गर्ल्स स्कूल ने छात्राओं से लिखवाया 'मैं लेस्बियन हूं', भड़के अभिभावक और एनजीओ
कोलकाता के एक निजी स्कूल ने 10 लड़कियों से जबरन लिखवाया है कि वो लेस्बियन हैं। दक्षिण कोलकाता के कमला गर्ल्स स्कूल ने 10 लड़कियों से एक पत्र पर लिखवाया कि वो लेस्बियन हैं। अभिभावकों को इसकी जानकारी लगने के बाद उन्होंने स्कूल में जमकर हंगामा काटा।
नई दिल्ली। कोलकाता के एक निजी स्कूल ने 10 लड़कियों से जबरन लिखवाया है कि वो लेस्बियन हैं। दक्षिण कोलकाता के कमला गर्ल्स स्कूल ने 10 लड़कियों से एक पत्र पर लिखवाया कि वो लेस्बियन हैं। अभिभावकों को इसकी जानकारी लगने के बाद उन्होंने स्कूल में जमकर हंगामा काटा। अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल ने जबरदस्ती छात्राओं से ये लिखवाया है। वहीं स्कूल ने अपने बचाव में कहा है कि ऐसा छात्राओं को सही दिशा में लाने के लिए किया गया है।
छात्राओं से लिखवाया, 'मैं लेस्बियन हूं'
कोलकाता के कमला गर्ल्स स्कूल ने अपनी 10 छात्राओं से लिखवाया कि वो लेस्बियन हैं, जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया है। इस पूरे विवाद पर स्कूल की हेडमिस्ट्रेस ने कहा कि कुछ छात्राओं ने 10 छात्राओं के ऐसी हरकतों में शामिल होने की शिकायत की थी। उन्होंने कहा, 'हमने उन छात्राओं को बुलाया और उन्होंने ये कबूल किया। मामले की गंभीरता को समझते हुए मैंने उन्हें ये चीज लिखित में देने के लिए कही। सभी 10 छात्राओं ने लिखित में ये दिया है।' उन्होंने कहा कि ये मामला डिस्कस करने के लिए अभिभावकों को बुलाया गया था। 'हमारा उद्देश्य उनसे इस बारे में बात करना था ताकि घर और स्कूल में किए गए प्रयासों से उन्हें सही दिशा में लाया जा सके।'
सही दिशा में लाने के लिए उठाया गया कदम!
वहीं स्कूल के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'ये बस छात्राओं में अनुशासन के लिए किया गया है। वो क्लास में शैतानी कर रहे थे जिसके बाद हेडमिस्ट्रेस के पास उन्हें बुलाया गया और एक कंफेशन पर साइन कराया गया। छात्राओं के अभिभावकों को इस बारे में बात करने के लिए बुलाया गया था लेकिन ओवररिएक्ट करने लगे और स्कूल पर जबरन साइन कराने का आरोप लगाने लगे। हमने अभिभावकों को साइन किए हुए पत्र लौटा दिए हैं।'
स्कूल की हरकत से अभिभावक-एनजीओ नाराज
छात्राओं के अभिभावकों ने स्कूल पर ये जबरन लिखवाने का आरोप लगाया है। एलजीबीटी कम्यूनिटी के लिए काम करने वाले एनजीओ भी स्कूल की इस हरकत पर काफी गुस्से में हैं। कोलकाता के एनजीओ Sappho for Equality की सह-संस्थापक मालोबिका ने कहा कि छात्राओं के साथ जो हुआ, वो काफी घिनौना है। 'कुछ शिकायतों के दम पर उन्हें अलग कर दिया गया, जो कि एक मजाक भी हो सकता था। मेरी समझ नहीं आता कि आखिर इससे होगा क्या? क्या को-एड स्कूल के छात्रों को एक-दूसरे के साथ समय बिताने पर ये लिखवाया जाएगा?'
गर्ल्स स्कूलों में होता है ऐसा?!
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार स्कूल की पूर्व छात्राओं ने भी स्कूल का माहौल खराब होने की बात कही। एक छात्रा ने कहा कि सिर्फ इस स्कूल में नहीं, बल्कि सभी गर्ल्स स्कूलों का माहौल ऐसा है। लेस्बियन शब्द को इन स्कूलों में एक गलत शब्द माना जाता है। वहीं स्कूल की दूसरी छात्रा ने कहा कि छात्राएं टीचर से खुलकर बात नहीं कर पाती हैं। उन्हें भेदभाव का डर रहता है।
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