कोर्ट में दायर हुई याचिका, यमराज को दिया जाए निर्देश, आदेश ना मानने पर हो केस
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में एक अजीबो गरीब मामला कोर्ट में पहुंचा है। दरअसल यहां दो आरोपियों को कोर्ट ने दोषी करार दिया, लेकिन दोनों ही दोषियों की सजा से पहले ही मौत हो गई। जिसके बाद दोनों दोषियों के रिश्तेदारों ने कोर्ट में एक याचिका दायर की है जिसमे उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट से मांग की है कि वह यमराज को को निर्देश दें कि वह दोनों ही दोषियों को वापस भेजें ताकि वह अपनी सजा को पूरा कर सके। यही नहीं याचिका में कहा है गया है कि यमराज के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस चलाया जाए अगर वह कोर्ट का आदेश नहीं मानते हैं।
कोर्ट ने खारिज किया था फैसला
दरअसल 1987 में समर चौधरी और उनके बेटे इश्वर व प्रदीप के अलावा कुछ अन्य लोगों को को स्थानीय कोर्ट ने पांच साल की सजा सुनाई थी। इन दोनों पर आरोप था कि ये लोग हिंसा के मामले में लिप्त थे जिसकी वजह से 1984 में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। दोषियों ने कोर्ट के आदेश के खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट में केस दर्ज किया। जिसके बाद कोर्ट ने अग्रिम फैसला सुनाते हुए इन लोगों की सजा को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने सुनाई सजा
लेकिन इस मामले की सुनवाई कोर्ट में शुरू हो पाती इससे पहले समर और प्रदीप की मृत्यु हो गई। प्रदीप की मौत 17 फरवरी 1993 और समर रकी मृत्यु 16 सितंबर 2010 में हो गई। सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाई कोर्ट को इस बात की कभी भी जानकारी नहीं दी गई कि दोनों ही ही याचिकाकर्ताओं की मौत हो चुकी है। दोनों की मृत्यु के छह वर्ष के बाद 16 जून 2016 को हाई कोर्ट ने दोनों की सजा को बरकरार रखा। लेकिन इस मामले में एक और मोड़ और भी है।
दायर की याचिका
22 जून 2016 को मामले की पैरवी कर रहे एक वकील मार्च 2012 में हाई कोर्ट जज बन गए, जबकि दूसरे वरिष्ठ वकील की मृत्यु हो गई, जिसकी वजह से आरोपियों का परिवार वकील के ना होने के चलते कोर्ट को इसकी जानकारी नहीं दे पाया का दोनों आरोपियों की मृत्यु हो गई है। कोर्ट ने जब दोनों ही दोषियों की सजा को बरकरार रखने का फैसला दिया तो समर के बेटे अशोक चौधरी और प्रदीप की विधवा पत्नी रेनू ने कोर्ट में माफीनामा याचिका दायर की और दोनों की मृत्यु के बारे में जानकारी दी।
यमराज के खिलाफ हो केस
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा कि कोर्ट यमराज को निर्देश दे कि दोनों ही आरोपियों को धरती पर वापस भेजा जाए ताकि वो दोनों अपनी सजा को पूरा कर सके। यही नहीं याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया है कि अगर यमराज ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ अवमानना का केस दर्ज किया जाए।
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