जानिए क्या है नेशनल मेडिकल कमीशन बिल 2017, डॉक्टरों ने क्यों की हड़ताल?
doctors strike, What is NMC Bill, national medical commission, MA Strike, nmc bill, doctors strike latest news, doctors strike india, doctors strike rajasthan, doctors strike mangalore, doctors strike kerala, today, doctors strike in jaipur,नेशनल मेडिकल कमीशन बिल 2017, डॉक्टर हड़ताल
नई दिल्ली। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2017 को जन विरोधी और मरीज विरोधी करार देते हुए मंगलवार को देशभर के निजी अस्पतालों को 12 घंटे बंद रखने का आह्वान किया था। हड़ताल के बाद में केंद्र सरकार ने इस बिल को स्टैंडिंग कमेटी में भेज दिया जिसके बाद दोपहर के बाद के देशभर के डॉक्टर काम पर लौट गए। आईएमए ने इस विधेयक को जन विरोधी और मरीज विरोधी बताते हुए कहा कि एक तरफ यह विधेयक भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए लाया जा रहा है, जबकि इससे भ्रष्टाचार की बाढ़ आ जाएगी। आपको बताते है आखिर क्या है नेशनल मेडिकल कमीशन बिल 2017...
चार स्वायत्त बोर्ड बनाने का प्रावधान है
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2017 के तहत चार स्वायत्त बोर्ड बनाने का प्रावधान है। इनका काम अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षा को देखने के अलावा चिकित्सा संस्थानों की मान्यता और डॉक्टरों के पंजीकरण की व्यवस्था को देखना होगा। नेशनल मेडिकल कमीशन में सरकार द्वारा नामित चेयरमैन व सदस्य होंगे जबकि बोर्डों में सदस्य सर्च कमेटी के जरिये तलाश किए जाएंगे। यह कैबिनेट सचिव की निगरानी में बनाई जाएगी। पैनल में 12 पूर्व और पांच चयनित सदस्य होंगे।
लाइसेंस परीक्षा आयोजित कराने का प्रस्ताव है
बिल में साझा प्रवेश परीक्षा के साथ लाइसेंस परीक्षा आयोजित कराने का प्रस्ताव है। सभी स्नातकों को प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस परीक्षा को पास करना होगा। बिल के जरिये सुनिश्चित किया जा रहा है कि सीटें बढ़ाने और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स शुरू करने के लिए संस्थानों को अनुमति की जरूरत नहीं होगी। इस बिल में आयुर्वेद सहित भारतीय चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों को ब्रिज कोर्स करने के बाद एलोपैथी की प्रैक्टिस की इजाजत दी गई है।
ब्रिज कोर्स को एमबीबीएस के बराबर का दर्जा दिया गया है
ब्रिज कोर्स को एमबीबीएस के बराबर का दर्जा दिया गया है साथ ही नीट परीक्षा का स्तर काफी उच्च रखा गया है, जिससे सिर्फ 40 फीसदी स्टूडेंट ही परीक्षा पास कर पाएंगे। इसको एम्स के बराबर दर्जा दिया गया है, जिससे आम स्टूडेंट परेशानी में पड़ सकते हैं। प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 15% सीटों का फीस मैनेजमेंट तय करती थी लेकिन अब नए बिल के मुताबिक मैनेजमेंट को 60% सीटों की फीस तय करने का अधिकार होगा।
अफगानिस्तान: सुरक्षा बलों ने ISIS के 65 आतंकियों को मार गिराया