तीन तलाक बिल पास होने से मुस्लिम महिलाओं को क्या फायदा मिलेगा, जानिए
नई दिल्ली- मंगलवार को संसद ने आखिरकार तीन तलाक बिल को पास कर ही दिया। लोकसभा से यह विधेयक पिछले 25 जुलाई को ही पास हो गया था। अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही मुस्लिम वुमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) बिल, 2019 कानून का शक्ल अख्तियार कर लेगा। आइए जानते हैं कि इस ऐतिहास कानून के बनने से मुस्लिम महिलाओं के जीवन में क्या बदलाव आएगा और कैसे उन्हें सदियों पुरानी कुप्रथा से छुटकारा पाने का एक वैधानिक अधिकार प्राप्त हो जाएगा।
तीन तलाक है क्या?
मुस्लिम वुमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) बिल, 2019 के कानूनी प्रावधानों को समझने से पहले संक्षेप में यह जान लेना जरूरी है कि आखिर तीन तलाक होता क्या है, जो पिछले दो वर्षों से देश की राजनीति का हॉट टॉपिक बन गया था। दरअसल, अहसन, हसन और तालक-ए-बिद्दत (तीनों एक साथ देने पर) को एकसाथ तीन तलाक माना जाता है। अबतक इसी का फायदा उठाकर मुस्लिम महिलाओं का तलाक दे दिया जाता था। इसमें अहसन और हसन को तो वापस लिया जा सकता है, जबकि पति द्वारा बिद्दत या तीन तलाक दिए जाने के बाद उसे वापस लेने का प्रावधान नहीं था। इसका फायदा उठाकर शौहर नशे की हालत में भी एक साथ तीन बार तलाक देकर अपनी पत्नी को छोड़ देते थे।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया था?
2017 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने एकसाथ तलाक (इंस्टेंट तलाक) या तीन तलाक को इस्लाम की शिक्षा के विरुद्ध बताते हुए असंवैधानिक करार दे दिया था। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस विवादास्पद परंपरा पर पाबंदी भी लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका उत्तराखंड की एक मुस्लिम महिला शायरा बानो ने डाली थी, जिसके पति ने एक खत में तीन बार तलाक लिखकर उससे 15 साल पुरानी शादी तोड़ ली थी। बाद में इस केस से चार और महिलाओं की याचिकाओं को जोर दिया गया था। सरकार को सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के मद्देनजर मुस्लिम विवाह कानून में संशोधन करने थे, जिसपर मोदी सरकार अध्यादेश के जरिए के जरिए अमल कर रही थी।
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नए कानून से मुस्लिम महिलाओं को क्या फायदा होगा?
मुस्लिम वुमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) बिल, 2019 के तहत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध माना गया है। यानि अगर कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को इंस्टेंट तलाक या तीन तलाक देता है तो उसे अपराधी माना जाएगा और गुनाह साबित होने पर उसे तीन साल तक की सजा भुगतनी पड़ सकती है। यही नहीं नए कानून के तहत व्यक्ति को अपनी बीवी को जुर्माने के अलावा मुआवजा भी देना पड़ सकता है। हालांकि, इसकी शिकायत विवाहित महिला को खुद (जिसके पति ने तीन तलाक दिया हो) करना होगा या उसके खून या शादी से बने रिश्तेदार ही इसकी शिकायत कर सकते हैं। इस कानून के तहत आरोपी को मैजिस्ट्रेट तभी जमानत दे सकेगा, जब वह उसकी पीड़ित पत्नी का पक्ष सुन लेगा और उसे इस बात की तसल्ली हो जाएगी कि आरोपी को बेल दी जा सकती है। लोकसभा के बाद राज्यसभा ने इस विधेयक को 84 के मुकाबले 99 वोटों से मंजूरी दे दी है। लोकसभा ने इस बिल को 82 के मुकाबले 303 मतों से पास किया था।
विपक्ष क्यों कर रहा था विरोध
ज्यादातर विरोधी दलों का तर्क ये था कि तीन तलाक को अपराध घोषित करने पर पुलिस और दूसरी एजेंसियां इस कानून का फायदा मुसलमानों को परेशान करने के लिए उठाएंगी। इसके साथ ही विपक्ष के विरोध की बड़ी वजह ये भी थी कि मुस्लिम पुरुषों का एक बहुत बड़ा वर्ग और मौलाना इस बिल के खिलाफ थे। जबकि, मोदी सरकार की दलील थी कि मुस्लिम महिलाओं के साथ शरियत कानूनों के नाम पर सदियों से अन्याय हुआ है और नया कानून न सिर्फ मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करेगा, बल्कि इससे उनका सशक्तिकरण भी हो सकेगा।
किन-किन मुस्लिम देशों में पहले से प्रतिबंधित है तीन तलाक
सबसे बड़ी बात ये है कि अधिकतर मुस्लिम देशों ने काफी पहले से ही तीन तलाक पर पाबंदी लगा रखी है, लेकिन भारत में इसका धर्म के नाम पर विरोध होता आया था। जो देश भारत से पहले ही तीन तलाक पर बैन लगा चुके हैं, उनमें पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे भारत के पड़ोसी मुल्क भी शामिल हैं। इनके अलावा ट्यूनीशिया, अलजेरिया, मलेशिया, जॉर्डन, इजिप्ट, इरान, इराक, ब्रुनेई, यूएई, इंडोनेशिया, लिबिया, सुडान, लेबनान, सऊदी अरब, मोरक्को और कुवैत में भी तीन तलाक गैर-कानूनी घोषित है।
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