अयोध्या मामला: शनिवार को फैसला सुनाए जाने के पीछे ये है कारण
नई दिल्ली। दशकों से लंबित और राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने फैसला सुना दिया है। दशकों से चला आ रहा ये मामला आज समाप्त हो जाएगा। इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने फैसला सुनाया है। हालांकि शुक्रवार शाम तक किसी को भनक भी नहीं थी, कि फैसला शनिवार को आ रहा है।
इससे पहले ये माना जा रहा था कि फैसला मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के 17 नवंबर को सेवानिवृत होने से कुछ दिन पहले ही आएगा। लेकिन शुक्रवार शाम अचानक घोषणा हुई कि फैसला अगले दिन यानी शनिवार को ही आ रहा है। शुक्रवार को सीजेआई रंजन गोगोई ने उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों से भी फैसले से पहले कानून और व्यवस्था को लेकर चर्चा की थी।
शनिवार को इसलिए आया फैसला
अचानक शनिवार को फैसला सुनाए जाने के पीछे का कारण देश में शांति कायम रखना है। ऐसा माना जा रहा है कि अचानक से फैसले का दिन 9 नवंबर इसलिए चुना गया ताकि असामाजिक तत्तवों को किसी प्रकार की साजिश रचने का समय ना मिल पाए। क्योंकि ये मामला काफी बड़ा और संवेदनशील है, जो लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है।
40 दिनों तक चली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने 40 दिनों तक मामले पर सुनवाई करने के बाद 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अयोध्या पर हुई सुनवाई सबसे लंबी चलने के मामले में दूसरे नंबर पर है। इससे पहले केशवानंद भारती मामले की सुनवाई 68 दिनों तक चली थी। अयोध्या पर फैसला लेने वाली बेंच में गोगोई के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और अब्दुल नजीर हैं।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
सरकार ने फैसले के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी कर दिए गए हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस के एजीडी ने बताया है कि अयोध्या में अर्धसैनिक बल, आरपीएफ और पीएसी की 60 कंपनियां और 1200 पुलिस कांस्टेबल, 250 सब-इंस्पेक्टर, 20 उप-एसपी और 2 एसपी तैनात हैं। सुरक्षा निगरानी के लिए डबल लेयर बैरिकेडिंग, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, 35 सीसीटीवी और 10 ड्रोन भी तैनात किए गए हैं।
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