जानिए, कितने खतरनाक थे DSP देविंदर सिंह के मंसूबे, अगर अभी पकड़ में नहीं आता तो...
बेंगलुरू। 14 जनवरी, 2019 को दक्षिणी कश्मीर के कुलगाम जिले के मीर बाजार एरिया के पुलिस चेकपोस्ट पर एक गाड़ी में सवार चार लोगों में शामिल आरोपी डीएसपी देविंदर सिंह करीब 25 वर्षों से जम्मू-कश्मीर पुलिस में डीएसपी पद पर हैं और जल्द ही उसे डीएसी से एसपी पद पर पदोन्नति किया जाना था। 15 अगस्त, 2019 को उसे आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया और मेरिटोरियस सर्विस के लिए पुलिस मेडल दिया गया।
25-26 अगस्त, 2017 को पुलवामा में जिला पुलिस लाइन में हुए एक फिदायीन हमले स्वेच्छा से शामिल हुए देविंदर सिंह को शेर-ए-कश्मीर एवॉर्ड से नवाजा गया। यही नहीं, पुलवामा फिदायीन हमले की काउंटरिंग में भागीदारी के लिए वर्ष 2018 में जम्मू-कश्मीर के सर्वोच्च राज्य वीरता पदक दिया गया। हालांकि कहा गया कि उन्हें राष्ट्रपिता वीरता पदक, लेकिन यह तथ्य उतना ही झूठा है, जितनी झूठी अब पुलिस सेवा बर्खास्त किया जा चुका देविंदर सिंह की शख्सित निकली है।
कुलगाम जिले से एक तेज रफ्तार कार में दो हिज़बुल मुजाहिदीन के दो आंतकी क्रमशः नावीद बाबू और रफी अहमद और एक वकील को लेकर दिल्ली की ओर निकलने की कोशिश में पुलिस चेकपोस्ट पर दबोचा गए देवेंदिर सिंह के इरादे बेहद ही आंतकी थे। पुलिस चेकपोस्ट पर जब उसकी कार को रोका गया तो आरोपी देविंदर सिंह के कार से पुलिस ने पांच जिंदा ग्रेनेड बरामद किए।
आरोप है बर्खास्त देविंदर सिंह हिज़बुल आतंकियों को दिल्ली लेकर जा रहा था, जिसके लिए उसने उनके आकाओं से कुल 12 करोड़ रुपए लिए थे। यह भी कहा गया कि कार में बैठे दोनों हिज़बुल मुजाहिददीन के आतंकी दिल्ली में वर्ष 2001 में हुए संसद पर हमले जैसा एक और हमला करने जा रहे थे। खबरों में यह भी कहा गया कि देविंदर सिंह आंतिकयों को चंडीगढ़ ले जा रहा था और वहां सिखों को मारकर पाकिस्तान के खिलाफ रोष भड़काने की साजिश की गई थी।
गौरतलब है जम्मू-कश्मीर पुलिस से बर्खास्त हो चुके डीएसपी देविंदर सिंह की कार से गिरफ्तार हिज़बुल मुजाहिददीन आतंकी नावीद बाबू पिछले साल दक्षिण कश्मीर में ट्रक ड्राइवर समेत 11 लोगों की हत्या का आरोपी है। पुलिस द्वारा गिरफ्तार कार में बैठे एक और शख्स, जिसे जिसे वकील कहा जा रहा है उसकी पहचान शोपियां निवासी इरफान के रूप में की गई है।
अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि आंतकी घटना को अंजाम देने जा रहे दो हिज़बुल मुजाहिददीन आंतकियों के साथ वह क्यों ट्रैवल कर रहा था और उसकी क्या भूमिका था। ऐसा माना जा सकता है उस वकील की भूमिका वर्ष 2001 में हुए संसद पर आंतकी हमले में दोषी ठहराए अफजल गुरू के सहयोगी की हो सकती है।
मालूम हो, आंतकी अफजल गुरू के सहयोगी की पहचान मोहम्मद के रूप में हुई थी, जो संसद पर आंतकी हमले के दौरान मारा गया था। संभवतः कार में ट्रैवल करने वाला वकील हिज़बुल मुजाहिददीन के दोनों आंतकियों को दिल्ली में कवर देने के लिए आंतकी योजना में शामिल हुआ हो।
कार में सवार देविंदर सिंह समेत तीन अन्य को गिरफ्तारी के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हाई सेक्यूरिटी बादामी बाग़ कैंट एरिया के शिवपोरा में मौजूद देविंदर सिंह के घर में छापेमारी की गई। आईजी विजय कुमार द्वारा मीडिया से किए खुलासे के मुताबिक घटना के सामने आने के बाद जम्मू-कश्मीर में कई जगहों पर छापे मारे गए।
पुलिस को देवेंदिर सिंह के कई जगहों से भारी मात्रा में हथियार और कारतूस बरामद हुए, जिन्हें आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए उपयोग किया जाना था। आरोपी देविंदर सिंह के साथ गिरफ्तार ने हिजबुल मुजाहिदीन दोनों आतंकियों ने पुलिस द्वारा किए गए पूछताछ में भी कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
आंतकियों द्वारा किए गए खुलासे के मुताबिक वो पीओके में स्थित आंतकी कैंम्स में मोदी सरकार द्वारा किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से पंजाब और चंडीगढ़ में हमले की योजना बना रहे थे और देविंदर सिंह की मदद से कुलगाम से दिल्ली और चंडीगढ़ की यात्रा ऐसे ही आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के मंसूबे से जा रहे थे।
पुलिस के हवाले से पता चला है कि देविंदर सिंह कई मोबाइल का इस्तेमाल करता था, जिनमें से कुछ तो वह सिर्फ अपने आतंकी साथियों से बात करने के लिए रखता था। कई बार तो उसने आतंकियों को अपने घर में भी छिपाया था, जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के कहने पर खालिस्तानी आतंकियों के साथ भी संपर्क में थे।
खुलासे के मुताबिक इन आतंकियों को उनकी जरूरत की जगहों पर पहुंचाने की एवज में डीएसपी ने लाखों की डील की थी और 14 जनवरी, 2020 को जब वह पकड़ा गया, वह उस दिन ड्यूटी से छुट्टियों में चल रहा था। कहा जाता है कि बर्खास्त डीएसपी देविंदर सिंह की नीयत और फितरत पैसा देखकर बदल जाती है और पैसों के लिए वह कुछ भी करने के लिए तैयार होता है।
इसकी तस्दीक फरवरी 2013 में संसद हमले में दोषी पाए गए अफज़ल गुरु को फांसी की सजा के बाद आतंकी अफज़ल गुरु के घरवालों द्वारा सार्वजनिक की गई एक चिट्ठी से होती है। कहा जाता है कि सार्वजनिक हुए उक्त पत्र को आंतकी अफज़ल गुरु ने 2004 में जेल से अपने वकील को लिखा था।
सार्वजनिक हुए पत्र में आतंकी अफज़ल गुरु ने बाकायदा डीएसपी देविंदर सिंह का नाम लिया था। इसकी पुष्टि पत्रिका "कैरवान" के सम्पादक विनोद के. जोश के साथ जेल में हुई बातचीत में होती है, जिसमें आंतकी अफज़ल गुरु ने देविंदर सिंह का ज़िक्र किया था। यह इंटरव्यू उस समय प्रकाशित हो रही पत्रिका 'तहलका' में हूबहू प्रकाशित किया गया था।
उल्लेखनीय है देविंदर सिंह संसद पर हुए आंतकी हमलों के दौरान जम्मू-कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) का हिस्सा था। इंस्पेक्टर शांति सिंह उनका टॉर्चर एक्सपर्ट था। आंतकी अफज़ल गुरु ने कैरवान को दिए इंटरव्यू जिक्र करते हुए कहा था कि डीएसीपी देविंदर कौर पैसे के लिए कुछ भी कर सकता था और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आंतकी ट्रेनिंग लेने के बाद कश्मीर लौटने के बाद जब वह भारतीय कश्मीर में लौटा तो किसी भी वारदात में उसे गिरफ्तार कर लिया जाता था।
आंतकी अफजल गुरू के मुताबिक डीएसपी देविंदर सिंह पैसों के लिए उसे खूब टार्चर किया था। इंटरव्यू के मुताबिक डीएसपी देविंदर सिंह के टार्चर से आर्थिक तौर पर कमजोर हो चुके आतंकी अफज़ल गुरु को इसी दौरान उसको 'एक छोटे-से काम' के लिए बुलाया, अफज़ल गुरु मना नहीं कर पाया। वह काम काम था संसद हमले के दौरान मारे गए मोहम्मद नामक आंतकी को दिल्ली लेकर जाना।
इंटरव्यू के मुताबिक आंतकी अफजल गुरू को आंतकी मोहम्मद के लिए दिल्ली में किराए पर एक घर ढूंढना था। आंतकी अफजल के मुताबिक जब वह पहली बार मोहम्मद नामक आदमी से मिला था तो पाया कि वह शख्स कश्मीरी बिल्कुल नहीं बोल पा रहा था। बाद में उसकी पहचान मोहम्मद के रूप की गई, जो संसद भवन पर हमले के दौरान मारा गया था।
आंतकी अफज़ल गुरु के उक्त बयान के बाद भी देविंदर सिंह पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। अलबत्ता, लम्बे समय तक इस बयान की लोगों को भनक तक नहीं हुई। हिज़बुल के आंतकियों के साथ देविंदर सिंह की गिरफ्तारी के बाद आंतकी अफज़ल गुरु की यह कहानी फिर मौजू हो गई है, क्योंकि वर्ष 2006 में दिए एक इंटरव्यू में देविंदर सिंह ने यह स्वीकार किया था कि उन्होंने गुरु का उत्पीड़न किया था, लेकिन गुरु के दूसरे आरोपों की कभी जांच नहीं जा सकी।
निः संदेह उद्घाटित तथ्यों और छापेमारी में देविंदर सिंह के घर से बरामद हुए एके 47 हथियारों और कारतूस इशारा करते हैं कि देविंदर सिंह देशविरोधी गतिविधियों में शामिल रहा है। वर्ष 2016 में पुलवामा के पुलिस लाइन में हुआ हमला हो अथवा फरवरी, 2019 में हुआ पुलवामा हमला हो, जिसमें 44 सीआरपीएफ जवानों की शहादत हुई थी।
यही वजह है कांग्रेस समेत विपक्ष पार्टियों ने देविंदर सिंह की गिरफ्तारी के बाद वर्ष 2016 और 2019 में हुए पुलवामा फिदायीन हमलों में देंविंदर सिंह की संदिग्ध भूमिका की जांच कराने की मांग की है। वर्ष 2001 में हुई संसद भवन पर हुए हमले में भी देविंदर सिंह की भूमिका संदिग्ध दीखती है, जो आतंकी अफजल गुरू को फांसी दिए जाने के बाद सार्वजनिक हुई उसकी चिट्ठी और कैरवान को दिए गए इंटरव्यू से स्पष्ट लगभग हो चुका है।
यह जांच अब इसलिए अधिक जरूरी हो चला है क्योंकि जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी देविंदर सिंह की आतंकवादियों से साठगांठ के आरोप में गिरफ्तारी के बाद अब प्रदेश के एक एडीजी रैंक के पुलिस अफसर पर भी आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का संदेह है। कहा गया है कि संदिग्ध जम्मू-कश्मीर पुलिस का बड़ा अधिकारी पहले दविंदर सिंह के साथ ही जुड़ा रहा है और उसके भी आतंकवादियों से रिश्ते होने का भी शक है।
फिलहाल क्राइम ब्रांच के अधिकारी उस संदिग्ध पुलिस अफसर को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक वह अधिकारी दविंदर सिंह के केस को भी रफा-दफा करने की कोशिश कर रहा था, जिसके चलते पुलिस का उसपर शक गहरा गया। वह पहले उगाही के मामलों में सस्पेंड भी हो चुका है।
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विवादों में पहले भी आ चुका है बर्खास्त डीएसपी देविंदर सिंह का नाम
गिरफ्तारी के दौरान देविंदर सिंह श्रीनगर एयरपोर्ट पर एंटी-हाईजैकिंग स्क्वाड में शामिल थे। उनकी जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक "डेकोरेटेड" अधिकारी के रूप में पहचान शुरू होती थी। 1994 में जब राज्य की पुलिस से अलग STF का गठन किया गया था। उस समय जम्मू-कश्मीर पुलिस का एसटीएफ कहा जाता था। देविंदर सिंह की इच्छा थी कि STF में शामिल हो गए। बाद में STF का नाम बदलकर SOG कर दिया गया। देविंदर सिंह की पोस्टिंग कश्मीर के बडगाम में हो गई।
आम लोगों से पैसे उगाहने और उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाने का लगा आरोप
वर्ष 2001 में ख़बरें आने लगीं कि SOG की कस्टडी में लोगों की मौतें हो रही हैं। बहुत बड़े स्तर पर कश्मीर में प्रदर्शन होने लगे, जिसके बाद SOG के DSP के रूप में तैनात देविंदर सिंह का ट्रांसफर कर दिया गया। उन्हें सेन्ट्रल कश्मीर के स्टेट इंटेलिजेंस में इंस्पेक्टर बनाकर भेज दिया गया। इसके बाद 2015 में भी देविंदर सिंह का नाम खबरों में आया था। उनके साथ-साथ डीएसपी मुहम्मद यूसुफ़ मीर के खिलाफ FIR दर्ज की गई। दोनों पर आम लोगों से पैसे उगाहने और उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाने का आरोप लगा था।
राष्ट्रपति वीरता पदक नहीं, देविंदर को मिला था राज्य वीरता पदक
पता चला है कि वह स्वेच्छा से उस पुलिस पार्टी में शामिल हो गया, जो तीन जैश आतंकवादियों को खत्म करने में मुठभेड़ का हिस्सा थी। बदले में, उसे शेर-ए-कश्मीर पुलिस पदक दिया गया, जो जम्मू-कश्मीर में सर्वोच्च पुलिस पुरस्कार के लिए दिया गया। कर्तव्य। जम्मू और कश्मीर पुलिस ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि डीएसपी ने राष्ट्रपति वीरता पदक नहीं जीता है, लेकिन स्वतंत्रता दिवस 2018 पर राज्य वीरता पदक। जेएंडके पुलिस ने अपने हैंडल से ट्वीट किया, "काउंटरिंग में उनकी भागीदारी के लिए पदक उन्हें प्रदान किया गया था।" 25-26 अगस्त, 2017 को पुलवामा में जिला पुलिस लाइन में आतंकवादियों द्वारा फिदायीन हमला, जब वह जिला पुलिस लाइनों, पुलवामा में डीएसपी के रूप में तैनात थे।
एनआईए कर सकती है टेरर फाइनेंसिंग केस की जांच
नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एएनआई) बर्खास्त डीएसपी देविंदर सिंह के खिलाफ अब टेरर फाइनेंसिंग केस की तहकीकात करेगी। पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डीएसपी देविंदर सिंह को तब गिरफ्तार किया था, जब वह अपनी निजी गाड़ी में दो आतंकियों को जम्मू पहुंचाने की कोशिश कर रहा था। उसकी गाड़ी से 3 एके 47 राइफलें, 5 ग्रेनेड और भारी मात्रा में हथियार एवं गोला-बारूद बरामद हुए थे। पुलिस ने उन तीनों के साथ एक चौथे शख्स को भी गिरफ्तार किया था, जिसके बारे में बताया गया है कि वह आतंकवादियों के लिए काम करता है। देविंदर सिंह को आर्म्स ऐक्ट, अनलॉफुल ऐक्टिविटीज ऐक्ट और एक्स्पलोसिव सब्सटांसेज ऐक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है।
2012 में कश्मीर में 2 इंटेलिजेंस अधिकारी को अरेस्ट कर चुकी है पुलिस
यह पहली बार नहीं है जब भारत में पुलिस के किसी अधिकारी पर कश्मीर में आतंकियों के साथ सम्बन्ध रखने का आरोप लगा है। 2012 में, कश्मीर में आतंकवादियों के साथ सम्बन्ध रखने के जुर्म में पुलिस ने दो इंटेलिजेंस अधिकारियों को और दो निचली रैंक के पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। 2006 में भी इसी तरह के जुर्म में भारतीय सेना के तीन जवान और दो पुलिस अफसरों को हिरासत में रखा गया था। इसके पहले 1992 में, दो पुलिसवालों और एक अर्ध-सैनिक बल के जवान को श्रीनगर में पुलिस मुख्यालय पर बम गिराने में आतंकवादियों की मदद करने के लिए गिरफ्तार किया गया था।
गिरफ्तार दो आतंकवादियों ने पुलिस पूछताछ में किए कई बड़े खुलासे
बता दें कि आरोपी देविंदर सिंह के साथ हिजबुल मुजाहिदीन के जिन आतंकियों की गिरफ्तारी हुई है, उन्होंने पूछताछ के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इसके मुताबिक ये आतंकी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पंजाब और चंडीगढ़ में हमले की योजना बना रहे थे। पता चला है कि दविंदर सिंह कई मोबाइल का इस्तेमाल करता था, जिनमें से कुछ तो वह सिर्फ अपने आतंकी साथियों से बात करने के लिए रखता था। उसने आतंकियों को अपने घर में भी छिपाया था, जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के कहने पर खालिस्तानी आतंकियों के साथ भी संपर्क में थे। खुलासे के मुताबिक इन आतंकियों को उनकी जरूरत की जगहों पर पहुंचाने की एवज में डीएसपी ने लाखों की डील की थी। जिस समय वह पकड़ा गया वह ड्यूटी से छुट्टियों में चल रहा था।
देविंदर के बाथ अब एडीजी रैंक के अफसर से हिरासत में हो रही पूछताछ
एडीजी रैंक के अफसर से हिरासत में पूछताछ इस बार जम्मू-कश्मीर के जिस पुलिस अधिकारी का नाम आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आ रहा है, वह प्रदेश पुलिस में एडिश्नल डायरेक्टर जेनरल (एडीजी) रैंक का अफसर है। खबरों के मुताबिक इस अधिकारी को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। जानकारी के मुताबिक यह अधिकारी दविंदर सिंह के केस को दबाने की ताक में लगा हुआ था और कश्मीर पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उसकी हरकतों को संज्ञान में लिया और उसे हिरासत में रख लिया। जानकारी ये भी है कि वह अधिकारी पहले भी जबरन उगाही के मामले में सस्पेंड हो चुका है और उसके खिलाफ पैसों की उगाही का केस भी दर्ज हो चुका है।
कई दिनों से जम्मू-कश्मीर पुलिस की राडार पर था आरोपी देविंदर सिंह
डीएसपी देविंदर सिंह पर पुलिस कई दिनों से नजर रखे थी। पुलिस ने खुफिया विंग के कर्मियों को गुरुवार रात से उसकी 24 घंटे निगरानी करने का निर्देश दिया था। शुक्रवार सुबह 10 बजे वह आतंकियों को गाड़ी में लेकर सड़क के रास्ते जम्मू के लिए निकला था और पुलिस की टीम उसके पीछे एक अन्य वाहन में चल रही थी। डीआईजी दक्षिण कश्मीर रेंज अतुल गोयल उसका पीछा कर रहे पुलिस कर्मियों संग लगातार संपर्क में थे। शनिवार को जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में देविंदर सिंह को दो आतंकियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। देविंदर सिंह के पास से दो एके-47 राइफलों समेत अन्य सामान बरामद किए गए हैं।
कई जगह बना रखे हैं आलीशान मकान, परिवार के नाम पर गई खाते
आरोपी देविंदर सिंह ने श्रीनगर के बादामी बाग सैन्य छावनी के साथ भी एक आलीशान मकान बना रखा है। बादामी बाग छावनी अतिसंवेदनशील क्षेत्र है। देविंदर सिंह आतंकियों को उनकी जरूरत के हिसाब से ठहराता था। आतंकियों के हथियारों को भी रखता था। इसके अलावा उसका पैतृक मकान दक्षिण कश्मीर के त्राल में है। कुछ रिश्तेदार जम्मू के बाहरी क्षेत्र गाड़ीगढ़ इलाके में रहते हैं, यहां भी देविंदर ने एक मकान बनाया है। उसके परिवार के नाम पर कई खाते भी हैं। मामले की जांच के लिए 10 से अधिक टीमें बनाई हैं। इनमें पुलिस और केंद्रीय खुफिया एजेंसियां की टीमें शामिल हैं।
'पिछले साल भी देविंदर सिंह आतंकियों को लेकर जम्मू गया था
एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया, 'देविंदर पिछले साल भी इन आतंकियों को लेकर जम्मू गया था। इसलिए वे एक दूसरे पर भरोसा करते थे। पिछले साल की घटना के बारे में संभवत: किसी को भनक नहीं लग पाई। मीर शायद इस डील में बिचौलिए के तौर पर जुड़ा था।' जम्मू कश्मीर पुलिस ने श्रीनगर में देविंदर के आवास पर छापा मारा और वहां से हथियार बरामद हुआ है। देविंदर इससे पहले पुलवामा में तैनात था, जहां नवीद और वे एक दूसरे के संपर्क में आए थे।
देविंदर सिंह इंदिरा नगर स्थित आवास पर आंतकी नवीद को लेकर गया था
अभी तक की जांच के मुताबिक देविंदर शुक्रवार को इंदिरा नगर स्थित अपने आवास में नवीद को लेकर आया था। वे यहां से शनिवार को जम्मू के लिए रवाना हुए था। सिंह इंदिरा नगर में एक नया घर बनवा रहा है और उसका परिवार बगल में एक रिश्तेदार के घर रहता है। देविंदर पर इससे पहले भी कथित गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्तता, भ्रष्टाचार, उत्पीड़न, अधीनस्थ कर्मचारियों से हथियार छीनना और अपने पोस्टिंग इलाके में स्थानीय लोगों के उत्पीड़न जैसे कई आरोप लगे हैं।
हिज़बुल मुजाहिददीन आतंकियों का 3 जगह था हमले का प्लान!
सूत्रों के अनुसार डीएसपी देविंदर सिंह का इन आतंकियों के साथ लंबे समय से संपर्क था। सूत्रों ने बताया कि आतंकियों की दिल्ली, चंड़ीगढ़ और पंजाब में हमले की साजिश की थी योजना। इधर, आईबी और रॉ के अधिकारी भी डीएसपी देविंदर से पूछताछ की तैयारी में हैं। बताया जा रहा है कि NIA भी देविंदर से पूछताछ कर सकती है।
दिपिंदर सिंह की कार से गिरफ्तार आतंकी वांछित कमांडरों में से एक था
नवीद दक्षिणी कश्मीर में हिजबुल मुजाहिद्दीन का एक सबसे वांछित कमांडरों में से एक था। पुलिस को काफी समय से उसकी तलाश थी। खासतौर से 2018 में सेब बागानों में काम करने वाले गैर-कश्मीरी लोगों की हत्या में उसका नाम आने के बाद से। नवीद ने 'सुरक्षित यात्रा' के बदले में कितनी रकम दी थी, इसकी जांच अभी की जा रही है। देविंदर के साथ पकड़े गए दोनों आतंकियों पर करीब 20 लाख रुपये का इनाम था।
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