3 बजे के बाद कहां लापता हो गए कोलकाता की दोनों सीटों के वोटर! मिस्ट्री पर EC भी हैरान
नई दिल्ली- कोलकाता के दोनों शहरी संसदीय सीटों कोलकाता नॉर्थ (Kolkata North) एवं कोलकाता साउथ (Kolkata South) में रविवार को शाम 3 बजे के बाद वोटरों के अचानक लापता होने की मिस्ट्री पर चुनाव आयोग (Election Commission) भी हैरान है। इस दौरान मतदान से गायब हो जाने वाले वोटरों की संख्या इतनी ज्यादा है कि महानगर की इन दोनों सीटों पर वोटिंग पर्सेंटेज 2014 के चुनावों से भी नीचे गिर गया है। जबकि, पश्चिम बंगाल (West Bengal) में इस बार ओवरऑल वोटिंग पर्सेंटेज पिछली बार से कहीं ज्यादा है।
बदलते-बदलते रह गया इतिहास
कोलकाता नॉर्थ (Kolkata North) एवं कोलकाता साउथ (Kolkata South) का इतिहास ये कहता है कि यहां वोटिंग बाकी 40 सीटों से हमेशा कम होती आई है। लेकिन, बहुत ज्यादा गर्मी के बावजूद इस बार सुबह से पोलिंग बूथों पर जिस कदर लाइन लगी हुई थी, उससे लग रहा था कि ये दोनों लोकसबा क्षेत्र इस बार अपनी परंपरा तोड़ देंगे। इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के मुताबिक शाम के 3 बजे तक यही स्थिति बनी रही और बंबर वोटिंग होती रही। लेकिन, 3 बजे से 6 बजे के बीच अचानक ऐसा क्या हो गया कि मतदान केंद्रों से वोटर ही अचानक गायब हो गए!
असल में हुआ क्या?
कोलकाता नॉर्थ (Kolkata North) की बात करें, तो चुनाव आयोग के शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक दिन के 1 बजे तक यहां 43.6% वोटिंग हो चुकी थी और 3 बजते-बजते यह आंकड़ा 54.9% पर पहुंच गया। लेकिन, 6 बजे वोटिंग खत्म होने तक यहां महज 61.1% ही वोटिंग हुई। यानी आखिर के 3 घंटों में महज 6% लोग ही वोट डालने पहुंचे। जबकि, कोलकाता साउथ (Kolkata South) में 1 बजे तक 43.8% लोगों ने वोट डाला था और 3 बजे तक इनकी संख्या 58.6% तक पहुंच गई। लेकिन, आखिरी 3 घंटों में इस स्थिति में अचानक गिरावट आई और चुनाव आयोग के प्रॉविजिनल फिगर के मुताबिक सिर्फ 67% ही वोटिंग हो पाई। यह आंकड़ा 2014 के वोटिंग पर्सेंटेज 69.3% से भी कम है।
चुनाव आयोग ने क्या कहा?
चुनाव आयोग के अधिकारियों ने भी माना है कि 3 बजे के बाद पोल पर्सेंटेज अचानक गिर गया। अधिकारी के मुताबिक, "सुबह 7 बजे से जो लगातार उत्साह नजर आ रहा था, वह पूरी तरह से उलट गया।" जबकि, पश्चिम बंगाल की कई सीटों पर इस साल 3 बजे के बाद ज्यादा वोटिंग की ट्रेंड देखी गई है, इसलिए इसे बहुत बड़े सरप्राइज के तौर देखा जा रहा है।
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टीएमसी भी हैरान
जानकारों को लग रहा था कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान जिस तरह की घटना हुई, उससे इस बार कोलकाता में ज्यादा वोटर निकलकर पोलिंग बूथ तक पहुंचेंगे। लेकिन, हुआ इसके ठीक उलट। टीएमसी के नेताओं को भी उम्मीद थी कि पुनर्जागरण के प्रतीक ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतिमा टूटने के विवाद के कारण बंगाली मतदाता ज्यादा संख्या में घरों से निकलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। खासकर 3 बजे के बाद जिस तरह से वोटर नदारद हो गए, उसने पार्टी के नेताओं को भी हैरानी में डाल दिया है।
दोनों सीटों पर बंगाल की वोटिंग ट्रेंड से अलग पैटर्न
इस बार कोलकाता (Kolkata) की दोनों सीटों का वोटिंग पैटर्न प्रदेश के ओवरऑल वोटिंग ट्रेंड से पूरी तरह अलग है। राज्य में ओवरऑल वोटिंग इस बार 2014 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले 2% से भी ज्यादा रहा है। 2014 में राज्य में 81.1% वोटिंग हुई थी, जबकि इस साल कुल वोटिंग 83.8% हुई है। यह औसत कोलकाता की दोनों सीटों पर हुई वोटिंग से काफी ज्यादा है।
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