जानिए, किस भारतीय IT कंपनी में कितने हैं H-1B वीजा धारी कर्मचारी? 80,000 भारतीयों पर लटकी है तलवार?
नई दिल्ली। अमेरिका में अमेरिकी नागरिकों के लिए नौकरियां सुरक्षित करने के लिए अमेरिकी् राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गत 22 जून को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें नए वीज़ा आवेदन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिसमें आईटी क्षेत्र का प्रतिष्ठित एच -1 बी वीज़ा शामिल है। इससे वहां काम कर रहे करीब 80, 000 एच-1बी वीजा धारी भारतीय कर्मचारियों के सिर पर तलवार लटक गई है।
गौरतलब है वर्तमान में भारतीय आईटी कंपनियों के साथ काम करने वाले कुल 79,649 भारतीय अमेरिका में काम करते हैं। इनमें टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), कॉग्निजेंट, इंफोसिस, टेक महिंद्रा, HCL टेक्नोलॉजीज और विप्रो शामिल हैं, जो अमेरिका में एच-1B वीजा पर हैं।
हालांकि अमेरिका के नए वीज़ा प्रतिबंध मौजूदा वीज़ा धारकों पर प्रभाव नहीं डालते हैं, लेकिन जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा बताती है कि इससे पुराने वीजा के नवीनीकरण की अस्वीकृति दर में और वृद्धि हो सकती है। पिछले पांच वर्षों में अमेरिका में पुराने वीजी के नवीनीकरण अस्वीकृति दर पहले से ही बढ़ रही है। वर्ष 2016 में यह दर लगभग 4 फीसदी से बढ़कर वर्ष 2020 में भारतीय आईटी कंपनियों के लिए लगभग 21 फीसदी हो गई है।
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भारतीय आईटी कंपनी TCS के पास सबसे अधिक हैं 54,874 कर्मचारी
अमेरिका में भारतीय आईटी कंपनी TCS के पास सबसे अधिक 54,874 कर्मचारी हैं, जो अमेरिका में काम करने वाले लोगों की सबसे बड़ी संख्या है, जिसमें से सिर्फ 40 फीसदी वीजा पर हैं, जबकि बाकी स्थानीय कर्मचारी हैं। जो लोग वीजा पर अमेरिका में हैं, उनमें से 85% एच -1 बी वीजा पर हैं और बाकी लोग एल -1 वीजा पर हैं।
इन्फोसिस में अमेरिकी कर्मचारियो में केवल 40 फीसदी ही वीजा धारक हैं
टीसीएस की तरह, इन्फोसिस में काम करने वाले अमेरिकी कर्मचारियो में केवल 40 फीसदी ही वीजा धारक हैं, जबकि टेक महिंद्रा और कॉग्निजेंट केवल दो कंपनियां हैं जिनके अमेरिका में आधे कर्मचारी वीजा पर हैं।
विप्रो और एचसीएल टेक स्थानीय कर्मचारियों के केवल 35% गैर स्थानीय हैं
विप्रो और एचसीएल टेक अमेरिका में केवल 35% गैर स्थानीय हैं, जबकि 65 फीसदी कर्मचारी अपने स्थानीय कर्मचारी हैं, जिससे उसकी वीजा धारी कर्मचारियों पर निर्भरता कम थी।
2020 में अमेरिका में वीजा नवीकरण की अस्वीकृति दर 21 फीसदी बढ़ गई
जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा बताती है कि इससे पुराने वीजा के नवीनीकरण की अस्वीकृति दर में और वृद्धि हो सकती है। पिछले पांच वर्षों में अमेरिका में पुराने वीजी के नवीनीकरण अस्वीकृति दर पहले से ही बढ़ रही है। वर्ष 2016 में यह दर लगभग 4 फीसदी से बढ़कर वर्ष 2020 में भारतीय आईटी कंपनियों के लिए लगभग 21 फीसदी हो गई है।