जानें एयर इंडिया का कौन हो सकता है नया मालिक !
बेंगलुरु। मोदी सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद एयर इंडिया को घाटे से उबारा नहीं जा सका। जिसके बाद केन्द्र सरकार ने सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया की 100 फीसदी बेचने का निर्णय लिया हैं। एयर इंडिया महाराजा के लिए बोलियां मंगाई गई है और बोली जमा करने की आखिरी तारीख 17 मार्च है। इसके साथ ही सरकार ने सब्सिडियरी कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस और एयरपोर्ट सर्विस कंपनी AISATS को भी बेचने के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं।
एयर इंडिया के निजीकरण के लिए 7 जनवरी को ही गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने एक मंत्री समूह ने निजीकरण से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। सरकार द्वारा बोलियां मंगाए जाने के बाद ये सवाल उठना लाज़मी कि यूपी सरकार के समय से घाटे में चल रही एयर इंडिया महाराजा को बेचने में क्या केन्द सरकार कामयाब हो पाएगी आखिर कर्ज में डूबी एयर इंडिया को को खरीद कर कौन इसका नया मालिक बनेगा।
इस साल 8556 करोड़ का शुद्ध घाटा
पहले बता दें सरकारी विमामन कंपनी एयर इंडिया को बेचे जाने की चर्चा यूपीए सरकार के दौरान से लगायी जा रही थी और मोदी सरकार में भी इसके कयास लंबे समय से लगाए जा रहे थे। कर्ज में डूबी एयर इंडिया को घाटे से उबारने के केन्द्र सरकार बहुत प्रयास किया लेकिन वो असफल ही रहे। बता दें वर्तमान समय में एयर इंडिया पर करीब 80 हजार करोड़ का कर्ज है। वित्त वर्ष 2018-19 में एयर इंडिया को 8,556 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। 7 जनवरी को गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने एक मंत्री समूह (ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स) ने निजीकरण से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100 पर्सेंट शेयर सरकार के पास ही हैं। कर्ज में डूबी इस कंपनी को बेचना मोदी सरकार के बड़ी टेढ़ी खीर साबित होने वाली है। एयर इंडिया को कोई कंपनी खरीद ले इसलिए सरकार को बेहतर ऑफर देना होगा।
80 हजार करोड़ कर्ज में डूबी है एयर इंडिया
बता दें मोदी सरकार ने पहले भी 2018 में एयर इंडिया को बेचने का प्रयास किया था उस समय सरकार 76 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही थी, लेकिन उस समय उसको कोई खरीददार नहीं मिला किसी कंपनी ने भी इसके हिस्सेदार खरीदने में रुचि नही दिखायी थी। इसी कारण अब केन्द्र सरकार ने एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है ताकि वो इसे बेच कर इस घाटे वाली कंपनी को छुटकारा पा लेना चाहती हैं। खबरों है कि इसको हर हाल में बेचने के लिए आमदा केन्द्र सरकार ने एयर इंडिया की 80 हजार करोड़ की कर्जदारी का एक बड़ा हिस्सा माफ करने का भी ऑफर कंपनियों को दिया हैं।
हर दिन हो रहा 20-25 करोड़ रुपये का नुकसान
गौर करने वाली बात ये है कि यूपीए सरकार ने 2011-12 में एयर इंडिया में आने वाले 10 साल में 30,000 करोड़ रुपए लगाने को मंजूरी दी थी और दिसंबर 2019 तक सरकार की ओर से एयर इंडिया में 30,520.21 करोड़ रुपए डाले जा चुके हैं। आलम ये है कंपनी को हर दिन लगभग 20-25 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। इसलिए मोदी सरकार एयर इंडिया को और अधिक आर्थिक सहायता नहीं देना चाहती है। 60 फीसदी कर्ज माफ करने तक के लिए वो तैयार हो गयी है। सरकारी आंकड़ो के अनुसार वित्त वर्ष 2019 में कंपनी ने 25,509 करोड़ रुपए की कमाई की और 30,194 करोड़ रुपए खर्च किए, यानी 4,685 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। वर्तमान समय में एयर इंडिया के पास करीब 125 एयरक्राफ्ट हैं और दिसंबर 2019 के अनुसार इसका घरेलू मार्केट में शेयर करीब 11.9 फीसदी है।
ये कंपनियां खरीद सकती हैं एयर इंडिया
केन्द्र सरकार द्वारा 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का ऐलान करने के बाद 60 फीसदी का कर्ज माफ करने के बाद माना जा रहा है कि कई बड़ी एयरलाइंस इसे खरीद सकती हैं। जिसमें टाटा समूह, हिंदुजा, इंडिगो समेत स्पाइसजेट और कुछ निजी इक्विटी फर्म इसके लिए बोलियां लगा सकती हैं। सूत्रों के अनुसार कुछ कंपनियां ज्वाइंट वेंचर के तहत भी दो कंपनियां मिल कर एयर इंडिया को खरीदने का प्लान कर रही हैं। एविएशन इंडस्ट्री के सूत्रों के अनुसार इंडिगो इसे खरीदने वाला सबसे बड़ा दावेदार हो सकता हैं। लेकिन इसे शेयरहोल्डर्स की मंजूरी मिलना मुश्किल है। शुरुआती तौर पर तो बोली तो कोई भी लगा सकता है, लेकिन एग्रीमेंट साइन होने से पहले शेयर होल्डर्स की मंजूरी लेनी जरूरी होती है। इसीलिए इंडिगो अपने शेयर होल्डरों से इस सबंध में बातचीत कर रहा है।
टाटा समूह उठाना चाहता है ये फायदा
गौरतलब है कि टाटा समूह सरकार की इस मजबूरी का खूफ मुनाफे में ये सौदा करने की फिराक में हैं। सूत्रों के अनुसार टाटा सरकार से इस कंपनी को खरीदने के लिए जमकर बार्गेन कर रही हैं। वहीं सरकार भी यह चाह रही हैं अगर बेचने में इसे कोई सरकार को फायदा न हो तो कम से कम इतनी धन राशि तो मिल ही जाए जिससे एयर इंडिया का कर्ज निपटाया जा सके। ये बात तो लाजमी है कि लेकिन इसे खरीदने में अपना इन्ट्रेस्ट दिखाने वाली कंपनियां सरकार का नहीं केवलअपना ही फायदा देखेगी। उनके लिए एयर इंडिया सिर्फ एक कंपनी है उसे सस्ते में खरीदना उनके लिए एक केवल एक डील हैं।
इस बार नहीं बिकी कंपनी तो हो जाएगी बंद
एयर इंडिया के अधिकारियों की माने तो जून 2020 तक एयर इंडिया को कोई खरीददार नहीं मिलता है, तो इसकी हालत भी जेट एयरवेज की तरह हो सकती है और कंपनी बंद भी हो सकती है। कंपनी ने सरकार से 2,400 करोड़ रुपए की सोवरेन गारंटी (कंपनी पर किसी थर्ड पार्टी के कर्ज का निपटारा करने का वादा) मांगी थी, लेकिन सरकार ने सिर्फ 500 करोड़ रुपए की गारंटी दी है। कंपनी के फंड्स से एयर इंडिया अधिक से अधिक जून 2020 तक चल सकती है। उसके बाद भी अगर सरकार ने इसे चलाने के लिए धन नहीं लगाया तो और इस बार भी खरीददार नहीं मिला तो एयर इंडिया के विमान फिर कभी यात्रियों को लेकर हवा में उड़ान नहीं भर सकेगे।
लोहानी भी रहे असफल
फरवरी 2019 में अश्विनी लोहानी को एयर इंडिया का सीएमडी बनाया गया था। लोहानी अगस्त 2017 से सितंबर 2017 के बीच एयर इंडिया के प्रमुख थे। सीएमडी बनाए जाने से पहले अश्विनी लोहानी अगस्त 2017 से सितंबर 2017 के बीच एयर इंडिया के प्रमुख बनाए गए। 2007 के बाद वित्त वर्ष 2017 में पहली बार उनके नेतृत्व में एयरलाइन 105 करोड़ रुपये फायदे में रही। अश्विनी लोहानी वर्तमान में एयर इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर (CMD) हैं। फरवरी 2019 में उन्हें इस मकसद से एयर इंडिया में वापस लाया गया था कि वह डूब रही एयर इंडिया का बेड़ा पार लगाएंगे, लेकिन वह असफल रहे।
जानें एयर इंडिया बंद हुई तो क्या होगा हम पर असर?
गौरतलब है कि एयर इंडिया की घरेलू बाजार में हिस्सेदारी करीब 12 फीसदी है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब 18 फीसदी है। इसके बंद होने से दोनों पर ही असर बहुत पड़ेगा। चूंकि एयर इंडिया सरकारी कंपनी है, इसलिए इसकी सेवाआं का लाभ राजनीतिक उपयोग में खूब लिया जाता हैं। बता दें हज यात्रा के सस्ते पैकेज देकर वोटर्स को लुभाने की कोशिश भी इसके द्वारा खूब की गयी। इसके अलावा हिंदू और सिख धर्म के लोगों के लिए भी धार्मिक स्थलों की यात्रा के लिए इसकी सेवाएं दी गयी वोट बैंक साधने के लिए सरकारों ने कई तरह के लुभावने पैकेज देते आए हैं। सरकारी कंपनी होने के कारण कंपनी की कमाई के बजाय लोगों की सुविधा पर ध्यान देना जरूरी समझा गया। कंपनी उस इलाकों में भी सेवा देती है, जहां बाकी एयरलाइन अपने विमान नहीं भेजते हैं। यही सारी वजह बनी कि कंपनी इनते कर्ज में डूब चुकी हैं। खुदा न खास्ता अगर ये कंपनी बंद होती है तो समझिए कि श्रद्धालुओं को मिलने वाली सब्सिडी बंद हो जाएगी। जेट एयरवेज के बंद से लोगों पर कुछ खास असर नहीं पड़ा, लेकिन एयर इंडिया बंद हुई तो उसका असर लोगों पर जरूर दिखेगा।
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