Z+ सिक्योरिटी से प्लस हटने से क्या फर्क पड़ता है, जानिए किस कैटेगरी में मिलते हैं कितने कमांडो?
भारत में बड़े नेताओं और अधिकारियों को सुरक्षा के लिए सिक्यूरिटी दी जाती है। खतरों को देखते हुए सरकार जेड प्लस, जेड, वाई या एक्स कैटगरी की सुरक्षा देने का फैसला करती है
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नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को मिले वीआईपी एनएसजी कमांडो के सुरक्षा कवर 'जेड+' को हटा लिया है। उन्हें जेड कैटगरी की सुरक्षा देने का फैसला किया है। लालू यादव की ज़ेड प्लस सिक्योरिटी वापस लिए जाने के बाद से सियासी बवाल मच गया है। लालू के बेटे तेज प्रताप यादव ने गुस्से में प्रधानमंत्री मोदी के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग भी किया और लालू ने भी कहा कि ये फ़ैसला सही नहीं है। आज हम आपको बताते है आखिर जेड प्लस और जेड सिक्योरिटी क्या है? और देश में कितने तरह की सुरक्षाएं दी जाती हैं।
भारत में 450 लोगों को सुरक्षा कवच मिला है
भारत में बड़े नेताओं और अधिकारियों को सुरक्षा के लिए सिक्यूरिटी दी जाती है। खतरों को देखते हुए सरकार जेड प्लस, जेड, वाई या एक्स कैटगरी की सुरक्षा देने का फैसला करती है। इस तरह की सुरक्षा पाने वालों में खिलाडी और एक्टर भी होते है। भारत में फिलहाल करीब 450 लोगों को इस तरह का सुरक्षा कवच मिला हुआ है। देश में दिग्गज नेताओं, बड़े अधिकारियों और ख़ास शख्सियतों को सरकार की तरफ़ से अलग-अलग श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई जाती है और इसका फ़ैसला केंद्र सरकार करती है। जेड प्लस कैटगरी में 36 सुरक्षाकर्मी तैनात होते हैं। 10 एसपीजी और एनएसजी कमांडो होते है और बाकी पुलिस होते है। सिक्यूरिटी के पहले घेरे में एनएसजी के कमांडो होते है, जबकि दूसरे लेयर में एसपीजी के अधिकारी होते हैं।
ऐसी होती है ज़ेड प्लस सुरक्षा?
भारत सरकार की तरफ़ से मुहैया की जाने वाली सभी तरह की सुरक्षा में स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी), नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (एनएसजी), इंडियन-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) और सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स(सीआरपीएफ) एजेंसियां शामिल होती हैं। ज़ेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा देश की सबसे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है। यह वीवीआईपी श्रेणी की सुरक्षा मानी जाती है। इस श्रेणी की सुरक्षा में 36 सुरक्षाकर्मी तैनात होते हैं। इसमें एनएसजी और एसपीजी के कमांडो शामिल रहते हैं। इस सुरक्षा में पहले घेरे की ज़िम्मेदारी एनएसजी की होती है जबकि दूसरी परत एसपीजी कमांडो की होती है। इसके अलावा आईटीबीपी और सीआरपीएफ के जवान भी ज़ेड प्लस सुरक्षा श्रेणी में शामिल रहते हैं।
ज़ेड और वाई श्रेणी की सुरक्षा ऐसी होती है ?
ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा में सुरक्षाकर्मियों की संख्या 22 होती है। इस श्रेणी में आईटीबीपी (इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस) और सीआरपीएफ (केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल) के जवान और अधिकारी सुरक्षा में लगाए जाते हैं। इस श्रेणी की सुरक्षा में एस्कॉर्ट्स और पायलट वाहन भी दिए जाते हैं।जबकि वाई श्रेणी में यह संख्या घटकर 11 हो जाती है। जिनमें दो पर्सनल सिक्योरिटी ऑफीसर्स (पीएसओ) शामिल होते हैं। एक्स कैटगरी में मात्र 2 सुरक्षाकर्मी तैनात होते हैं जिनमें एक पीएसओ शामिल होता है।
ऐसी होती है प्रधानमंत्री की सुरक्षा?
प्रधानमंत्री की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानि एसपीजी के पास होती है। प्रधानमंत्री के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिजनों को भी कुछ वक़्त के लिए यह सुरक्षा मिलती है। साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के कुछ साल बाद 1988 में एसपीजी का गठन हुआ था। एसपीजी का सालाना बजट 300 करोड़ रुपये से अधिक है और इसे देश की सबसे महंगी और पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था माना जाता है। फिलहाल देश में सिर्फ 6 लोगों को यह सुरक्षा मिली हुई है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका वाड्रा शामिल हैं।
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