लोकसभा चुनाव 2019: सातवें चरण में इन दिग्गजों की किस्मत का फैसला ईवीएम में होगा कैद, कई सीटों पर रोचक मुकाबला
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के सातवें चरण के लिए और आखिरी चरण में 19 मई को सात राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश की 59 सीटों पर मतदान होगा। आम चुनाव के आखिरी चरण में पंजाब की सभी 13, उत्तर प्रदेश की 13, पश्चिम बंगाल की 9, बिहार की 8, मध्य प्रदेश की 8, हिमाचल प्रदेश की सभी 4, झारखंड की 3 और चंडीगढ़ की एक सीट पर वोटिंग होगी। वोटों की गिनती 23 मई होगी। इस चरण में कई दिग्गज नेताओं की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी। इस चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अपना दल की प्रमुख अनुप्रिया पटेल, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, बीजेपी से कांग्रेस में आए शत्रुघ्न सिन्हा, लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार, अभिनेता से नेता बने सनी देओल, आप के सासंद भगवंत मान और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल जैसे दिग्गज नेताओं के भाग्य का फैसला जनता करेगी।
वाराणसी- देश की वीआईपी सीट
उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट लोकसभा सीट से एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है। इस बार उनका मुकाबला महागठबंधन की प्रत्याशी शालिनी यादव और कांग्रेस के प्रत्याशी अजय राय से है। गौरतलब है कि मोदी ने पिछली बार पहला लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए वाराणसी को चुना था और रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की थी। साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और मौजूदा दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को 3,71,784 वोटों के अंतर से हराया था। नरेंद्र मोदी को इस चुनाव में कुल 5,81,022 वोट मिले थे जबकि दूसरे स्थान पर अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 मत और कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय 75,614 वोट मिले थे। इस बार देखना होगा कि महागठबंधन की उम्मीदवार शालिनी यादव और अजय राय पीएम मोदी को कितनी टक्कर दे पाते हैं।
योगी के गढ़ से रवि किशन उम्मीदवार
गोरखपुर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ कहा जाता है। लेकिन पिछले उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने इसे ढहा दिया था। यहां से योगी आदित्यनाथ लगातार पांच बार सासंद रहे थे। इस बार इस सीट से बीजेपी ने भोजपुरी सिनेमा के दिग्गज एक्टर रवि किशन को मैदान में उतारा है। वहीं इस सीट पर समाजवादी पार्टी के रामभुआल निषाद महागठबंधन के उम्मीदवार हैं। कांग्रेस ने इस सीट पर मधुसूदन त्रिपाठी को उतारा है। इस सीट पर इस बार रोचक मुकाबला होने की उम्मीद जताई जा रही है।
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मिर्जापुर- अनुप्रिया पटेल को दूसरी बार मिलेगी जीत!
पूर्वांचल की मिर्जापुर लोकसभा सीट से अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल सांसद हैं। उनका मुकाबला इस बार कांग्रेस की ललितेश त्रिपाठी और समाजवादी पार्टी के रामचरित्र निषाद है। साल 2014 के चुनाव में उन्होंने बीएसपी के उम्मीदवार को हराया था। उन्हें ये चुनाव 2.19 लाख वोटों से जीता था। इस बार उन्हें महागठबंधन के उम्मीदवार से कड़ी टक्कर मिल रही है।
शत्रुघ्न सिन्हा रविशंकर को दे पाएंगे मात
बिहार की पटना साहिब सीट से कांग्रेस के टिकट पर शत्रुघ्न सिन्हा मैदान में है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे सिन्हा दो बार से यहां से सांसद हैं। हालांकि वो बीजेपी के टिकट पर यहां से जीते थे। इस बार वो बीजेपी छोड़कर कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला केंद्रीय मंत्री और बिहार बीजेपी के दिग्गज नेता रविशंकर प्रसाद से है। पटना साहिब सीट पर कायस्थ मतदाताओं की संख्या निर्णायक है। रविशंकर प्रसाद और वो कायस्थ समाज से आते हैं। यहां के कुल मतदाताओं की संख्या तकरीबन 20.5 लाख है जिनमें से चार लाख से अधिक कायस्थ हैं। इस सीट पर मुकाबला काफी कड़ा माना जा रहा है। 2014 में भाजपा के शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस उम्मीदवार से 2.65 लाख वोटों से जीते थे।
मीरा कुमार 2014 मे मिली हार का लेंगी बदला
सासाराम से कांग्रेस ने एक बार फिर मीरा कुमार पर दाव लगाया है। इस बार उनका मुकाबला बीजेपी के छेदी पासवान से है। मीरा कुमार सासाराम से दो बार सांसद रह चुकी हैं लेकिन 2014 के चुनाव में मोदी लहर में छेदी पासवान ने उन्हें 63,327 मतों से हराया था। देखना दिलचस्प होगा कि क्या वो अपनी हार का बदला ले पाएंगी। सासाराम सीट उनके पिता की विरासत के तौर पर जाना जाता है।
पाटलिपुत्र में मीसा भारती बनाम रामकृपाल यादव
बिहार की पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से मोदी लहर पर सवार होकर रामकृपाल यादव ने साल 2014 का चुनाव जीता था। वो लालू के बेहद करीबी नेता माने जाते थे। लेकिन साल 2014 में वो बीजेपी में शामिल हो गए। साल 2014 में रामकृपाल यादव ने लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती से 40 हजार वोटों से जीते थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में पहली बार पटना लोकसभा क्षेत्र को बांटकर पटना साहिब और पाटलिपुत्र दो लोकसभा क्षेत्र बनाए गए। लालू यादव के परिवार के लिए ये सीट प्रतिष्ठा का विषय है। इन दोनों के बीच इस सीट पर कांटे की टक्कर हो सकती है।
बक्सर लोकसभा सीट
बिहार की बक्सर सीट पर बीजेपी के अश्विनी चौबे और आरजेडी के जगदानंद सिंह के बीच मुकाबला है। साल 2014 के चुनाव में अश्विनी चौबे ने जगदानंद सिंह को 1.32 लाख वोटों सेहराया था। बक्सर संसदीय सीट से जनतांत्रिक विकास पार्टी (जविपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार चुनावी रणभूमि में उतर कर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में है। लोकसभा क्षेत्र में करीब 18 लाख 06 हजार मतदाता हैं। इनमें करीब नौ लाख 54 पुरुष और आठ लाख 52 हजार महिला शामिल हैं। देखना होगा कि इस बार जनता किसे चुनती है।
काराकाट सीट से उपेंद्र कुशवाहा का क्या होगा
बिहार
की
काराकाट
सीट
से
आरएलपी
प्रमुख
महागठबंधन
के
उम्मीदवार
हैं।
साल
2014
में
बीजेपी
के
साथ
उनकी
पार्टी
का
गठबंधन
था
और
मोदी
लहर
में
उन्हें
जीत
मिली
थी।
इस
बार
उनका
मुकाबला
जेडीयू
के
महाबली
सिंह
हैं।
साल
2014
में
उपेंद्र
कुशवाहा
एक
लाख
से
ज्यादा
वोटों
से
जीते
थे।
लेकिन
इस
बार
उन्हें
इस
सीट
पर
कड़ी
टक्कर
मिल
रही
है।
काराकाट
संसदीय
क्षेत्र
में
सवर्ण
और
यादव
वोटरों
का
दबदबा
है।
मुस्लिम
और
कुशवाहा
वोटर्स
यहां
गेमचेंजर
साबित
हो
सकते
हैं।
यहां
सवर्ण
करीब
20
फीसदी
,यादव
16
फीसदी,
मुस्लिम
11
फीसदीऔर
कुशवाहा
वोटरों
की
आबादी
8
प्रतिशत
है।
खंडवा-बुरहानपुर लोकसभा सीट
मध्यप्रदेश की खंडवा लोकसभा सीटे में बीजेपी के नंदकुमार सिंह चौहान और कांग्रेस के अरुण यादव के बीच मुकाबला है। साल 2014 में नंदकुमार चौहान इस सीट से 2.59 लाख वोटों से जीते थे। नंदकुमार चौहान इस सीट से सबसे ज्यादा बार चुनाव जीते हैं। 2009 में नंदकुमार चौहान को हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस के अरुण यादव ने उन्हें पराजित किया था। लेकिन 2014 में उन्होंने हार का बदला ले लिया था।
रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट
मध्यप्रदेश के रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार कांतिलाल भूरिया है। जीएस डामोर यहां से बीजेपी उम्मीदवार हैं। गुजरात की सीमा से सटी ये आदिवासी बहुल सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। साल 2014 के चुनाव में बीजेपी के दिलीप सिंह भूरिया 1 लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे। इस सीट पर 18 लाख 36 हजार 839 मतदाता हैं। इनमें 9 लाख 13 हजार 967 यानी 49 फीसदी महिलाएं हैं। पुरुषों की संख्या 9 लाख 22 हजार 843 है, जबकि अन्य 29 हैं। इस सीट पर कांग्रेस को हराना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा।
मंदसौर लोकसभा सीट
मध्यप्रदेश की मंदसौर लोकसभा सीट से कांग्रेस की मीनाक्षी नटराजन और बीजेपी के सुधीर गुप्ता के बीच टक्कर है। मीनाक्षी नटराजन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के कोर ग्रुप में शामिल हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सुधीर गुप्ता ने 3 लाख वोटों से जीत हासिल की थी। इस बार भी वो मोदी मैजिक के सहारे हैं। ये वो इलाका है जहां किसानों का बड़ा आंदोलन हुआ था। इस बार सीट पर बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है।
सनी देओल को मिलेगी जीत
पंजाब की गुरुदासपुर लोकसभा सीट से बीजेपी ने सनी देओल को टिकट दिया है। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान ही पार्टी ज्वाइन की थी। उनका मुकाबला कांग्रेस के सुनील जाखड़ से हैं। जाखड़ ने विनोद खन्ना की मौत के बाद इस सीट से उपचुनाव जीता था। सनी देओल यहां पर अपनी स्टार छवि और पीएम मोदी के सहारे चुनावी मैदान में हैं। सुनील जाखड़ उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। 2014 में भाजपा के विनोद खन्ना 1.36 लाख वोटों से जीते थे।
भगवंत मान आप के भरोसे पर उतरेंगे खरा
आम आदमी पार्टी के भगवंत मान पंजाब की संगरूर लोकसभा सीट से सांसद हैं और एक बार फिर आप के टिकट पर ताल ठोक रहे हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के केवल सिंह ढिल्लो सेहैं। साल 2014 में भगवंत मान यहां से 2.11 लाख वोटों से जीते थे। उन्होंने शिरोमणि अकाली दल के सुखदेव सिंह ढींढसा को हराया था। भगवंत मान को इस चुनाव में 5,33,237 वोट जबकि सुखदेव सिंह ढींढसा को 3,21,516 वोट मिले थे। कांग्रेस को 1,81,410 वोट मिले थे।
भटिंडा लोकसभा सीट
पंजाब की भटिंडा लोकसभा सीट से शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमत कौर मैदान में हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा हैं। साल 2014 में उन्होंने ये सीट 19 हजार वोटों से जीती थीं। 27 साल से कोशिश कर रही कांग्रेस अकाली दल की इस सीट को हासिल नहीं कर पाई है। इस बार देखना होगा कि यहां किसे जीत मिलती है। इन दोनों की टक्कर में आम आदमी पार्टी ने तलवंडी साबो से मौजूदा विधायक प्रो. बलजिंदर कौर को टिकट दिया है।
फिरोजपुर सीट
पंजाब की फिरोजपुर सीट से शिरोमणि अकाली दल ने सुखबीर सिंह बादल को टिकट दिया है। बादल का मुकाबला अकाली दल छोड़कर कांग्रेस में गए शेर सिंह घुबाया से है। साल 2014 में एसएडी शेर सिंह घुबाया 31 हजार वोटों से जीते थे। इस सीट पर आम आदमी पार्टी (आप) ने हरजिंदर सिंह काका तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के हंसराज गोल्डी चुनाव मैदान में हैं लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस तथा अकाली दल के बीच है। इस क्षेत्र में कुल मतदाताओं में से 40 फीसदी दलित तथा 20 फीसदी पिछड़ा वर्ग के हैं।
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