जानिए WhatsApp पर फैलाए जा रहे 'हिंदू राष्ट्र' वाले मैसेज का सच, पुलिस ने दर्ज की FIR
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत द्वारा अपने बयान (दो बच्चे) पर सफाई देने के बाद भी विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक मैसेज के चलते आरएसएस एक बार फिर विरोधियों के निशाने पर है। दरअसल, पंचकुला से व्हाट्सएप पर एक मैसेज फैलाया जा रहा है कि आरएसएस ने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कर दिया है और उन्होंने नया संविधान भी बनाया है।
व्हाट्सएप पर वायरल हुआ भड़काऊ मैसेज
सोशल मीडिया मैसेजिंग एप व्हाट्सएप पर इन दिनों आरएसएस के खिलाफ एक भड़काऊ संदेश वायरल किया जा रहा है। इस मैसेज में कथित रूप से दावा किया जा रहा है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एक नया संविधान तैयार किया है जो केवल हिंदू धर्म पर आधारित होगा क्योंकि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया गया है। मामला पंचकुला पुलिस के संज्ञान में आते ही केस दर्ज कर लिया गया है और यह मैसेज किसने वायरल किया, इसका पता लगा लिया है।
पुलिस ने एक शख्स को किया गिरफ्तार
पुलिस ने मैसेज वायरल करने के आरोप में सेक्टर 9 के निवासी ईश्वर जिंदल को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उसके खिलाफ 153 ए (विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने), 153 बी (राष्ट्रीय एकीकरण के खिलाफ भड़काना), 295 ए (धार्मिक भावनाओं का अपमान करने) और 504 ए (जानबूझकर अपमान) के तहत केस दर्ज किया है। बता दें कि पुलिस ने आरएसएस कार्यकर्ता कि शिकायत पर ईश्वर जिंदल को गिरफ्तार किया है, मामले की जांच की जा रही है।
किया जा रहा ये दावा
पुलिस के मुताबिक व्हाट्सएप पर फैलाए जा रहे कथित संदेश में कहा गया है कि विधायिका और कार्यदायी संस्थाएं जाति के आधार पर बनाई जाएंगी। सरकारी नौकरी भी केवल जाति के आधार पर दी जाएगी। महिलाओं को कोई अधिकार नहीं होगा। जाति ब्राह्मण और पशु - गाय को सबसे शुद्ध घोषित किया जाएगा। भारत को केवल 'हिंदुस्तान' कहा जाएगा।
आरएसएस का संविधान होने का दावा
वायरल हो रहे मैसेज में कहा जा रहा है कि आरएसएस का संविधान आगामी हिंदू कैलेंडर के नए साल 21 मार्च, 2020 से लागू किया जाएगा। इस संविधान के तहत भारत का भगवा झंडा होगा और इसका राष्ट्रगान 'वंदे मातरम' होगा। जाति के आधार पर, प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ वर्ग के नागरिकों का वर्णन किया जाएगा। बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई, पारसी और साथ ही मुसलमानों आदि को चतुर्थ श्रेणी के नागरिकों के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और राज्यों के मुख्यमंत्री केवल ब्राह्मण होंगे। महिलाओं और शूद्रों को मतदान का अधिकार नहीं मिलेगा।
मोहन भागवत पर साधा निशाना
गौरतलब है कि देश में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बवाल मचा हुआ है इसी बीच आरएसएस चीफ मोहन भागवत के जनसंख्या नियंत्रण पर दिए बयान के बाद विवाद और बढ़ गया। हालांकि रविवार को भागवत ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि यह प्रकाशित किया गया कि मैंने कहा है हर किसी को दो बच्चे पैदा करना चाहिए, लेकिन मैंने इस तरह की कोई बात नहीं कही है। मैंने कहा कि जनसंख्या और संसाधन एक बड़ी समस्या है, लिहाजा इसको लेकर एक नीति बननी चाहिए। इसको लेकर जो नीति बनेगी वह इस बात का निर्धारण करेगी कि किसी को कितने बच्चे पैदा करने चाहिए।
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