निर्भया केस: जानिए वृंदा ग्रोवर को जिस पर निर्भया के दरिंदें मुकेश ने लगाए हैं ये संगीन आरोप
बेंगलुरु। दिल्ली में 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस के चारों दोषियों को 20 मार्च को सुबह साढ़े 5 बजे फांसी के फंदे पर लटकाया जाना हैं। इस चौथे डेथ वारंट के जारी होने के बाद निर्भया के दरिंदें मुकेश सिंह ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अपनी पूर्व वकील को ही कटघरे में खड़ा करते हुए क्यूरेटिव प्रीटिशन और दया याचिका का कानूनी उपाय बहाल करने का अनुरोध किया है। दोषी का आरोप है कि उनकी पूर्व वकील वृंदा ग्रोवर ने दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर उसके खिलाफ आपराधिक साजिश रची हैं।

याचिका में कहा गया कि कानून के मुताबिक उसकी वकील वृंदा ग्रोवर क्यूरेटिव प्रिटिशन दाखिल करने के लिए तीन वर्ष तक इंतजार कर सकती थीं लेकिन उन्होंने उसे जानबूझ कर गुमराह किया और जबरन क्यूरेटिव प्रिटिशन दायर कर दी। दोषी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका में कहा है कि केन्द्र, दिल्ली सरकार और न्याय मित्र की भूमिका निभाने वाली अधिवक्ता वृन्दा ग्रोवर ने आपराधिक साजिश रची और छल किया है, जिसकी सीबीआई से जांच करायी जानी चाहिए।

उसने कहा है कि क्युरेटिव प्रिटीशन खारिज होने की तारीख से तीन साल के भीतर सुधारात्मक याचिका दायर की जा सकती है और इसलिए उसे उपलब्ध कानूनी उपाय बहाल किए जाए तथा जुलाई, 2021 तक उसे सुधारात्मक याचिका और दया याचिका दायर करने की अनुमति दी जाए। आइए जानते हैं कौन हैं वो सुप्रीम कोर्ट की वकील वृंदा ग्रोवर जिस पर निर्भयाा के साथ दरिंदगी करने वाले दोषी मुकेश सिंह ने लगाए हैं ये संगीन आरोप ?

दुनिया के 100 प्रभावशाली लोगों में वृंदा का नाम हैं शामिल
बता दें सुप्रीम कोर्ट की मशहूर वकील वृन्दा ग्रोवर ही दोषी मुकेश का केस लड़ रही थी, लेकिन पिछले दिनों अतिरिक्त सत्र न्यायालय में सुनवाई के दौरान दोषी मुकेश की तरफ से बताया गया कि वह नहीं चाहता है कि अब अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर उसका प्रतिनिधित्व करें। इस पर वृंदा ग्रोवर ने अदालत से अपील की कि उन्हें इस केस से मुक्त किया जाए। इस दलील को मानते हुए जज ने वृंदा ग्रोवर को केस से निवृत्त कर दिया था। बता दें वृंदा ग्रोवर कोई आम वकील नहीं हैं मानवाधिकार मामलों के लिए वर्षों से काम कर रही हैं। चर्चित वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता वृंदा ग्रोवर को 2013 में अमेरिका की मशहूर पत्रिका टाइम ने दुनिया के 100 प्रभावशाली लोगों की वार्षिक सूची में शामिल किया था। इतना ही नहीं उनका नाम देश की टॉप वकीलों में से शामिल हैं।
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हैदराबाद गैंगरेप एनकाउंटर में पुलिस पर मुकदमा चलाने की थी मांग
हैदराबाद गैंगरेप के बाद पुलिस द्वारा एनकाउंटर मामले में एक तरफ जहां पूरे देश में ख़ुशी का माहौल था। लोग पुलिस की सराहना करते नहीं थक रहे वहीँ दूसरी तरफ कई ऐसे भी लोग जो इस फैसले से खुश नहीं नज़र आ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट की वकील वृंदा ग्रोवर ने इस एनकाउंटर मामले में पुलिस पर सवाल खड़े कर दिए थे। वृंदा ग्रोवर ने पुलिस पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी और कहा था कि हैदराबाद एनकाउंटर करने वाली पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए। इसके साथ ही पूरे मामले की स्वतंत्र न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए। महिला को इंसाफ दिए जाने के नाम पर किसी का भी एनकाउंटर किया जाना गलत है। उन्होंने कहा कि महिला के नाम पर पुलिस का कोई भी एनकाउंटर करना गलत है।
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सिख विरोधी दंगों को लेकर चर्चा में आईं थी वृंदा ग्रोवर
ये वहीं वकील हैं जिनका कहना हैं कि हर एक इंसान तक पहुंचना चाहिए। इनमें वह लोग भी शामिल हैं जो उग्रवाद प्रभावित इलाकों में रहते हैं, जिन्हें अवैध तरीके से प्रताड़ित किया जाता है या जेल भेजा जाता है। वृंदा ग्रोवर की बेहतर पहचान एक वकील, शोधकर्ता, मानवाधिकार और महिला अधिकार कार्यकर्ता के तौर पर हैं। जो एक मानवाधिकार कार्यकर्ता भी हैं और महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई भी करती हैं। सिख विरोधी दंगों को लेकर चर्चा में वो अधिक चर्चा में आयी वृं दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने वालीं ग्रोवर ने मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ लंबी और प्रभावशाली लड़ाई लड़ी है।

वृंदा का कहना हैं कि न्याय सभी तक पहुंचना चाहिए
वृंदा ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा था कि मेरा मानना है कि न्याय सभी तक पहुंचना चाहिए। न्याय को विशेषाधिकार प्राप्त भारतीयों या शीर्ष स्तर पर बैठे लोगों के अलावा वहां भी पहुंचना चाहिए जहां सिस्टम के चलते कई दरारें पड़ी हुई हैं और दरारों से होकर न्याय वहां तक पहुंच नहीं पाता है। उनकी सारी कवायद इसी वाक्य के इर्द गिर्द ही घूमती है। एक वकील के रूप में वह महिलाओं और बच्चों पर होने वाली घरेलू हिंसा और यौन हिंसा से जुड़े मामलों का प्रतिनिधित्व करती है। दंगा पीड़ितों और सांप्रदायिक नरसंहार में बचे हुए लोगों के हितों की रक्षा के लिए लड़ती हैं। हिरासत में यातना, ट्रेड यूनियन और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ मानव अधिकारों के उल्लंघन के मुकदमें वृंदा ने लड़े हैं और न्याय दिलवाया हैं।

इन चर्चित केसों में दिला चुकी हैं न्याय
दिल्ली के सेंट स्टीफन्स कॉलेज से वृंदा ने स्नातक किया है। कालेज में उनका विषय इतिहास था। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से उन्होंने कानून की डिग्री प्राप्त की और फिर न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी से कानून में स्नातकोत्तर किया। इसके बाद ग्रोवर ने वकालत शुरू की। उनके प्रमुख मामलों में छत्तीसगढ़ की सोनी सोरी बलात्कार-यातना मामला, 1984 के सिख विरोधी दंगे, 1987 में हाशिमपुरा पुलिस की हत्या, 2004 का इशरत जहां मामला और 2008 कंधमाल में ईसाई-विरोधी दंगे प्रमुख हैं। इन सब मामलों में उन्होंने अपने मुवक्किल की दलीलें काफी पुख्ता तरीके से रखी हैं। इसके अलावा उन्होंने यौन उत्पीड़न के खिलाफ कानून में 2013 के आपराधिक कानून संशोधन का मसौदा तैयार किया है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्था के साथ सक्रिय रूप से जुड़ी हैं
देश में जो माहौल बना है उससे तो ऐसा ही लगता है कि इस देश को केवल पूंजीपति और व्यापारी चाहिए, मजदूर नहीं जैसे बयान देने वाली वृंदा वर्तमान में तमाम तरह मानवाधिकारों की लड़ाई तो लड़ ही रही हैं साथ ही वह नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय में एक रिसर्च फेलो भी हैं। वह सेंटर फॉर सोशल जस्टिस बोर्ड के सदस्य हैं और ग्रीन पीस के लिए ट्रस्टी के रूप में कार्य करती हैं वह यूनिवर्सल पीरियोडिक रिव्यू और यूएन स्पेशल रिपॉर्टर, यूएन विमेन इंडिया सिविल सोसायटी एडवाइजरी ग्रुप सहित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्था के साथ सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। साथ ही वह संयुक्त राष्ट्र के डब्लूएचएचआर में मानवाधिकारों के वर्किंग ग्रुप की संस्थापक सदस्य भी हैं और ग्लोबल ह्यूमन राइट्स के लिए फंड के इकट्ठा करने वाली वैश्विक बोर्ड की सदस्य भी हैं।