India's 007: जानिए, NSA अजीत डोभाल के कारनामों की दास्तां, जिन्हें मिली है हिंसाग्रस्त दिल्ली की कमान!
बेंगलुरू। भारत के दूसरे सबसे बड़े सम्मान कीर्ति चक्र पाने वाले भारत के मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हिंसाग्रस्त राजधानी दिल्ली के उत्तर-पूर्वी में शांति बहाली की कमान सौंपी गई। बुधवार को हिंसा प्रभावित दिल्ली की कमान मिलते ही इलाके का दो बार जायजा कर चुके अजीत डोभाल को पीएम मोदी ने दिल्ली की हिंसा पर समीक्षा बैठक के बाद हालात को संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
बुधवार को एनएसए डोभाल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में शामिल मौजपुर, करावल नगर, घोंडा, जाफराबाद और चांद बाग का दौरा किया। डोभाल ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद वहां स्थिति को शांत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनका वही रूप उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हिंसा प्रभावित इलाकों में दिखा।
Delhi: National Security Advisor (NSA) Ajit Doval interacts with the local residents of #NortheastDelhi. pic.twitter.com/NwSZIHBK7p
— ANI (@ANI) February 26, 2020
गौरतलब है उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सीएए विरोधी हिंसा में मौतों का आंकड़ा बढ़कर अब 34 पहुंच चुका है और हिंसा में घायल हुए लोगों का आंकड़ा 250 के आसपास है। बताया जा रहा है गुरुवार सुबह 10.30 बजे तक दिल्ली की हिंसा में कुल 34 लोगों की मौत हो चुकी है।
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उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए हिंसा में गंभीर रूप से जख्मी पीड़ितों को जीटीबी अस्पताल और एलएनजेपी अस्पताल में एडमिट कराया गया है। जीटीबी अस्पताल में 30 और एलएनजेपी अस्पताल में 2 मौतो की पुष्टि हो चुकी है। दिल्ली पुलिस के मुताबिक अब तक कुल 18 आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई हैं और 106 लोग गिरफ्तार किए गए हैं।
इससे पहले, दिल्ली में संवेदनशील स्थिति के बीच दिल्ली पुलिस ने भारतीय पुलिस सेवा(आईपीएस) के अधिकारी एसएन श्रीवास्तव को तत्काल प्रभाव से स्पेशल कमिश्नर(लॉ एंड ऑर्डर) नियुक्त किया गया और एक महीने के लिए दिल्ली के हिंसाग्रस्त इलाकों में धारा 144 लगा दिया गया और दिल्ली पुलिस को उपद्रवियों को देखते ही गोली मार देने का आदेश दे दिया गया है।
गत 24-25 फरवरी के बीच दिल्ली में भड़की हिंसा के मद्देनजर गृह मंत्री अमित शाह ने 24 घंटों के भीतर लिए तीन बैठकों के बाद हिंसा प्रभावित इलाकों में शांति बहाली के लिए उक्त फैसला लिया। उक्त बैठक में दिल्ली के प्रशासक उपराज्यपाल अनिल बैजल और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी शामिल थे।
माना जा रहा है शूट एंड साइट के आर्डर के बाद दिल्ली के हिंसा प्रभावित इलाकों में शांति है और लोग अपने-अपने घरों में कैद हो गए हैं। फिलहाल दिल्ली के हिंसा प्रभावित की कमान एनएसए अजीत डोभाल के हाथ में है। गुरूवार को कमान संभालने के बाद एनएसए हिंसा प्रभावित इलाकों में शामिल मौजपुर, करावल नगर, घोंडा, जाफराबाद और चांद बाग का दौरा किया और स्थानीय लोगों से बातचीत की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को हालात की जानकारी सौंपने के बाद बाहर निकले एनएसए ने कहा कि दिल्ली में सब शांति है।
वैसे, हिंसा प्रभावित इलाकों के दौरे के बाद गृह मंत्री और एनएसएए की़े बीच बैठक करीब 2 घंटे चली। बैठक में गृह सचिव और दिल्ली पुलिस के कमिश्नर भी मौजूद थे। डोभाल ने सिलसिलेवार तरीके से हिंसाग्रस्त इलाकों की जानकारी देते हुए गृह मंत्री को आश्वस्त किया कि दिल्ली में हालात अब तेजी से सामान्य हो रहे हैं और हिंसा प्रभावित इलाकों में अभी शांति की स्थिति हैं।
हालांकि प्रभावित इलाकों में अभी भी कर्फ्यु जैसे हालात हैं, जहां अगले एक महीने तक धारा 144 लगाया गया है। पैरा मिलेट्री फोर्स की टुकड़ियां मौके पर किसी भी अशांति प्रिय घटनाओं को रोकने के लिए लगातार फ्लैग मार्च कर ही हैं।
उल्लेखनीय है मोदी सरकार में कैबिनेट दर्जा हासिल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल केरल कैडर के 1968 बैच के रिटायर्ड आईपीएस ऑफिसर हैं। वर्ष 1972 में भारतीय खुफिया एजेंसी आईबी से जुड़े डोभाल मूलत: उत्तराखंड के पौडी गढ़वाल के हैं, जिन्हें मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में लगातार दूसरी बार भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया।
पहली बार मई 2014 में उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया गया था। हालांकि तब उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा हासिल था। डोभाल एक मात्र ऐसे भारतीय नागरिक हैं जिन्हें शांतिकाल में दिया जाने वाले दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया जा चुका है और उनके बहादुरी के किस्से इतने रोमांचक हैं कि हॉलीवुड फिल्मों के जेम्स बांड भी उनके आगे फीके लगते हैं।
एनएनए अजीत डोभाल से छूटती है पाकिस्तान की कंपकंपी
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एक ऐसे भारतीय हैं, जो खुलेआम पाकिस्तान को एक और मुंबई हमले के बदले बलूचिस्तान छीन लेने की चेतावनी देने से गुरेज़ नहीं करते हैं। अपने देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध डोभाल करीब 7 साल तक पाकिस्तान के लाहौर में मुसलमान बनकर जासूसी करते रहे और बचकर वापस वतन भी लौट आए। यही कारण है कि पाकिस्तान जब एनसए डोभाल का नाम सुनती है तो उसकी कंपकंपी छूट जाती है। पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक और पाकिस्तान में घुसकर एयर स्ट्राइक के मास्टर माइंड डोभाल ही थे। उनके ही नेतृत्व में भारतीय सेना ने म्यनमार में सीमापार सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया।
ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान गुप्तचर की भूमिका निभाई
भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान एनएसए अजित डोभाल ने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई थी, जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका। इस दौरान उनकी भूमिका एक ऐसे पाकिस्तानी जासूस की थी, जिसने खालिस्तानियों का विश्वास जीत लिया था और उनकी तैयारियों की जानकारी मुहैया कार्रवाई थी।
आईसी-814 विमान हाईजैक में मुख्य वार्ताकार थे डोभाल
वर्ष 1999 में आंतकियों ने इंडियन एयरलाइंस की विमान आईसी-814 को काठमांडू से हाईजैक कर लिया था तब एनएसए अजीत डोभाल को भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार नियुक्त किया गया था। बाद में, इस फ्लाइट को आंतकियों द्वारा कंधार ले जाया गया था और यात्रियों को बंधक बना लिया गया था। हालांकि एनएसए डोभाल की बातचीत अपने अंजाम तक पहुंचती, इससे पहले में विमान में फंसे यात्रियों के परिवारों और विपक्षी दलों के दवाब के चलते भारत के जेल में बंद पाकिस्तान के तीन खूंखार आतंकियों को भारत सरकार को छोड़ना पड़ गया था।
जब भारत-विरोधी उग्रवादी कूका पारे को सबसे बड़ा भेदिया बना लिया
अजीत डोभाल को उनके कश्मीर में किए गए कई उल्लेखनीय कामों के लिए जाना जाता है। जब उग्रवादी संगठनों में कश्मीर घाटी में घुसपैठ कर ली थी तो उन्होंने उग्रवादियों को ही शांतिरक्षक बनाकर उग्रवाद की धारा को मोड़ दिया था। उन्होंने एक प्रमुख भारत-विरोधी उग्रवादी कूका पारे को अपना सबसे बड़ा भेदिया बना लिया था।
ललडेंगा के 6 कमांडरों का विश्वास जीत नॉर्थ-ईस्ट हिंसा खत्म कराई
अस्सी के दशक में वे उत्तर पूर्व में भी सक्रिय रहे। उस समय ललडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट ने हिंसा और अशांति फैला रखी थी, लेकिन तब डोवाल ने ललडेंगा के सात में छह कमांडरों का विश्वास जीत लिया था और इसका नतीजा यह हुआ था कि ललडेंगा को मजबूरी में भारत सरकार के साथ शांतिविराम का विकल्प अपना पड़ा था।
खालिस्तान द्वारा अपहृत रोमानियाई राजयनिक को छुड़ाया
वर्ष 1991 में डोभाल ने खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट द्वारा अपहरण किए गए रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू को बचाने की सफल योजना बनाई थी। डोभाल ने पाकिस्तान और ब्रिटेन में राजनयिक जिम्मेदारियां भी संभालीं और एक दशक तक उन्होंने खुफिया ब्यूरो की ऑपरेशन शाखा का भी नेतृत्व किया।
म्यांमार की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाई
डाभोल ने पूर्वोत्तर भारत में सेना पर हुए हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाई और भारतीय सेना ने सीमा पार म्यांमार में कार्रवाई कर उग्रवादियों को मार गिराया। भारतीय सेना ने म्यांमार की सेना और एनएससीएन खाप्लांग गुट के बागियों सहयोग से ऑपरेशन चलाया, जिसमें करीब 30 उग्रवादी मारे गए हैं।
इराक में फंसी 46 भारतीय नर्सो की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित कराई
जून 2014 में एनएसए अजीत डोभाल ने उन 46 भारतीय नर्सों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो इराक के तिकरित में एक अस्पताल में फंसी हुई थीं। हालांकि उनकी रिहाई की सही स्थिति स्पष्ट नहीं है, 5 जुलाई 2014 को ISIS आतंकवादियों ने नर्सों को एरबिल शहर में अधिकारियों को सौंप दिया था और भारत सरकार द्वारा दो विशेष रूप से व्यवस्थित विमानों से उन्हें कोच्चि में वापस घर लाया गया।
पाकिस्तान में हुए सर्जिकल स्ट्राइक के मास्टर माइंड थे डोभाल
भारत ने 28-29 सितंबर की रात पाकिस्तान में घुसकर की गई सर्जिकल स्ट्राइक के मास्टर माइंड एनएसए अजीत डोभाल ही थे, जो भारत के लिए शत्रुतापूर्ण लक्ष्यों को बेअसर करने में बेहद प्रभावी थे। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों पर बमबारी की थी। इस ऑपरेशन का पूरान ताना बाना डोभाल ने ही बुना था। उन्होंने पाकिस्तान को छकाने की रणनीति बनाई थी और पूरे ऑपरेशन के दौरान डीजीएमओ के साथ लगातार संपर्क में रहे थे और हर पल की जानकारी लेते रहे थे।
कश्मीर में शांति बहाली की जिम्मेदारी अजीत डोभाल को दी गई
भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35ए को निष्प्रभावी बनाने के बाद जम्मू और कश्मीर में जमीनी स्तर पर शांति बहाली और उससे संबंधित सभी तरह की जिम्मेदारी का भार उठाने की एक बार फिर एनएसए डोभाल को दिया। डोभाल कश्मीर घाटी गए और वहां की हालात का जाएजा लिया। कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की गई ताकि किसी तरह की अप्रिय हालात का सामना न करना पड़े। कश्मीर में हुए क्रांतिकारी परिवर्तन के बाद अगर कश्मीर शांत है, उसके पीछे अजीत डोभाल का हाथ कहा जा सकता है।
ग्राउंड जीरो में रहकर कश्मीर में सुरक्षा-चाक चौबंद कराई
जम्मू कश्मीर 370 हटाने के फैसले के पहले भी एनएसए अजीत डोभाल ने कश्मीर घाटी का दौरा करके वहां का जायजा लिया था, जिसके बाद घाटी में सुरक्षाबलों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोत्तरी की गई और बाद में एयरफोर्स को भी हाई अलर्ट पर रखा गया, क्योंकि अमरनाथ यात्रा पर जा रहे श्रद्धालुओं पर आतंकी हमले का खतरा था। धारा 370 हटाने के बाद डोभाल श्रीनगर के लिए निकल पड़े और ग्राउंड जीरो पर रहकर सुरक्षा व्यस्था चाक चौबंद की थी।
अब कश्मीर में ‘दिल जीतो’मिशन पर हैं एनएसए अजीत डोभाल
जम्मू-कश्मीर से करीब 73 वर्ष बाद हटाए गए अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाने के बाद एनएसए अजीत डोभाल दक्षिणी कश्मीर के सबसे संवेदनशील इलाके शोपियां में पहुंचे और आम कश्मीरियों के साथ बातचीत ही नहीं की, बल्कि उनके साथ खाना भी खाया। उस दौरान मीडिया में आईं तस्वीरों से स्पष्ट हुआ कि मोदी सरकार सिर्फ सुरक्षाबलों को तैनात कर ही सुरक्षा की तैयारी नहीं कर रही, बल्कि कश्मीर के लोगों को यह भरोसा भी जीतने के लिए उनके साथ संवाद कर रही है। सरकार ने इस काम जिम्मा भी अजीत डोभाल का सौंपा था, जो अभी भी जम्मू-कश्मीर में अमन लौटाने का काम कर रहे हैं, जिसका प्रमुख मिशन कश्मीरियों का दिल जीतना है।