जानिए, कोरोनावायरस संक्रमित पहले भारतीय की मौत के पीछे की असल वजह!
बेंगलुरू। कर्नाटक के कलबुर्गी में कोरोनावायरस से संक्रमित एक 76 वर्षीय व्यक्ति की मौत के बाद से भारत में दहशत बढ़ गई है। भारत में यह पहला मरीज था, जिसकी मौत की पुष्टि COVID19 से संक्रमण के कारण हुई है। सऊदी अरब में करीब एक महीने बाद लौटे बुजुर्ग की मौत गत 10 मार्च को ही हो गई थी।
चूंकि 11 मार्च से पहले मामला संदिग्ध था कि मृतक 76 वर्षीय बुजुर्ग की मौत की वजह कोविड-19 थी अथवा नहीं, लेकिन 12 मार्च को बुजुर्ग के लिए गए नमूने की लैब रिपोर्ट आने के बाद कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री बी श्रीमुलू ने बुजुर्ग की नोवल कोरोनावायरस से हुई मौत की आधिकारिक पुष्टि कर दी। यह पहला मौका था जब भारत में किसी कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति की मौत हुई थी।
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दरअसल, कोरोना संदिग्ध बुजुर्ग गत 29 फरवरी को सऊदी अरब से अपने घर कलबुर्गी वापस लौटा था और सऊदी अरब से लौटे मृतक बुजुर्ग तब फ्लू, कफ, खरास (कोरानावायरस संक्रमित मरीज के शुरूआती लक्षण) से पीड़ित था, लेकिन हैदराबाद एयरपोर्ट से सीधे अस्पताल भेजने के बजाय मरीज को उसके घर भेज दिया गया। यह हैदराबाद एयरपोर्ट की घोर से की गई एक बड़ी लापरवाही थी।
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कलबुर्गी पहुंचने पर जब फ्लू, खरास और खांसी से पीड़ित बुजुर्ग को करीब पांच दिन तक उसे अस्पताल में भर्ती कराने में लापरवाही बरती गई, जिससे संक्रमित मरीज की तबियत बिगड़ती चली गई। बताया जाता है कि मृतक पहले से ही अस्थमा और हाइपरटेंशन पीड़ित था। सऊदी अरब से फ्लू ग्रस्त मृतक को पहली बार अस्पताल में गत 6 मार्च को अस्पताल में दिखाया गया।
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कलबुर्गी के एक निजी अस्पताल में ले जाए गए बुजुर्ग को डाक्टरों ने प्राथमिक जांच के बाद वायरल निमोनिया और कोविड 19 के आधार पर उपचार की कोशिश की, लेकिन यहां ध्यान देने की बात यह है कि अगर मृतक को तुरंत सार्वजनिक हॉस्पिटल में भर्ती कराया जाता तो न केवल उसका इलाज बेहतर बल्कि मानक तरीको से इलाज होता और मरीज जीवित भी लौट सकता था।
बताया जाता है कि निजी अस्पताल द्वारा मृतक बुजुर्ग के लिए गए नमूने को ही जांच के लिए बेंगलुरू लैब में भेजा गया था, लेकिन मृतक के परिवारों ने लैब जांच रिपोर्ट का इंतजार किए बिना ही मरीज को लेकर हैदराबाद लेकर चले गए और जब वहां से निराश होकर रिफर्ड गुलबर्गा आयुर्विज्ञान संस्थान जा ही रहे थे कि बुजुर्ग की रास्ते में ही मौत हो गई।
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माना जाता है कि डाक्टर की सलाह के विपरीत पीड़ित मृतक को उसका परिवार जबरन हैदराबाद नहीं ले जाता तो स्थिति दूसरी हो सकती थी, लेकिन परिवार की लापरवाही में मृतक की जान पर बन गई। कलबुर्गी जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने मृतक के परिजनों को उसे गुलबर्गा आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराने का सुझाव दिया था, लेकिन परिजन उसकी परवाह किए बिना एक कोरोना मरीज के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ किया।
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पीड़ित बुजुर्ग की गुलबर्गा आयुर्विज्ञान संस्थान में पहुंचने से पहले एंबुलेंस में हुई मौत की पुष्टि स्वास्थ्य आयुक्त पंकज कुमार पांडे ने की है। गत 11 मार्च तक सरकार ने बुजुर्ग की मौत को नोवल कोरोना वायरस से हुई मौत पर आधिकारिक पुष्टि इसलिए नहीं, क्योंकि तब तक लैब रिपोर्ट नहीं आई थी, लेकिन 12 मार्च की रात को रिपोर्ट आई दूध का दूध और पानी का पानी हो गया।
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76 वर्षीय कलबुर्गी बुजुर्ग की मौत को टाला जा सकता था
महत्वपूर्ण बात यह है कि कोरोना वायरस संक्रमित 76 वर्षीय कलबुर्गी बुजुर्ग की मौत को टाला जा सकता था, लेकिन उसमें परिवार द्वारा घोर लापरवाही बरती गई जबकि केंद्र सरकार, स्वास्थ्य मंत्रालय और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना वायरस के संक्रमण के लक्षण और उसके बचाव के बारे में लगातार विभिन्न माध्यमों से लोगों सूचित कर रहे हैं। यह सूचना खासकर उन लोगों को अधिक चिन्हित करके बताया जा रहा था, जो विदेश से लौटे है् या लौटना चाहते हैं।
29 मार्च को सऊदी अरब से हैदराबाद एयरपोर्ट लौटे बुजुर्ग को फ्लू था
लापरवाही की हद कहेंगे कि 29 मार्च को फ्लू, खांसी और कफ के साथ सऊदी अरब से हैदराबाद एयरपोर्ट पर उतरे मृतक बुजुर्ग को सीधे अस्पताल में ले जाने के बजाय घर ले जाया गया और वहां उसे करीब एक सप्ताह तक बिना इलाज के रखा गया और जब उसकी तबियत बिगड़ने लगी तो उसे सार्वजनिक अस्पताल ले जाने के बजाय निजी अस्पताल में दिखाया गया, जहां डाक्टरों ने जांच के बाद स्पष्ट रूप से मरीज का इलाज वायरल निमोनिया और नोवल कोराना वायरस पीड़ित की तरह किया गया।
मृतक बुजुर्ग भारत पहुंचने के एक सप्ताह पहले ही संक्रमित हुआ होगा
यह पूरी तरह स्पष्ट है कि मृतक बुजुर्ग 29 फरवरी से एक सप्ताह पहले ही कोरोना वायरस के संपर्क में आया होगा, क्योंकि कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति पर यह वायरस प्रभावी होने में कम से कम एक हफ्ते का समय लेता है जबकि जब हैदराबाद एयरपोर्ट पर मृतक ने लैंड किया था तभी वह फ्लू, खांसी और कप से ग्रस्त पाया गया था। कहने का मतलब है कि मरीज कोरोना वायरस से जूझ रहा था, लेकिन मामले में लापरवाही बरती गई और एक सप्ताह के बाद यानी 6 मार्च को मरीज की हालत काबू से बाहर हो गई तो उसे अस्पताल में ले जाया गया।
बुजुर्ग को एयरपोर्ट से सीधे अस्पताल ले जाया जाता तो स्वस्थ हो सकता था
फर्ज कीजिए अगर मरीज को एयरपोर्ट से सीधे अस्पताल ले जाया गया होता तो मरीज आज स्वस्थ हो सकता था और उसकी जान बचाई जा सकती है। 76 वर्षीय कलबुर्गी बुजुर्ग की मौत के बाद दहशत और इसलिए बढ़ गई है, क्योंकि 29 फरवरी से 10 मार्च के बीच यानी 10 दिनों के अंतराल में मृतक बुजुर्ग परिवार समेत कितने लोगों को संपर्क में आया होगा और उससे जुड़े और मिले लोग और उन लोगों से मिले कितने लोग इससे संक्रमित हुए होंगे, इसका पता लगा पाना सरकार के लिए भी बेहद दुष्कर कार्य होगा।
कर्नाटक में अभी तक कुल 6 मरीज संक्रमित पाए जा चुके हैं
कर्नाटक में अभी तक कुल 6 मरीज कोरोना वायरस संक्रमित पाए जा चुके हैं और लगातार मामलों में वृद्धि हो रही है। अकेले बेंगलुरू मे पांच मरीज नोवल कोरोना वायरस के पॉजिटिव पाए गए है। कर्नाटक स्वास्थ्य मंत्री श्रीरामुलू के मुताबिक मृतक 76 वर्षीय बुजर्ग के संपर्क में आए सभी लोगों को चिन्हित कर उनकी भी जांच करवाई जा रही है और मृतक के संपर्क में करीब 43 लोग आए लोगों की भी जांच की जा रही है।
वरना कर्नाटक में कोरोना वायरस संक्रमित लोगों की बाढ़ आ जाती?
सोचिए अगर बुजुर्ग के संपर्क में आए चिन्हित लोगों को समय रहते पकड़ा नहीं जाता तो कर्नाटक में कोरोना वायरस संक्रमित लोगों की बाढ़ आ सकती थी। निः संदेह यह एक घोर लापरवाही का मामला है और भविष्य में अगर ऐसी ही लापरवाही दोहराई जाती रही तो भारत में कोरोना वायरस मरीजों की संख्या में दिनोदिन बढ़ोत्तरी होने में देर नहीं लगेगी। इसकी तस्दीक पिछले कुछ दिनों में कोरोना वायरस संक्रमित लोगों की पूरे देश में बढ़ रही संख्या से की जा सकती है।
2 मार्च और 11 मार्च के बीच में भारत में 62 लोग कोरोना संक्रमित मिले
गत 3 फरवरी से 1 मार्च के अंतराल में एक ओर जहां पूरी दुनिया में कोरोना वायरस को लेकर त्राहिमाम मचा हुआ था, तो दूसरी ओर भारत में कोरोना वायरस संक्रमित एक भी मरीज नहीं पाया गया, यह भारतीय दृष्टिकोण से एक सुखद स्थिति थी, लेकिन गत 1 मार्च के बाद वक्त ने करवट लिया। गत 2 मार्च और 11 मार्च के बीच में भारत में 62 लोग परीक्षण के दौरान Covid19 वायरस से संक्रमित पाए गए और गत 12 मार्च को 11 और कोरोना संक्रमित मरीजों के पॉजिटिव मिले तो भारतीयों की पैशानी पर बल पड़ गए।
कोरोना वायरस से मरने वाले मरीजों की संख्या 5000 पार कर गई है
वर्तमान समय में पूरी दुनिया में आधिकारिक रूप से कोरोना वायरस से मरने वाले मरीजों की संख्या 5000 पार कर गई है और करीब 139, 356 लोग संक्रमित पाए जा चुके है। यह संख्या लगातर बढ़ रही है और मौत का आंकड़ा पिछले दो दिनों से प्रति दिन के लिहाज से 8 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। भारत में भी कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या भी संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। 2 मार्च से 11 मार्च के बीच यानी 10 दिन में 62 मरीज मिले और 11 से 13 मार्च के बीच भारत में 19 मरीज और संक्रमित पाए गए हैं।
भारत में कोरोना संक्रमित पहला मरीज केरल में 30 जनवरी को मिला
भारत में कोरोना वायरस संक्रमित पहला मरीज दक्षिण भारतीय राज्य केरल में गत 30 जनवरी को पाया गया था। चीन से लौटे कोरोना संक्रमित मरीज मिलने के चार दिन बाद ही केरल में दो और मरीज कोरोना वायरस संक्रमित मरीज पाए गए। केरल में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ी तो केरल सरकार ने बिना देर किए गत 3 फरवरी को ही राज्य में स्वास्थ्य आपदा घोषणा कर दी। इसके बाद केरल में संक्रमित तीनों मरीजों को तत्काल आइसोलेशन सेंटर में रखा गया और उनके संपर्क में आए संभावित 3400 लोगों पर भी नज़र रखा गया और उसके दूसरे दिन तीनों को डिस्चार्ज कर दिया गया।