जानिए, यूपी में इसबार मुस्लिम वोट बीजेपी के लिए खतरा या फायदे का सौदा?
नई दिल्ली- 2011 की जनगणना के मुताबिक उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की आबादी राष्ट्रीय औसत से अधिक है। देश में औसतन 14 फीसदी मुस्लिम आबादी है, तो यूपी में उनकी जनसंख्या 5% ज्यादा यानि 19 प्रतिशत है। इसलिए उत्तर प्रदेश में मुसलमान वोटर किसके पक्ष में वोट डालते हैं या किसका विरोध करते हैं, उससे भी 80 सीटों के नतीजे तय होते हैं। जाहिर है कि इसबार भी यहां के मुस्लिम मतदाता चुनाव परिणाम पर खासा असर डालने की स्थिति में हैं। लेकिन इसबार बीजेपी, कांग्रेस और महागठबंधन के बीच हो रहे त्रिकोणीय मुकाबले के चलते यह स्थिति बहुत ही दिलचस्प हो गई है। आमतौर पर माना जाता है कि मुसलमान बीजेपी को वोट नहीं करते। अगर यह मानकर भी चलें, तो यह कहना मुश्किल है कि वो हर सीट पर बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन या कांग्रेस के मजबूत उम्मीदवार का चुनाव कैसे करेंगे? चुनाव के जानकारों की राय में ये स्थिति बीजेपी के लिए फायदेमंद भी साबित हो सकती है।
जाटव-यादव वोट पर किसका कितना दबदबा?
यूपी के मुस्लिम मतदाता इसबार क्या सोच रहे हैं, इसे समझने से पहले यह देख लेते हैं एसपी-बीएसपी के साथ आने से बाकी मतदाताओं का कांग्रेस के प्रति क्या रुख हो सकता है? एनडीटीवी के प्रणय रॉय ने 2014 के एग्जिट पोल और चुनाव के बाद हुए सर्वे के आधार बताया है कि यूपी में जाटव वोट की दावेदार एसपी-बीएसपी के बाद बीजेपी है, न कि कांग्रेस। मसलन 2014 में 79% जाटव वोट एसपी-बीएसपी के खाते में गए और 17% बीजेपी के पक्ष में, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 3% ही जाटव वोट मिले। इसी तरह यादवों का वोट भी एसपी-बीएसपी के बाद सबसे ज्यादा बीजेपी के ही खाते में गया था और कांग्रेस उसकी चौथाई वोट ही ले पाई थी। यानि आंकड़ों के मुताबिक उस चुनाव में यूपी में 80% यादव वोट एसपी-बीएसपी के उम्मीदवारों को मिले, जबकि बीजेपी को 16 फीसदी यादव वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस सिर्फ 4% यादव वोट ही ले पायी थी।
ब्राह्मण वोट में सेंध लगाएगी कांग्रेस?
2014 में ब्राह्मण वोटों का आंकड़ा तो और भी हैरान करने वाला है। राज्य में उस चुनाव में ब्राह्मण वोटरों ने कांग्रेस के मुकाबले समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशियों को ज्यादा संख्या में वोट दिए थे। जैसे- बीजेपी को 67%,एसपी-बीएसपी को 21% और कांग्रेस को महज 12% ब्राह्मण वोट ही मिले थे। ऐसे में अगर ये दावा किया जाता है कि कांग्रेस के अलग से चुनाव लड़ने से बीजेपी और एसपी-बीएसपी के कोर वोट बैंक में सेंध लग सकता है, तो यह धारणा फिलहाल सही नहीं नजर आती है।
मुस्लिम वोट बंटने से किसको फायदा?
अलबत्ता मुस्लिम वोट बैंक महागठबंधन की चिंता जरूर बढ़ा सकता है। क्योंकि, पिछलीबार 80% मुसलमान वोट एसपी-बीएसपी के खाते में गए और 20% मुसलमानों ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया। लेकिन, कांग्रेस के लिए इसबार अच्छी खबर है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक इस लोकसभा चुनाव में यूपी के कुछ इलाकों में पहले से अधिक मुसलमान कांग्रेस को वोट देने का मन बना रहे हैं। निश्चित रूप से जिन इलाकों में मुसलमानों का वोट महागठबंधन से ज्यादा कांग्रेस की ओर गया, तो बीजेपी को इसका फायदा मिल सकता है। क्योंकि, बीजेपी के लिहाज से उसके खिलाफ मुसलमानों की एकमुश्त वोटिंग भारी नुकसादेह हो सकता है, जबकि वह जितना बंटेगा, बीजेपी को उतना ही फायदा मिलेगा। ऊपर से ट्रिपल तलाक जैसे कानून के कारण पार्टी मुस्लिम महिलाओं के एक वर्ग से भी समर्थन की उम्मीद लगा रही है, जो उसके लिए बोनस साबित हो सकती है।