जानिए कौन हैं राम विलास वेदांती, जिन्होंने कहा- हमने किसी मस्जिद को नही मंदिर के खंडहर को तोड़ा
जानिए कौन हैं राम विलास वेदांती,जिन्होंने कहा- हमने किसी मस्जिद को नही मंदिर के खंडहर को तोड़ा
लखनऊ। Babri Masjid Demolition Case Verdict: अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को हुए बाबरी ढांचा विध्वंस पर सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ढांचा विध्वंस पूर्व नियोजित घटना नहीं थी। कोर्ट के अनुसार, सीबीआई द्वारा लगाए गए आरोपों के ठोस सबूत उपलब्ध नहीं है, इसके चलते सभी आरोपियों को बरी किया जाता है।
बता दें कि ढांचा विध्वंस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार और राम विलास वेदान्ती समेत 32 लोग आरोपी थे। कोर्ट ने अपने फैसले में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है। इस फैसले से पहले और कोर्ट में चार महीने पहले दर्ज करवाए बयान में राम विलास वेदान्ती ने कहा था हमने किसी मज्जिद को नहीं मंदिर के खण्डहर को तोड़ा था। आइए जातने हैं कौन है राम विलास वेदान्ती और राम मंदिर आंदोलन में उनकी क्या भूमिका रही ?
वेदांती ने बार-बार कहां हमने मस्जिद को नही मंदिर के खंडहर को तोड़ा
भाजपा के पूर्व सांसद व श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष राम विलास वेदांती सीबीआई की विशेष अदालत का फैसला आने से पहले जो बयान दिया वो ही बयान उन्होंने चार माह पहले कोर्ट में दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था "मंदिर के खंडहर को मैंने गिराया था। वहां केवल और केवल मंदिर था, जिसे राजा विक्रमादित्य ने 84 कसौटी के खंभे पर बनवाया था। उस मंदिर पर रामलला विराजमान थे। वह खंडहर हो चुका था, इसलिए हमने खंडहर को तोड़वाकर नया मंदिर बनवाने का संकल्प लिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पूरा करने का काम किया है।
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राजा-रजवाड़ों के इर्द-गिर्द घूमने वाली राजनीति के बीच इस संत ने जीता वोटरों का विश्वास
राम मंदिर आंदोलन से शुरुआती दौर से जुड़े रहे डॉ राम विलास वेदांती का जन्म 7 अक्टूबर 1958 को हुआ। वो हिंदू धार्मिक नेता रहे और 12 वीं लोकसभा के संसद सदस्य रहे। यूपी के प्रतापगढ़ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हैं और श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य हैं। राममंदिर आंदोलन में सक्रिय रुप से भाग लेने वाले पूर्व सांसद रामविलास वेदांती ने पहली बार प्रतापगढ़ जिले में कमल खिलाया था। वर्ष 1996 में मछली शहर और 1998 में जिले का सांसद चुने जाने के बाद मंदिर आंदोलन को धार देने के कारण उन्हें राम मंदिर जन्मभूमि न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया। राजा-रजवाड़ों के इर्द-गिर्द घूमने वाली राजनीति में पहली बार प्रतापगढ़ बेल्हा के वोटरों ने भगवान राम के नाम पर संत को अपना जनप्रतिनिधि चुनकर देश के सबसे बड़े सदन में भेजा था।
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बेल्हा में पहली बार कमल खिलाया
यह वह समय था जब अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनाने को लेकर एक जुनून चरम पर था। 1992 में राम मंदिर को लेकर भाजपा ने जो राजनीति गरमाई, उसने बेल्हा में पहली बार कमल खिलाया। 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उदयराज मिश्र को अपना प्रत्याशी बनाया था, मगर कांग्रेस प्रत्याशी रत्ना सिंह की जमीनी पकड़ के चलते उन्हें हार का सामना करना पड़ा। मछली शहर से प्रत्याशी बनाए गए रामजन्मभूमि न्यास के सदस्य रामविलास वेदांती ने भारी मतों से जीत दर्ज की थी। मछली शहर संसदीय सीट में जिले की पट्टी और बीरापुर विधानसभा शामिल थी।
राम मंदिर के नाम पर उन्हें मिली जीत
मंदिर आंदोलन में बढ़कर-चढ़कर हिस्सा लेने वाले रामविलास वेदांती वर्ष 1998 में प्रतापगढ़ संसदीय सीट से चुनावी मैदान में उतरे और जनता ने राम मंदिर के नाम पर उन्हें भारी मतों से विजयी बनाया। रामलहर में कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व विदेश मंत्री स्वर्गीय राजा दिनेश सिंह की बेटी रत्ना सिंह को 1,64,467 मत मिले तो भाजपा प्रत्याशी राम विलास वेदांती को 2,32,927 मत मिले थे। भाजपा प्रत्याशी को यह जीत राम जन्मभूमि न्यास परिषद से जुड़े होने के कारण ही मिली थी।
दुनिया की किसी भी मस्जिद में हिन्दू देवी-देवताओं के चिह्न नहीं होते
बता दें उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से 1998 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सांसद बने डाक्टर रामविलास वेदांती ने कहा कि उन लोगों को पता था कि जब तक इस विवादित ढाँचे को तोड़ा नहीं जाएगा, तब तक भव्य राम मंदिर का निर्माण नहीं हो सकता है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' ट्रस्ट के सदस्य वेदांती ने साक्षात्कार में कहा था उसमें धनुष-बाण के चिह्न और शंख-चक्र-गदा के चिह्न थे। वेदांती ने कहा कि दुनिया की किसी भी मस्जिद में हिन्दू देवी-देवताओं के चिह्न नहीं होते हैं। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उन लोगों ने किसी भी मस्जिद को तोड़ा है। वेदांती ने राम मंदिर फैसला आने से पहले कहा था कि इस्लाम को हिंदुओं से खतरा नहीं है इसीलिए मुसलमान राम मंदिर का निर्माण जल्द चाहते हैं।
''मंदिर ऐसा बने कि इस्लामाबाद, कोलंबो और काठमांडू दिखाई दे''
अयोध्या के राम मंदिर का आंदोलन आजादी के बाद किसी मंदिर के लिए सबसे लंबी लड़ाई वाला आंदोलन रहा है। राम मंदिर निर्माण पर वेदांती ने कहा था अशोक सिंघल से लेकर महंत अवैद्यनाथ और रामचंद्र परमहंस ने राममंदिर का जो सपना देखा, उसे पीएम मोदी ने साकार करके दिखाया। रामविलास वेदांती ने कहा था अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर दुनिया में सबसे भव्य होगा और एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल बनकर उभरेगा। इसके निर्माण में 67 एकड़ भूमि भी कम पड़ेगी। उन्होंने इस बात की उम्मीद जताई थी ककि सकता है कि भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए 67 एकड़ भूमि के अलावा भी जमीन का अधिग्रहण करना पड़े। पूर्व बीजेपी सांसद वेदांती ने कहा कि अयोध्या में 1,111 फुट ऊंचा राम मंदिर बनाया जाना चाहिए जो इस्लामाबाद, कोलंबो और काठमांडू से भी दिखाई दे।