड़ता
था।
एक ही कमरे में रहते थे 8 मजदूर
सुहाना ने बताया कि हमे टीवी और इंटरनेट से पता चला कि मजदूरों पर आतंकियों ने हमला किया है। बाद में रात को पुलिस हमारे घर आई और हमे बताया कि मेरे पिता भी इस आतंकी हमले का शिकार हो गए हैं। कश्मीरी ग्रामीण मुर्तजा बट्ट जो अक्सर अपना फोन मजदूरों को अपने घर पर बात करने के लिए उधार देते थे, उन्होंने बताया कि ये सभी मजदूर बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले से आए थे, सभी एक ही कमरे में रहते थे, ये खेत में मजदूर के तौर पर काम करते थे। आठ मजदूरों में से दो मंगलवार को खाना लेने के लिए बाहर गए थे, इसी दौरान यहां पर आतंकी हमला हुआ था। बट्ट ने बताया कि पुलिस ने इस हमले के बाद सभी बाहर के मजदूरों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया है।
यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि मंडल का दौरा
अहम बात यह है कि आतंकियों ने इस घटना को ऐसे समय अंजाम दिया है जब यूरोपीय संघ का 23 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल यहां के हालात का जायजा लेने के लिए पहुंचा था। 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 को खत्म करके जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित राज्य घोषित किया गया था। जिसके बाद यहां के हालात काफी तनावपूर्ण हो गए थे। सरकार के इस फैसले के बाद से ही पाकिस्तान लगातार भारत पर जम्मू कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगा रहा है, माना जा रहा है कि केंद्र सरकार ने इसी के चलते यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल को कश्मीर का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया था, जिससे कि यूरोपीय संघ पाकिस्तान के फर्जी आरोपों का खंडन कर सके।
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