क्या सिंधिया पर तंज कसने के लिए गुना सांसद केपीयादव ने ली पीएम मोदी संग सेल्फी?
नई दिल्ली। इस बार लोकसभा चुनाव में कई दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा था। इसमे दो सबसे बड़े नाम राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया का आता है। राहुल गांधी को जहां अमेठी में भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी के खिलाफ चुनाव में हार का सामना करना पड़ा तो दूसरी तरफ गुना से कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा उम्मीदवार कृष्णपाल यादव ने पटखनी दी। जीत के बाद कृष्णपाल उस वक्त काफी चर्चा में आए थे जब उनकी ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ सेल्फी सामने आई थी। लोगों ने उनका जमकर मजाक उड़ाया था, लेकिन अब कृष्णपाल यादव ने जीत के बाद पीएम मोदी के साथ सेल्फी क्लिक कराई है।
हर किसी को चौंका दिया
कृष्णपाल यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर आरोप लगाया था कि उन्होंने मेरे कठिन परिश्रम की तारीफ नहीं की। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के लिए काफी मेहनत की थी, लेकिन उनके काम की कभी सिंधिया ने तारीफ नहीं की। भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद यादव को भाजपा ने सिंधिया के खिलाफ मैदान में उतारा था और उन्हें गुना से पार्टी की उम्मीदवार घोषित किया था। पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव में हराकर हर किसी को चौंका दिया था।
पत्नी ने उड़ाया था मजाक
केपी यादव की उम्मीदवारी का जब ऐलान किया गया था तो ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी सिंधिया ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर साझा की थी जिसमे केपी यादव सिंधिया के साथ सेल्फी ले रहे थे, तस्वीर को साझा करते हुए उन्होंने यादव का मजाक उड़ाया था। उन्होंने लिखा था कि जो व्यक्ति सिंधिया के साथ सेल्फी क्लिक कराने के लिए लाइन में खड़ा रहता था, उसे भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। लेकिन चुनाव में जिस तरह से केपी यादव ने जीत दर्ज की उसके बाद केपी यादव की पीएम मोदी के साथ सेल्फी वायरल हो रही है।
20 साल बाद सीट पर मिली हार
बता दें कि केपी यादव ने सिंधिया के खिलाफ शानदार जीत दर्ज की थी। उन्होंने सिंधिया को 125549 वोटों से हराया था। 20 साल बाद सिंधिया परिवार के बजाय अब कोई और यानि बीजेपी प्रत्याशी डॉ. केपी इस सीट विराजमान होने जा रहे हैं। गुना सीट से भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्णपाल यादव को 610470 वोट मिले हैं जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को 485891 वोट मिले। भाजपा प्रत्याशी ने 125579 वोटों से सिंधिया को पछाड़कर बड़ी जीत हासिल की है।
जीत का अंतर कम होता गया
अपने पिता माधवराव सिंधिया के निधन के बाद 2002 में हुए उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया लगभग सवा चार लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। वहीं 2004 में यह अंतर कम होकर 86 हजार ही रह गया था। 2009 में ढाई लाख और 2014 में जीत का अंतर 1 लाख 20 हजार रह गया था। उपचुनाव सहित अब तक 20 चुनाव में सिंधिया घराने से प्रतिनिधियों को 14 बार जीत मिली है। 1999 में राजमाता विजया राजे सिंधिया भाजपा टिकट से जीती थीं। अब इस बार सिंधिया परिवार के बाहर का कोई शख्स इस सीट पर विराजमान होगा।
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