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जानिए नागरिकता संशोधन विधेयक से जुड़ी खास बातें

नागरिकता संशोधन बिल आज राज्यसभा में पेश किया। जिस पर बहस जारी है। आइए जानिए इस बिल और इससे कुछ खास बातें

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बेंगलुरु। केन्‍द्र सरकार द्वारा आज राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश किया गया। राज्यसभा में इस बिल पर सरकार और विपक्ष के बीच बहस चल रही है। विगत सोमवार को नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पास हो चुका है। लोकसभा में एनडीए सरकार के पास पूर्ण बहुमत से कहीं अधिक का आंकड़ा था, लेकिन राज्यसभा में एनडीए के पास कुछ सीटें कम हैं। इसलिए राज्यसभा में इस बिल का पास होना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है। हालांकि केन्‍द्र सरकार इस बिल के लिए भाजपा उतनी भी आश्‍वस्‍त दिख रही है जितनी तीन तलाक और अनुच्‍छेद 370 हटाए जाने संबंधित बिल के समय में थी। इसलिए माना जा रहा है विपक्ष के कड़े विरोध के बावजूद मोदी सरकार राज्य सभा में भी यह बिल पास करवाने में सफलता हासिल कर लेगी। ऐसे में आपको इस बिल के बारे में हर वो अहम बात पता होनी चाहिए जो इससे संबंधित है। आइए जानते हैं नागरिकता संशोधन बिल से जुड़ी अहम बातें....

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नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया गया है, जिससे नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव होगा। नागरिकता बिल में इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा।

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भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में 11 साल निवास करने वाले लोग योग्य होते हैं। नागरिकता संशोधन बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है।

बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को नागरिकता दी जाएगी, जो बीते 1 से लेकर 6 साल तक में भारत आकर बसे हैं। अभी तक भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए यह अवधि 11 साल की है।

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इस नए विधेयक का उद्देश्‍य 'गैरकानूनी रूप से भारत में घुसे' लोगों तथा भारत के पड़ोसी राज्यों में धार्मिक अत्‍याचार का शिकार होकर भारत में शरण लेने वाले लोगों में स्पष्ट रूप से अंतर किया जा सके।

पिछले कुछ माह से असम में एनआरसी को अपडेट किया जा रहा है। असम के लोग नागरिकता संशोधन बिल लागू होने की स्थिति में एनआरसी के प्रभावहीन हो जाने का हवाला देते हुए लोग विरोध कर रहे हैं। जबकि मोदी सरकार का कहना है कि एनसीआर और कैब को एक करके न देखा जाए। इस बिल का एनसीआर से कोई लेना देना नही है।

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असम में भाजपा के साथ सरकार चला रहा असम गण परिषद (अगप) भी नागरिकता संशोधन बिल को स्थानीय लोगों की सांस्कृतिक और भाषायी पहचान के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध कर रहा है। वहीं पूर्वोत्‍तर समेत अन्‍य राज्य में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम, समाजवादी पार्टी, वामदल तथा राष्ट्रीय जनता दल इस बिल के विरोध में हैं।

इसे सरकार की ओर से अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। गैर मुस्लिम 6 धर्म के लोगों को नागरिकता प्रदान करने के प्रावधान को आधार बना काग्रेस, टीएमसी, माकपा और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट धार्मिक आधार पर नागरिकता प्रदान किए जाने का विरोध कर रहे हैं।

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नागरिकता अधिनियम में इस संशोधन को 1985 के असम करार का उल्लंघन भी बताया जा रहा है जिसमें वर्ष 1971 के बाद बांग्लादेश से आए सभी धर्मों के नागरिकों को निर्वासित करने की बात थी।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिल को लेकर मोदी सरकार पर बड़ा हमला किया है। ओवैसी ने कहा कि यदि इस लागू किया जाता है तो भारत इसराइल बन जाएगा जिसे 'भेदभाव' करने के लिए जाना जाता है।

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देश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है। इन राज्यों की चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी संख्या में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है।

नागरिकता संशोधन विधेयक पूरे देश में लागू किया जाना है लेकिन इसका विरोध पूर्वोत्तर राज्यों, असम, मेघालय, मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में हो रहा है क्योंकि ये राज्य बांग्लादेश की सीमा के बेहद क़रीब हैं। इन राज्यों में इसका विरोध इस बात को लेकर हो रहा है कि यहां कथित तौर पर पड़ोसी राज्य बांग्लादेश से मुसलमान और हिंदू दोनों ही बड़ी संख्या में अवैध तरीक़े से आ कर बस जा रहे हैं।

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पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध इस चिंता के साथ किया जा रहा है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिंदुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है। विरोध इस बात का है कि वर्तमान सरकार हिंदू मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की फिराक में प्रवासी हिंदुओं के लिए भारत की नागरिकता लेकर यहां बसना आसान बनाना।

विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि नागरिकता संशोधन बिल 2019 के जरिए मोदी सरकार उन विदेश से आए हिंदुओं को भारत की नागरिकता देना चाहती है जो अवैध रूप से देश में आए थे और एनआरसी की लिस्‍ट से बाहर हो गए हैं। वहीं दूसरी ओर, मुस्लिम लोगों को देश से वापस जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं होगा, क्योंकि इस बिल के तहत मुस्लिमों को नागरिकता देने की बात नहीं कही गई है। विपक्ष का आरोप है कि हिंदू मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा सरकार ये बिल ला रही है ताकि हिंदू प्रवासियों का भारत में बसना आसान किया जा सके।

इसे भी पढ़े - जानिए नागरिकता संशोधन बिल पर समर्थन देने से क्यों डर रही शिवसेना ?

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English summary
The citizenship amendment bill was introduced in the Rajya Sabha today. The debate is on. Come, know this bill and some special things from it.
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