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जानिए, TikTok ऐप आपके मोबाइल फोन से लेकर क्या-क्या डेटा चीनी सरकार को साझा करता था?

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बेंगलुरू। वीडियो शेयरिंग चाइनीज ऐप टिक्टॉक भारत में अपनी सदगति पर पहुंच चुकी है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि चाइनीज एप टिक्टॉक से आपके मोबाइल के जरिए अपनी निजता और देश की संप्रभुता को कितना बड़ा खतरा था। तात्कालिक कारण भले ही पूर्वी लद्दाख में चीनी और भारतीय सेना में बना हुआ गतिरोध हो, लेकिन आपकी जानकारी के लिए यह जानना जरूरी है कि टिक्टॉक पर मद्रास हाईकोर्ट पहले ही हाईकोर्ट बैन लगा चुकी थी।

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आमतौर इतनी दूर तक कोई नहीं सोचता है, लेकिन अब जब टिक्टॉक पूरी तरह से भारत में प्रतिबंधित हो चुका है, आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी हो गया है कि कैसे महज क्षणिक मनोरंजन के लिए आप अपनी निजी फोटो और वीडियो, मैसेजेज, लोकेशन, विजिटिंग साइट्स, सर्च हिस्ट्री और निजी जानकारियां चीन के हवाले कर रहे थे।

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चीन के हवाले इसलिए, क्योंकि सभी ऐप बनानी वाली चीनी कंपनियों को यूजर्स का डेटा चीनी कम्युनिस्ट सरकार को भेजना लगभग अनिवार्य होता है, जिसका उपयोग चीन सरकार कई माध्यमों से करती है, इनमें मार्केटिंग स्ट्रेटजी महज एक पहलू है, लेकिन चीन सरकार को साझा की जाने वाले डेटा से देश की संप्रभुता और सुरक्षा को सबसे बड़ा चोट पहुंचा सकता है। इन्हीं आरोपों के मद्देनजर मद्रास हाईकोर्ट ने टिक्टॉक पर बैन लगा दिया था।

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कांग्रेस नेता शशि थरूर ने टिक्टॉक को नेशनल थ्रेट बताते हुए उसके बैन करने की वकालत लोकसभा में कर चुके हैं। अमेरिका में बाकायदा टिक्टॉक की मूल मालिक बाइटडांस पर डेटा चोरी करने और डेटा को चीनी सरकार से साझा करने के आरोप में मुकदमा तक दर्ज किया गया था। चीनी ऐप टिक्टॉक पर अमेरिका में दर्ज मुकदमे में आरोप लगा गया कि वह यूजर्स की अनुमति के बिना उनका कंटेंट और डाटा ले रहा है।

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अमेरिका में दर्ज एक और मुकदमे में टिक्टॉक पर आरोप लगा कि वह डेटा से गुप्त व्यापार कर भारी मुनाफा कमा रहा है। मुकदमे में यह भी कहा गया कि टिक्टॉक भले ही विज्ञापन से अपनी कमाई को दर्शाता है, लेकिन असल में यह डाटा से होने वाली कमाई है। हालांक टिक्टॉक की ओर से दी गई सफाई नहीं दी और मुकदमे में लगाए गए आरोपों को लेकर चुप्पी साध ली। अमेरिका में टिक्टॉक के 26.5 मिलियन सक्रिय यूजर में से लगभग 60 फीसदी 16 और 24 वर्ष की आयु के बीच हैं।

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अमेरिका में युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय टिक्टॉक भारत में भी लगभग 30 करोड़ से ऊपर यूजर हैं। बताया जाता है पूरी दुनिया में टिक्टॉक के 50 करोड़ एक्टिव यूजर्स हैं। इस ऐप की खासियत ही इसकी पॉपुलरिटी का राज है, जहां यूजर्स 15 सेकंड बनाकर शेयर करते हैं। इनमें गाना, म्यूजिक, कॉमेडी या फिल्मी डायलॉग शामिल हैं और सर्वाधिक व्यूज वाले वीडियोज और अधिकाधिक फॉलोअर वाले यूजर्स को टिक्टॉक रिवॉर्ड भी देती है। यही कारण है कि भारत समेत पूरी दुनिया में इसका क्रेज तेजी बढ़ गया।

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कैलिफोर्निया के कोर्ट में दायर मुकदमे में एप पर आरोप लगाया गया है कि यह गुप्त रूप से निजी और व्यक्तिगत रूप से पहचान योग्य यूजर्स का डाटा चीन भेज रहा था। इस डाटा के प्रयोग से अमेरिका या किसी भी देश में वर्तमान और भविष्य में भी किसी की पहचान की जा सकेगी और उसे ट्रैक किया जा सकेगा। टिक्टॉक के खिलाफ मुकदमा दायर करने वाली कैलिफोर्निया स्थित एक यूनिवर्सिटी की छात्रा मिस्टी हॉन्ग द्वारा किया गया दावा हैरान करने वाला है।

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हॉन्ग ने दावा किया है कि पिछले साल उसने टिक्टॉक ऐप डाउनलोड किया था, लेकिन उसने अकाउंट नहीं बनाया था। वह तब हैरान रह गई जब कुछ महीने बाद हॉन्ग ने पाया कि टिक्टॉत ऐप ने उसका अकाउंट खुद ही बना दिया है। साथ ही, उसने ड्राफ्ट के वीडियो भी ले लिए हैं, जो उसने कभी पब्लिश नहीं करने के इरादे से बनाए थे। रिपोर्ट के मुताबिक हॉन्ग का डाटा चीन में दो सर्वर पर भेजा गया जो अलीबाबा और टेंसेंट द्वारा समर्थित था।

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मार्च, 2020 में एक रिपब्लिकन सीनेटर जोश हॉले टिक्टॉक के डेटा चोरी का खुलासा करते हुए संघीय कर्मचारियों के टिक्टॉक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का कानून पेश करने का ऐलान कर दिया। सीनेटर ने कंपनी पर चीनी सरकार के साथ डेटा साझा करने का आरोप लगाते कहा कि प्रस्तावित प्रतिबंध सरकार द्वारा जारी किए गए उपकरणों पर लागू होगा।

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सीनेटर जोश हॉले ने अपने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया था कि कैसे टिकटॉक भारी पैमाने पर डेटा में गड़बड़ कर रहा है और उसे बीजिंग के साथ साझा कर रहा है। यही कारण था कि कई राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया विभाग से जुड़ी अमेरिकी एजेंसियों ने कर्मचारियों को टिक्टॉक ऐप उपयोग पर रोक लगा दिया।

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आमतौर पर कई अमेरिकी सांसदों को भी चीन पर संदेह है और वे टिक्टॉक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, ऑनलाइन गोपनीयता और सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में देखते हैं। रिपब्लिकन सीनेटर जोश हॉले के मुताबिक टिक्टॉक ऐप के जरिए यूजर् का डेटा कलेक्ट करता है और उसे चीनी सरकार अपने मनमुताबिक यूज करता है।

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सीनेटर हॉल के मुताबिक टिक्टॉक ऐप यूजर्स की मोबाइल पर मौजूद उसके संवेदनशील और निजी इमेजेज, मैसेजेज, एप्स, सर्च हिस्ट्री, विजिटिंग साइट्स और लोकेशन डेटा को भी ट्रैक करता है। मतलब निजी तौर पर यूजर के लिए यह साइबर साइबर हमला है, जो कि डेटा सिक्युरिटी से जुड़ा हुआ है और एक देश के रूप में यह देश की संप्रुभता और सुरक्षा पर बड़ा हमला है।

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2000 में निर्मित आईटी कानून की धारा 69A क्या कहती है

2000 में निर्मित आईटी कानून की धारा 69A क्या कहती है

भारत सरकार ने वर्ष 2000 में निर्मित आईटी कानून की धारा 69A कहती है कि देश की सम्प्रभुता, सुरक्षा और एकता के हित में अगर सरकार को लगता है, तो वह किसी भी कम्प्यूटर रिसोर्स को आम लोगों के लिए ब्लॉक कर देने का ऑर्डर दे सकती है। यही धारा कहती है कि अगर सरकार का ऑर्डर नहीं माना गया, तो 7-7 तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। चीनी कंपनी टिक्टॉक पर सरकार ने इन्हीं धाराओं में कार्रवाई करते हुए टिक्टॉक समेत 59 एप्स पर बैन लगाया है।

टिक्टॉक को बैन करने के पीछे की यह है प्रमुख और बड़ी वजह

टिक्टॉक को बैन करने के पीछे की यह है प्रमुख और बड़ी वजह

सरकार की तरफ से जारी आदेश में बैन लगाने के पीछे 4 वजहें भी बताई गई हैं। पहली वजह यह कि इन ऐप्स से भारत की सुरक्षा, सम्प्रभुता और एकता को खतरा है। दूसरा वजह यह कि टिक्टॉक से 130 करोड़ भारतीयों की प्राइवेसी और डेटा को खतरा है। तीसरी वजह यह कि इन ऐप्स से यूजर का डेटा चोरी कर भारत से बाहर मौजूद सर्वर पर भेजा जा रहा है। चौथी वजह यह कि भारत का आंतिरक डेटा दुश्मनों के पास पहुंच सकता है।

साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर ने की सिफारिश

साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर ने की सिफारिश

इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर ने देश की संप्रुभता और सुरक्षा को खतरा बताते हुए सरकार से टिक्टॉक पर बैन करने की सिफारिश की। संसद के अंदर और बाहर भी इन ऐप्स को लेकर चिंताएं हैं। जनता भी एक्शन की मांग कर रही थी। अंततः इंडियन साइबरस्पेस की सुरक्षा और सम्प्रभुता के लिए ऐप्स को बैन करने का फैसला लिया गया है।

मोबाइल यूजर के फोन बुक, लोकेशन और इमेजेज जैसे एक्सेस लेते हैं एप्स

मोबाइल यूजर के फोन बुक, लोकेशन और इमेजेज जैसे एक्सेस लेते हैं एप्स

ऐप कंपनियां यूजर से फोन बुक, लोकेशन, वीडियो का एक्सेस ले लेती हैं। उसके बाद वे यूजर की हर एक्टिविटी को ट्रैक करती हैं और उसका डेटा रखना शुरू कर देती हैं। यूजर की आर्थिक क्षमता और खरीदने का पैटर्न समझकर प्रोफाइलिंग की जाती है। यह डेटा चीनी सरकार से भी साझा होता है। जब डेटा चीन के पास पहुंचता है, तो वहां की सरकार को भारत के बाजार के हिसाब से स्ट्रैटजी बनाती है।

सभी चीनी एप्स यूजर की अहम डेटा चुपके से स्टोर करते हैं

सभी चीनी एप्स यूजर की अहम डेटा चुपके से स्टोर करते हैं

यूजर TikTok, Helo, UC Browser और Zoom को आप मनोरंजन के लिए इस्तेमाल करते हैं, लेकिन लगभग सभी चाइनीज एप्स यूजर के फोन के लोकेशन और उसके द्वारा इस्तेमाल होने वाले ऐप्स की अहम जानकारियां चुपके से अपने पास स्टोर करते हैं और चीन की हर कंपनी को अपना डेटा चीनी सरकार के साथ साझा करना अनिवार्य है। चीनी खुफिया एजेंसियां और चीनी सेना इन्हीं डेटा को लेकर देश पर हमला करने की रणनीति तैयार कर सकती हैं।

आपके हर वीडियो और पोस्ट का रखा जाता है आंकड़ा

आपके हर वीडियो और पोस्ट का रखा जाता है आंकड़ा

देश में Tik-Tok, Helo, UC Browser और Zoom एप्स को इस्तेमाल करने वाला हर एक व्यक्ति चीनी सरकार की राडार पर हमेशा रहता है। ऐसे में जाने- अनजाने आप जितने भी वीडियो, इमेज, पोस्ट और बातचीत मोबाइल पर किसी भी ऐप पर साझा करते हैं, उक्त सभी जानकारियां चीनी सर्वर में स्टोर होते रहते हैं। हालांकि एप्स चलाने वाली कंपनियां डेटा के साथ छेड़छाड़ की बातों को सिरे से खारिज करती रहती हैं।

चाइनीज गवर्नमेंट के इशारे पर नाचती हैं सभी चाइनीज कंपनियां

चाइनीज गवर्नमेंट के इशारे पर नाचती हैं सभी चाइनीज कंपनियां

चीन की कम्युनिस्ट गवर्नमेंट एक तरह से डिक्टेटर की तरह काम करती है, क्योंकि वह कभी भी अपने खिलाफ किसी भी तरह का क्रिटिसिज्म बर्दाश्त नहीं कर सकती। चाइनीज गवर्नमेंट को क्रिटिसाइज करने वाली चीज जब कभी भी चाइनीज प्लेनफॉर्म पर डाली जाती है तो गवर्नमेंट का प्रेशर हमेशा उस प्लेटफॉर्म को चलाने वाली कंपनी पर होता है। ऐसे कई मामले भी सामने आते रहे है जब चाइनीज गवर्नमेंट के खिलाफ बोलने वाले वीडियो को टिक्टॉक से हटा दिया गया अथवा यूजर के अकाउंट ब्लॉक कर दिया था।

देश और सुरक्षा से संबंधित अहम डेटा बाहर भेजा जा रहा हैः सुरक्षा एजेंसी

देश और सुरक्षा से संबंधित अहम डेटा बाहर भेजा जा रहा हैः सुरक्षा एजेंसी

सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक तमाम चीनी एप्स के जरिए देश और सुरक्षा से संबंधित अहम डेटा भारत के बाहर भेजा जा रहा है। जिन मोबाइल एप्स को देश की सुरक्षा के लिये खतरा माना गया है, उनमें टिक्टॉक, हेलो, यूसी ब्राउजर और वीडियो कांफ्रेंसिंग एप जूम शामिल हैं। इसके अलावा महिलाओं के लिए शॉपिंग ऐप Shien और Xiaomi को भी सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक बताया गया था।

मद्रास हाईकोर्ट ने पिछले साल टिक्टॉक को बैन किया था

मद्रास हाईकोर्ट ने पिछले साल टिक्टॉक को बैन किया था

टिकटॉक को पिछले साल मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर बैन लगा दियया था। फिर उसे सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई थी। तब सुप्रीम कोर्ट में टिक्टॉक ने कहा था कि बैन से उसे रोज 3.5 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है यानी साल में 1200 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान टिक्टॉक उठाना पड़ रहा है।

टिक्टॉक के खिलाफ शशि थरूर ने लोकसभा में खोला था मोर्चा

टिक्टॉक के खिलाफ शशि थरूर ने लोकसभा में खोला था मोर्चा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने टिक्टॉक ऐप पर रोक लगाने के लिए आवाज बुलंद किया था। उन्होंने सदन को बताया कि टिक्टॉक द्वारा गैरकानूनी तरीके से डेटा जुटाकर चीन को भेजा जा रहा है। थरूर ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बताया था। हालांकि तब भी रटा-रटाया जवाब देते हुए टिक्टॉक ने आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि वह जिन बाजारों में कामकाज करती है, वहां के कानूनों और नियमनों का अनुपालन करती है।

कम्पटीटर म्यूजिकली को 7000 करोड़ में टिक्टॉक ने खऱीदा

कम्पटीटर म्यूजिकली को 7000 करोड़ में टिक्टॉक ने खऱीदा

टिक्टॉक सितंबर 2016 में लॉन्च हुआ था और वर्ष 2017 से उसने अपना इंटरनेशनल एक्सपेंशन शुरू किया। इसी समय उसने कम्पटीटर म्यूजिकली को टिक्टॉक की मूल कंपनी बाइट डांस ने करीब 7 हजार करोड़ रुपए में खरीद लिया, जिसके बाद टिक्टॉक की काफी तेजी से ग्रोथ में दोगुना इजाफा हो गया। वर्ष 2019 में टिक्टॉक ने 100 करोड़ डाउनलोड क्रॉस किए और हाल ही में उसने 200 करोड़ डाउनलोड को क्रॉस कर लिया है।

 2019 में 32 करोड़ टिक्टॉक ऐफ भारत में डाउनलोड हुए

2019 में 32 करोड़ टिक्टॉक ऐफ भारत में डाउनलोड हुए

प्रतिबंधित चाइनीज ऐप टिक्टॉक के लिए इंडिया कितना बढ़ा मार्केट है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2019 में हुए 100 करोड़ डाउनलोड में से 44 फीसदी यानी करीब 32 करोड़ टिक्टॉक ऐप अकेले भारत में डाउनलोड हुए थे। टिक टॉक के एक्टिव यूजर्स की बात की जाए तो अप्रैल 2020 में टिक्टॉक के पास 80 करोड़ एक्टिव यूजर्स थे।

वर्ष 2016 में टिक टॉक के हर महीने लगभग 7 लाख डाउनलोड होते थे

वर्ष 2016 में टिक टॉक के हर महीने लगभग 7 लाख डाउनलोड होते थे

वर्ष 2016 में टिक टॉक के हर महीने लगभग 7 लाख डाउनलोड होते थे। ये आंकड़ा 2020 में 7 करोड़ से ज्यादा हो गया है। अगर सिर्फ भारत की बात की जाए तो यहां पर 11.9 करोड़ मंथली एक्टिव यूजर्स है। यानी करीब 11.9 करोड़ लोग महीने में कम से कम एक बार टिक टॉक का उपयोग करते हैं।

2019 में टिक्टॉक की रेवेन्यू 176 मिलियन डॉलर के करीब था

2019 में टिक्टॉक की रेवेन्यू 176 मिलियन डॉलर के करीब था

टिक्टॉक के रेवेन्यू की बात की जाए तो वर्ष 2019 में उसका रेवेन्यू 176 मिलियन डॉलर के करीब था। भारत के मुकाबले अमेरिका से इस कंपनी को बड़ी कमाई होती है। अमेरिका में टिक्टॉक के 165 मिलियन डाउनलोड्स हैं और कंपनी को कुल 86.5 अमेरिकी डॉलर यानी 650 करोड़ रुपए का रेवेन्यू 2019 में मिला था। कंपनी जुलाई-सितंबर की तिमाही में भारत में 100 करोड़ रुपए का रेवेन्यू का लक्ष्य बनाया था।

कंपनी भारत में कुल 1000 लोगों की भर्ती करने वाली थी

कंपनी भारत में कुल 1000 लोगों की भर्ती करने वाली थी

टिकटॉक के इंडिया हेड निखिल गांधी ने हाल ही में बताया था कि कंपनी भारत में अपने 8 दफ्तरों में 1,000 लोगों की भर्ती करने वाली है। यही नहीं बीते साल टिकटॉक की पैरेंट कंपनी बाइट डांस ने भारत में अगले तीन साल में 1 अरब डॉलर यानी 70 अरब रुपए के निवेश का ऐलान किया था। टिक्टॉक की कंपनी बाइट डांस ने टिक टॉक की तरह और भी एप लॉन्च किए हैं, इनमें हेलो और वीगो वीडियो प्रमुख हैं।

1 लाख से ज्यादा डाउनलोड हो चुके हैं स्वदेशी चिंगारी ऐप

1 लाख से ज्यादा डाउनलोड हो चुके हैं स्वदेशी चिंगारी ऐप

टिक्टॉक पर बैन के बाद अब तक हूबहू भारतीय ऐप चिंगारी 1 लाख से ज्यादा डाउनलोड हो चुके हैं। इस पर अब हर घंटे 20 लाख से ज्यादा व्यूज आ रहे हैं। उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने सरकार के फैसले से दो दिन पहले ही ट्वीट किया, मैंने कभी भी टिक टॉक का इस्तेमाल नहीं किया था, लेकिन अभी-अभी चिंगारी को डाउनलोड किया है।

Comments
English summary
The video sharing Chinese app TikTok has reached its zenith in India, but do you know how big a threat was to your privacy and sovereignty of the country through your mobile with the Chinese app TiktoK. The immediate cause may be the stalemate created by the Chinese and Indian forces in eastern Ladakh, but for your information it is important to know that the Madras High Court had already imposed a high court ban on Tiktok.
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