Delhi Fire: इन 5 वजहों से हुआ इतना बड़ा हादसा, बच सकती थीं 43 जान
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के अनाज मंडी इलाके की इमारत में रविवार को भीषण आग लग गई थी। जिसकी चपेट में आने से 43 लोगों की मौत हो गई। जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए हैं। ये हादसा पुरानी दिल्ली के रानी झांसी रोड स्थित फिल्मिस्तान सिनेमा के पास हुआ है। घटना के बाद से फरार फैक्ट्री के मालिक को दिल्ली पुलिस ने रविवार को ही गिरफ्तार कर लिया था।
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स्कूल बैग बनाने की फैक्ट्री
इमारत में सो रहे मजदूरों को पता भी नहीं था कि ये रात उनकी जिंदगी की आखिरी रात है। 4 मंजिला इमारत में स्कूल बैग बनाने की फैक्ट्री चल रही थी, जिसके लिए एनओसी तक नहीं ली गई थी। पुलिस ने फैक्ट्री मालिक मोहम्मद रेहान के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और धारा 285 (आग या ज्वलनशील पदार्थ के संदर्भ में लापरवाही) के तहत मामला दर्ज कर लिया है। इस हादसे में मरने वालों में अधिकांश लोग यूपी-बिहार के रहने वाले थे।
क्या थे बड़े कारण?
अब आग लगने के कारणों पर चर्चा की जा रही है। जिसमें हैरान करने वाली लापरवाही सामने आई हैं। हम आपको इन्हीं पांच कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं। अगर ये पांच कमियां ना होतीं, तो 43 लोगों की जान नहीं गई होती। चलिए जानते हैं इन पांच बड़े कारणों के बारे में।
संकरी गली में इमारत
हादसे की सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है इसका संकरी गली में होना। जिस इमारत में आग लगी वह दाल मंडी के मुख्य रास्ते पर ही बनी हुई है। यही इतने लोगों की मौत का सबसे बड़ा कारण भी माना जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि गली के संकरा होने के कारण दमकल की गाड़िया अंदर नहीं जा पा रही थीं। हालात इतने खराब हैं कि अगर एक दमकल की गाड़ी जैसे तैसे अंदर पहुंच भी जाए, तो इस गली से एक साइकिल तक नहीं निकल सकती। गली में खड़ी गाड़ियों और तारों के जाल ने राहत एवं बचाव कार्य में बाधा पहुंचाने का काम किया है।
60 से अधिक मजदूर रहते थे
हैरानी की बात तो ये है कि जिस इमारत में आग लगी है, उसमें 60 मजदूर काम करते थे और यही लोग यहां रहते भी थे। इमारत की अलग-अलग मंजिल में विभिन्न तरह का काम होता था। इसके अलावा इसी इमारत में मजदूरों के रहने के लिए कमरे भी बने हुए थे। यही वजह है कि यहां खाना पकाने के छोटे सिलेंडर, टीवी और फ्रिज जैसा सामान भी मौजूद था।
इमारत में केवल एक रास्ता
आग में मरने वाले मजदूरों की संख्या इसलिए भी इतनी बड़ी थी क्योंकि वह वक्त रहते इमारत से बाहर नहीं आ पाए। क्योंकि ये इमारत तीनों ओर से बाकी इमारतों से घिरी हुई है और लोगों के आने जाने के लिए सीढ़ियों से बना केवल एक ही रास्ता यहां मौजूद है। जिसके चलते मजदूर अंदर ही फंसे रह गए और धुंए के कारण बेहोश होते रहे। इसके अलावा कहा ये भी जा रहा है कि इन सीढ़ियों के पास जो मुख्य द्वार है, उसका भी शटर बंद था, जिसके चलते जो मजदूर नीचे पहुंच गए, वो भी बाहर नहीं आ पाए।
सुरक्षा के लिए कोई उपकरण नहीं
इस फैक्ट्री में आग से बचाव के लिए किसी तरह का कोई उकरण नहीं था और ना ही फैक्ट्री मालिक के पास फायर एनओसी थी। यही वजह थी कि लोगों के पास आग से बचने के लिए बाहर निकलने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। इसके साथ ही यहां विभिन्न मंजिलों पर जिस तरह का काम होता था, उसके कारण बड़ी मात्रा में ज्वलनशील सामान और केमिकल भी मौजूद था। जिसके चलते आग और भी ज्यादा भड़क गई।
वेंटिलेशन की कमी भी थी
इनके अलावा इमारत में वेंटिलेशन की कमी भी पाई गई है। यहां वेंटिलेशन के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं था। हर मंजिल पर जो खिड़कियां थीं, या तो वो बंद थीं या उनपर एसी लगे हुए थे। हालांकि हर मंजिल में कुछ जालियां और ग्रिल वेंटिलेशन के लिए पाए गए। लेकिन जिस तरह का काम यहां होता था और जितनी बड़ी मात्रा में लोग काम करते थे, उस हिसाब से इतना काफी नहीं था। इसी वजह से अंदर धुंआ काफी हो गया था और अधिकतर लोगों की मौत भी दम घुटने के कारण ही हुई है।
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