जानिए कितना होगा देश की पहली बुलेट ट्रेन का किराया
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नई दिल्ली। देश की पहली बुलेट ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद के बीच चलेगी। हर किसी को इस ट्रेन का बेसब्री से इंतजार है, लेकिन इस ट्रेन का किराया तकरीबन हवाई जहाज के किराए के बराबर है। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के एमडी ने बताया कि मुंबई से अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन का किराया 3000 रुपए होगा। बता दें कि बुलेट ट्रेन को चलाने के लिए कुल 1380 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है, जिससे कि मुंबई से अहमदाबाद के बीच हाई स्पीड रेल कोरिडोर तैयार किया जा सके।
45 फीसदी अधिग्रहण पूरा
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए अभी तक कुल 622 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण हो चुका है, यानि बुलेट ट्रेन के लिए कुल 45 फीसदी जमीन का अधिग्रहण हो चुका है, जबकि 55 फीसदी जमीन के अधिग्रहण की अभी भी जरूरत है। एनएचएसआरसीएल के मैनेजिंग डायरेक्टर अचल खरे ने बताया कि हमे इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए कुल 1380 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है, जिसमे प्राइवेट, सरकारी, फॉरेस्ट और रेलवे की जमीन की जरूरत होगी। अभी तक हमने 45 फीसदी जमीन का अधिग्रहण कर लिया है। हम दिसंबर 2023 तक की डेडलाइन के हिसाब से इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की ओर आगे बढ़ रहे हैं।
हर रोज 70 राउंड
खरे ने बताया कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद यह सुबह 6 बजे से रात 12 बजे तक कुल 70 राउंड लगाएगी, यानि मुंबई से अहमदाबाद 35 राउंड और अहमदाबाद से मुंबई 35 राउंड। जिसका टिकट 3000 रुपए होगा। उन्होंने बताया कि चार बड़े सिविल काम के टेंडर को जारी कर दिया गया है, अनुमान है कि इसका काम मार्च 2020 तक शुरू कर दिया जाएगा। पहले पैकेज में वापी से वडोदरा के बीच 237 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी, जबकि दूसरे प्रोजेक्ट के तहत वडोदरा से अहमदाबाद के रूट को पूरा किया जाएगा। जिसमे महाराष्ट्र में समुद्र टनल भी शामिल है। हमे परी उम्मीद है कि यह प्रोजेक्ट अगले वर्ष मार्च-अप्रैल माह तक शुरू हो जाएगा, जब इस प्रोजेक्ट को एजेंसीज को आवंटित किया जाएगा।
कूल लागत 1.08 लाख करोड़
एमडी खरे ने बताया कि मौजूदा लागत की बात करें तो पूरे प्रोजेक्ट की कुल लागत 1.08 लाख करोड़ रुपए आएगी, जिसे दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना है। किसानों के बीच जमीन अधिग्रहण को लेकर नाराजगी पर खरे ने बताया कि किसान जमीन को देने के खिलाफ नहीं हैं। हमे कुल 5300 प्लॉट प्राइवेट सेक्टर से लेना है, जिसमे से 2600 प्लॉट को पहले ही गुजरात में लिया जा चुका है। गुजरात के किसान इस प्रोजेक्ट के खिलाफ नहीं हैं। चूंकि सरकार ने जमीन के दाम को फिक्स कर दिया है, जिसे 2011 के बाद से संशोधित नहीं किया गया है,जिसकी वजह से किसान मांग कर रहे हैं कि इस कीमत को फिर से रिवाइज किया जाना चाहिए, इससे पहले कि उन्हें जमीन का मुआवजा मिले।
4000 पेड़ ट्रांसफर किए गए
खरे का कहना है कि इस मसले को तकरीबन सुलझा लिया गया है। कुल 198 गांव इस प्रोजेक्ट से प्रभावित हो रहे हैं, जिसमे से अब महज 15 गांव के लोगों के साथ इस मसले को सुलझाना है। खरे ने इस बात का भरोसा जताया है कि जमीन की वजह से इस प्रोजेक्ट में देरी नहीं होगी। इस प्रोजेक्ट के लिए बड़े पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने के लिए पहले ही इसके लिए विशेष वाहनों को तैनात कर दिया गया है। अभी तक कुल 4000 बड़े पेड़ को बचाया जा चुका है और उन्हें दूसरी जगह पर स्थानांतरित किया जा चुका है। अहमदाबाद में सिविल वर्क पहले ही शुरू हो चुका है।