दिल्ली में फिर से ऑड-ईवन: जानिए क्या है ये फॉर्मूला, इससे कैसे होगा फायदा?
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नई दिल्ली। दिल्ली में एक बार फिर ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि नवंबर में राजधानी दिल्ली में फिर से ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू किया जाएगा। ऑड-ईवन फॉर्मूला 4 नवंबर से 15 नवंबर तक दिल्ली में लागू होगा। इसके तहत जिन गाड़ियों के आखिर का नंबर ऑड होंगे यानी 1,3,5, 7, 9 नंबर की गाड़ियां एक दिन चलेंगी। इसी तरह से अगले दिन जिन गाड़ियों के आखिर के नंबर ईवन जैसे 0, 2, 4, 6, 8 होंगे वो चलेंगी। आखिर क्या है ऑड-ईवन फॉर्मूला और इससे कैसे होगा फायदा जानिए।
आखिर क्या है ऑड-ईवन फॉर्मूला
ऑड-ईवन फॉर्मूला का सीधा मतलब आपकी गाड़ियों के नंबर से है। दरअसल, गणित में बताया जाता है कि 1, 3, 5, 7 और 9 ऑड नंबर होते हैं। इसी तरह 0, 2, 4, 6, 8 को ईवन नंबर कहा जाता है। बस इसी फॉर्मूले का इस्तेमाल ऑड-ईवन फॉर्मूले में किया जाता है। इसके मुताबिक, अगर आपकी गाड़ी के नंबर प्लेट का आखिरी नंबर ऑड यानी 1, 3, 5, 7, 9 है तो ऑड नंबर वाली तारीख यानी नवंबर महीने की 3, 5, 7, 9, 11, 13 और 15 तारीख को ही दिल्ली में अपनी गाड़ी चला पाएंगे। इसी तरह अगर आपकी गाड़ी का आखिरी नंबर ईवन यानी 0, 2, 4, 6, 8 है तो आप महीने की 4, 6, 8, 10, 12 और 14 तारीख को ही गाड़ी निकाल पाएंगे। क्योंकि इन तारीखों में ईवन नंबर की गाड़ियां चलेंगी।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने किया ऐलान
दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐलान किया कि उनकी सरकार ने राजधानी में प्रदूषण से निपटने के 7 प्वाइंट का एक्शन प्लान तैयार किया है। इसी के मद्देनजर 4 नवंबर से 15 नवंबर तक दिल्ली में ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू करने का ऐलान किया गया है। ऑड-ईवन फॉर्मूले से राजधानी को कई फायदे होने की उम्मीद जताई जा रही है।
प्रदूषण का स्तर घटने की उम्मीद
ऑड-ईवन फार्मूला लागू करने का मुख्य उद्देश्य राजधानी में प्रदूषण के स्तर को कम करना बताया जा रहा है। ऑड-ईवन लागू होने के बाद पिछली बार कई सर्वे किए गए जिनमें ये पता चला कि दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में कमी आई। हालांकि, कुछ में इसे बढ़ा हुआ भी बता दिया गया था। बावजूद इसके ऑड-ईवन फॉर्मूले के जरिए सरकार की कोशिश यही है गाड़ियां कम सड़क पर उतरेंगी तो प्रदूषण लेवल जरूर घटेगा। सड़कों पर वाहनों की संख्या कम होने से कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा। अगर कार्बन उत्सर्जन कम होगा, तो उससे प्रदूषण स्तर में कुछ फर्क जरूर आएगा। हालांकि, इस फॉर्मूले पर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई रही है।
ईंधन (पेट्रोल-डीजल) में होगी बचत
ईंधन (पेट्रोल-डीजल) ऐसा स्रोत है, जो समय के साथ खत्म हो रहा है। ऐसे में न केवल सरकार बल्कि तेल कंपनियां भी समय-समय पर ईंधन की बचत के लिए कैंपेन चलाती हैं और लोगों से इसके लिए अपील करती हैं, बावजूद इसके खास असर नजर नहीं आता है। ऑड-ईवन लागू होने से सड़क पर गाड़ियों की संख्या लगभग आधी हो जाएगी। उदाहरण के तौर पर अगर आम दिनों में दिनभर में 12 लाख लीटर ईंधन खर्च होता है तो ऑड-ईवन लागू होने पर यह लगभग आधा हो जाएगा। इससे ईंधन में काफी बचत की उम्मीद रहेगी।
ट्रैफिक समस्या से थोड़ी राहत
ऑड-ईवन लागू होने पर जब गाड़ियों की संख्या लगभग आधी हो जाएगी, तो शहर में लगने वाले जाम की स्थिति में भी थोड़ी राहत जरूर मिलेगी। दिल्ली की सड़क पर चलने वाले किसी भी शख्स से अगर पूछेंगे कि उन्हें किस समस्या से सबसे अधिक जूझना पड़ता है, तो वो ट्रैफिक जाम को अहम वजह जरूर बताएंगे। खासतौर पर 'पीक ऑवर' में यानी ऑफिस जाने और वहां से लौटने के दौरान अकसर जाम नजर आता है। हालांकि, ऑड-ईवन के दौरान गाड़ियों की संख्या सड़कों पर घटने का फायदा सीधे तौर पर ट्रैफिक व्यवस्था पर भी दिखेगा। ट्रैफिक लोड सड़क पर कम आएगा तो जाम भी कम लगेगा।
हादसों में भी कमी का अनुमान
ऑड-ईवन के कारण जब सड़क पर गाड़ियां कम होंगी, तो आपाधापी की स्थिति नहीं बनेगी, ऐसे में हादसों की संभावना कम ही रहेगी। अकसर जल्दबाजी या फिर रैश-राइडिंग के चलते हादसे ज्यादा होते हैं। हालांकि, ऑड-ईवन फॉर्मूले के दौरान जब गाड़ियां सड़क पर कम निकलेंगी तो कहीं न कहीं इसका असर नजर आएगा और हादसों से कुछ हद तक निजात मिलेगी।