बकरीद से पहले सुर्खियां बटोर रहे हैं टाइगर और शेरा, जानिए क्यों?
बकरीद के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे की कुर्बानी देते हैं। कुर्बानी के लिए बकरे को अपने घर में पाला-पोसा जाता है
नई दिल्ली। बकरीद से पहले लखनऊ बकरा मंडी के टाइगर और शेरा चर्चा का विषय बने हुए हैं, वजह है उनका भूरा और सफेद रंग और सौ किलो से ज्यादा का वजन। जिसकी भी इन पर नजर पड़ रही है वो बस देखता ही रह जा रहा है। बकरों के मालिक ने इनकी कीमत तीन लाख रुपए लगा रखी है और ये बकरीद के दिन तक बिक जाएंगे।
अकबरीगेट के पास रहने वाले साजिद खान पिछले दस साल से बकरों का व्यापार कर रहे हैं। साजिद ने बताया कि बकरीद के लिए अच्छे बकरों की परवरिश अलग अंदाज में करनी पड़ती है। साजिद ने बताया कि टाइगर और शेरा को मैं 16 महीने पहले राजस्थान के अलवर से लाया था। उस वक्त वे दो महीने के थे। आज एक का वजन 180 किलो है तो दूसरे का 160। साजिद ने बताया कि दो साल पहले भी मैंने दो बकरे बेचे थे जिनकी कीमत तीन लाख रुपये लगी थी। अभी तक टाइगर और शेरा के 2.40 लाख रुपये दाम लग चुके हैं, लेकिन मैं इन्हें तीन लाख रुपये में ही बेचूंगा।साजिद ने बताया कि बकरीद का चांद निकलते ही इनकी बिक्री शुरू हो जाती है और बकरीद के दिन तक सब बकरे बिक जाते हैं।
बकरीद के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे की कुर्बानी देते हैं। कुर्बानी के लिए बकरे को अपने घर में पाला-पोसा जाता है और उसका पूरा ख्याल रखा जाता है। इसके बाद बकरीद के दिन उसकी कुर्बानी अल्लाह के नाम दे दी जाती है। कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। एक हिस्सा कुर्बानी करने वाले खुद के घर में रख लेते हैं और दो हिस्सें बांट देते हैं। कुर्बानी बकरीद की नमाज पढ़ने के बाद दी जाती है। कुर्बानी तीन दिन तक की जा सकती है। इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग नए कपड़े पहनकर मस्जिद में नमाज पढ़ने जाते हैं। वहां नमाज पढ़कर एक दूसरे के गले लगते हैं और ईद की बधाई देते हैं। नमाज पढ़कर वापस घर लौटने के बाद बकरे की कुर्बानी दी जाती है।