जानिए कुछ चर्चित ऑडियो-फोन टैपिंग मामले, जिन्होंने भारतीय राजनीति में ला दिया था भूचाल
जानिए कुछ चर्चित ऑडियो-फोन टैपिंग मामले, जिन्होंने भारतीय राजनीति में ला दिया था भूचाल
नई दिल्ली। राजस्थान में सियासी घमासान जारी है। कांग्रेस की अंतर्कलह के बीच कांग्रेस ने भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त आरोप लगाया है। इतना ही नहीं कांग्रेस के विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़ा ऑडियो टेप भी सामने आया है। कांग्रेस का दावा कि है इस टेप में भाजपा के नेता कांग्रेस के विधायकों को करोड़ों रुपये देकर खरीदने की बात कर रहे हैं लेकिन भाजपा ने इन टेप को फर्जी बताया है और मामले की सीबीआई जांच की मांग की।
कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों को खरीद-फरोख्त का ऑडियो
राजनीति में फोन टैंपिंग मामलों की इससे पूर्व की बात करें तो 2019 में कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी ने भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सरकार को गिराने की साजिश आरोप लगाते हुए एक ऑडियो जारी किया था। जैसे कि वर्तमान समय में राजस्थान में आरोप लगाया जा रहा है। तब भी कांग्रेस का आरोप था कि भाजपा कर्नाटक में ब्लैक मनी का इस्तेमाल कर सरकार को गिराने की साजिश रच रही है। जो ऑडियो जारी किया गया उसमें कथित रुप से कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि येदियुरप्पा कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों से बात कर रहे हैं।
भाजपा पर लगा था ये आरोप
कर्नाटक के भाजपा नेता युदियुरप्पा पर आरोप था कि कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों को करोड़ों रुपये देने की लालच देकर सरकार गिराने की कोशिश की। यहां तक कि येदियुरप्पा और तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर भी हुई। कर्नाटक में कुछ दिनों बाद जेडीएस और कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफा देने के बाद यहां येदियुरप्पा सरकार बन गई और जिन पर ये आरोप था उन्हीं येदियुरप्पा ने इस टेपकांड की जांच सीबीआई से करवाने की अनुमति दे डाली।
कर्नाटक सीएम हेगड़े को देना पड़ा था इस्तीफा
2019 के पहले 1988 में भी कर्नाटक की राजनीति में ऑडियो टेप मामला सामने आया था। उस समय जनता पार्टी के रामकृष्ण हेगड़े कर्नाटक के सीएम थे। वे लगातार दो बार 1983 और 1985 में चुनाव जीत चुके थे। ये ऐसा मामला था कि तत्कालीन सीएम को आखिरकार सीएम पद से इस्तीफा तक देना पड़ा था। दरअसल हेगड़े को बतौर गैर कांग्रेसी के तौर पर पीएम पद के उम्मीदवार के रुप में माना जा रहा था। लेकिन तभी ये फोन टैपिंग का मामला सामने आया। उस समय केन्द्र में राजीव गांधी सरकार थी और वो बोफोर्स मामले में चारों ओर से घिरी हुई थी। कांग्रेस ने ये मामला सामने आने पर उसको जबरदस्त भुनाया और एजेंसी को जांच करने का आदेश दिया। जिसकी जांच में पता चला कि कर्नाटक पुलिस के डीआईजी ने लगभग 50 नेताओं और बिजनेसमैन के फोन टेप करने के ऑर्डर दिए थे इस लिस्ट में हेगड़े के विरोधी भी शामिल थे। जिसके बाद हेगड़े चारों ओर से घिर गए थे।
मीडिया तक में प्रकाशित हो गई थी पूरी बात
सुब्रहमण्यम स्वामी ने मीडिया में एक पत्र जारी किया। इस पत्र में एक पूर्व इंटेलिजेंस अधिकारी ने टेलिकॉम विभाग से कर्नाटक के नेताओं, व्यापारियों और पत्रकारों के फोन टेप करने की बात कही थी इतना नहीं मीडिया ने तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री अजीत सिंह की कॉल ट्रांस्क्रिप्ट भी प्रकाशित कर दिया था। इस आरोप-प्रत्यारोप के दौरान सीएम हेगड़े बार-बार दोहराते रहे कि मैं मूल्यों की राजनीति करता हूं, लेकिन तब तक मामला सदन तक पहुंच गया था और वो चारों ओर से घिर गए और मामला इतना बिगड़ गया कि हेंगड़े को 10 अगस्त 1988 इस्तीफा देना पड़ गया था।
छत्तीसगढ़ का अंतागढ़ टेपकांड
छत्तीसगढ़ की राजनीति में अंतागढ़ टेपकांड बहुत चर्चा में रहा था। दरअसल, 2014 के लोकसभा चुनाव से भाजपा ने अंतागढ़ के विधायक विक्रम उसंडी को टिकट दिया था उनके चुनाव जीतने के बाद अंतागढ़ की सीट खाली हो गई और उपचुनाव हुआ। जिसमें कांग्रेस ने इस सीट से मंतूराम पवार को टिकट दिया और भाजपा ने भोजराम नाग को, लेकिन आखिरी दिन मंतूराम ने अपना नाम वापस ले लिया और मंतूराम के नाम वापस लेने से विक्रम उसंडी को वॉक ओवर मिल और ये सीट भाजपा को मिल गई। जिसके बाद एक टेप वायरल हुआ जिसमें मंतूराम पवार को नाम वापस लेने के लिए 7 करोड़ के लेनदेन की बात सामने आई थी। टेप में पूर्व सीएम अजीत जोगी, उनके बेटे अमित जोगी और डॉ. पुनीत गुप्ता जो तत्कालीन सीएम के दामाद थे इस टेप में उनकी आवाज होने का दावा किया गया था। इस खुलासे के बाद जबरदस्त सियासी भूचान मच गया था। कांग्रेस ने तुरंत शिकायत दर्ज करवाई और सरकार बनने पर एसआईटी का गठन और जिसने आरोपियों से वॉइस सैंपल मांगा लेकिन सभी इंकार कर दिया और अभी तक ये मामला कोर्ट में है ।
अमर सिंह ने लगाया था कांग्रेस सरकार पर फोन टैपिंग का आरोप
वर्ष 2005-06 में अमर सिंह फोन टैपिंग मामले ने भी खूब सुर्खियां बटोरी थी। अमर सिंह ने केंद्र सरकार और सोनिया गांधी पर फोन टैपिंग का गंभीर आरोप लगाया था। अमर सिंह ने अपनी बातचीन को टेप किए जाने का आरोप लगाया था। अमर सिंह का ये केस सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। पूरे 4 वर्षों तक ये केस चला था और अंत में अमर सिंह ने स्वयं ही अपना अरोप वापस ले लिया था। आरोप वापस लेने पर देश की सर्वोच्च न्यायालय ने अमर सिंह की फटकार भी लगाई थी । चार साल तक केस चला और आखिरकार अमर सिंह ने अपना आरोप वापस ले लिया। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अमर सिंह को कोर्ट का वक्त जाया करने के लिए फटकार भी लगाई थी।
नीरा राडिया टेप कांड
2009-10 में नीरा राडिया टेप कांड भी सुर्खियां बना थाफ आयकर विभाग ने 2008 से 2009 के बीच नीरा राडिया के साथ कुछ वरिष्ठ पत्रकारों, राजनेताओं व कॉरपोरेट घरानों के अधिकारियों की बातचीत को रिकॉर्ड किया था। इसमें बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार और पैसों के लेन-देन की बात सामने आई थी। इस टेप में कंपनियों को कान्ट्रेक्ट दिलाने के नाम पर वसूली की बात सामने आई थी। आरोपी नीरा राडिया पर पॉलिटिकल लॉबिंग का भी आरोप लगा था जिसमें ये बात थी कि किस नेता को कौन सा पद मिले इस बात की लॉबिंग करती थी। इसमें कंपनियों को कान्ट्रेक्ट दिलाने के नाम पर पैसों के लेन-देन का आरोप था। मालूम हो कि इस समय राडिया के 300 से अधिक फोन टेप किया गया था। जिसमें कई नेताओं और कई बिजनमैने के नामों का खुलासा हुआ था। तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा का भी नाम सामने आया था। बाद में उन्हें टू जी स्पेक्ट्रम मामले में इस्तीफा देना पड़ा था।