अजीत जोगी का जानिए राजीव गांधी और उनके परिवार से क्या था खास कनेक्शन
Know how Ajit Jogi's entry into politics, what was a special connection with Rajiv Gandhi and his family
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का आज 29 मई को निधन हो गया है। वो बीते कई दिनों से तबियत खराब होने के कारण अस्पताल में भर्ती थे। 74 साल की उम्र में दिल की बीमारी के चलते वो सदा के लिए इस दुनिया को अलविदा कर चले गए। छत्तीसगढ़ राज्य के पहले सीएम अजीत जोगी 17 दिनों से कोमा में थे।अजीत जोगी का निधन भारतीय राजनीति के लिए बहुत बड़ी क्षति हैं। अजित जोगी का स्वर्गीय राजीव गांधी ही नहीं सोनिया गांधी और पूरे गांधी परिवार के बहुत करीब थे।
राजीव गांधी के ऐसे करीब आए थे अजीत जोगी
अजीत जोगी का पूरा नाम अजीत प्रमोद कुमार जोगी था। बिलासपुर के पेंड्रा में जन्में अजीत जोगी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद पहले भारतीय पुलिस सेवा और फिर भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी की। बाद में वे मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सुझाव पर राजनीति में आये। अजीत जोगी राजनीति में आने से पहले से ही राजीव गांधी के संपर्क में थे राजीव गांधी के वो कैसे खास बने इसका किस्सा बहुत चर्चित रहा। ये उस समय की बात है जब अजीत जोगी कलेक्टर हुआ करते थे तब उनकी रायपुर में पोस्टिंग थी उन दिनों राजीव गांधी पायलट हुआ करते थे और एयर इंडिया की प्लेन उड़ाते थे। कलेक्टर अजीत जोगी ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया था कि, जब भी राजीव गांधी की फ्लाइट रायपुर आए उन्हें बताया जाए। तो राजीव की फ्लाइट रायपुर पहुंचती और जोगी घर से चाय-नाश्ता लेकर उनसे मिलने पहुंच जाते। इस तरह जोगी राजीव गांधी की नज़र में आए और थोड़े ही समय में वो राजीव गांधी के करीबी बन गए।
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ऐसे हुई थी अजीत जोगी की राजनीति में एंट्री
इसके कुछ वर्ष बाद ही राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। राजीव गांधी जब अपनी टीम बढ़ा रहे थे तब उन्हें एक युवा, तेज-तर्रार, आदिवासी चेहरे की तलाश थी जिसका जुड़ाव छत्तीसगढ़ से हो। तभी जोगी इंदौर में कलेक्टर थे। जोगी आदिवासी होने के साथ छत्तीसगढ़ी और मुखर भी थे ऐसे में राजीवग गांधी को उनका नाम सुझाया गया, राजीव उन्हें जानते थे। जोगी ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि 1985 में वो इंदौर के कलेक्टर थे। एक दिन घर लौटे तो पत्नी ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय से फोन आया था। जोगी ने उस समय राजीव गांधी केपीए वी जॉर्ज को फोन किया तो बताया गया कि उन्हें कांग्रेस राज्यसभा भेजना चाहती है और वो कलेक्टर पद से तुरंत इस्तीफा दे दें। कुछ देर में ही जोगी ने फैसला कर लिया कि वो राजनीति में जाएंगे। रात में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह उन्हें लेने इंदौर आए और उन्होंने इस्तीफा दे दिया। दूसरे ही दिन भोपाल जाकर उन्होंने कांग्रेस से राज्यसभा के नामांकन भर दिया। इस तरह जोगी की कांग्रेस के साथ राजनीति में एंट्री हुई। उन्होंने छत्तीसगढ़ से 1985 में एक आदिवासी नेता के तौर पर कांग्रेस की टिकट पर वह राज्यसभा सांसद बनाए गए।
सोनिया गांधी के ऐसे करीब पहुंचे थे अजित जोगी
अजीत जोगी ने कई मौकों पर ये बात साक्षा की थी कि वो बेहद गरीब परिवार से आते हैं । बचपन में स्कूल जाने के लिए उनके पास जूते तक नहीं होते थे। ऐसे में उनके माता-पिता धर्म बदलकर ईसाई हो गए। जिसके बाद जोगी को पढ़ाई के लिए मिशनरी से मदद मिली। अजित जोगी जब सांसद थे उस दौरान हर रविवार वह उसी चर्च में प्रार्थना करने जाते थे जिसमें सोनिया गांधी जाती थीं। इस तरह जोगी राजीव गांधी के बाद सोनिया गांधी के करीब आए और कुछ ही समय में अजीत जोगी कांग्रेस के उन नेताओं में शामिल हो गए जिन्हें गांधी परिवार का खास माना जाता था। गांधी परिवार से अच्छे संबंधों का इनाम भी उन्हें मिला। साल 2000 में मध्य प्रदेश दो हिस्सों में बंट गया और 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ को एक अलग राज्य की पहचान मिली। छत्तीसगढ़ के हिस्से आई विधानसभा सीटों में कांग्रेस का बहुमत था जिसके बाद कांग्रेस पार्टी की सरकार बननी थी। नए नवेले राज्य का सीएम बनने की रेस में कई सारे दिग्गज नेताओं के नाम थे लेकिन तब सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी की अघ्यक्ष थी उनकी नजर में पहले ही अजीत जोगी थे और उन्होंने छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री के रुप में अजीत जोगी को चुना।
व्हील चेयर पर आने के बाद भी उनके आगे कोई नेता टिक नहीं पाया
बता दें कांग्रेस में वो जब तक रहे गांधी परिवार के इतर कोई भी उनके सामने टिक नहीं पाया। दुर्घटना के बाद शारीरिक कमजोरी के बाद जो विरोधी उन्हें चुका हुआ मान चुके थे, वह भी कभी उनकी ताकत के सामने टिक नहीं पाएये भारत ही नहीं इंग्लैंड तक के डॉक्टर कह चुके हैं कि अजीत जोगीकभी अपने पैरों पर चल नहीं पाएगे लेकिन वह चुनाव के दौरान व्हीलचेयर पर बैठे हुए पूरे प्रदेश का दौरा करते थे तब विपक्षी दलों के नेताओं की चिंता बढ़ जाती थी। ये वहीं अजीत जोगी हैं जो कभी सोनिया गांधी का भाषण लिखने का किस्सा सुनाते थे है तो कभी सभाओं में यह कहने से नहीं हिचकता कि ‘हां मैं सपनों का सौदागर हूं और सपने बेचता हूं.'नंगे पैर स्कूल जाने वाले अजीत जोगी ने पूरी पढ़ाई मिशनरी की सहायता से की और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडल पाया। इसके बाद उसी कालेज में पढ़ाना शुरु कर दिया फिर आईपीएस इसके बाद आईएएस बने और प्रशासनिक पद छोड़ कर सीएम की कुर्सी पर पहुंचे।
अजीत जोगी: इंजीनियर से सीएम तक, राजीव गांधी के एक फोन कॉल ने बदल दी थी जिंदगी