जानिए, क्या टाटा Vs अंबानी की सुपर ऐप की लड़ाई उन्हें भारत का अलीबाबा-टेनसेंट बना सकती है?
नई दिल्ली। चीन में इंटरनेट व्यापार में शीर्ष पर मौजूद अलीबाबा ग्रुप के चेयरमैन जैक मा और टेनसेंट कंपनी के चेयरमैन पोनी मा की महान उद्योगपतियों जोड़ी की तरह भारत में भी रिलायंस इंड्स्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के बीच भी 130 करोड़ भारतीयों के डेटा पर नियंत्रण की लड़ाई छिड़ गई है। सवाल यह है कि क्या दोनों भारतीय उद्योगपति समूह चीन की महान जोड़ीदारों की तरह सफलता के कीर्तिमान रच सकते हैं।
टाटा ग्रुप एक सुपर ऐप लाने वाली है, जो चीनी एप वी चैट की तरह होगा
दरअसल, यह सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि टाटा ग्रुप एक सुपर ऐप लेकर आने वाली है, जो हूबहू चीनी एप वी चैट की तरह होगा। टाटा संस इसके लिए रिटेल इंडस्ट्री का सुपर बॉस वॉलमार्ट से हाथ मिला सकती है। ब्लूमवर्ग न्यूज की एक रिपोर्ट इसी ओर इशारा करती है, जिसमे कहा गया है कि वॉलमार्ट चर्चित सुपर ऐप के लिए टाटा ग्रुप में 25 अरब डॉलर का निवेश कर सकती है।
भारतीय जैक मा और पोनी मा बनने के लिए जो आजमा रहे हैं टाटा-अंबानी
भारतीय इंटरनेट बाजार को नियंत्रण करने की ओर अग्रसर अंबानी और टाटा समूह सुपर ऐप के जरिए भारतीय जैक मा और पोनी मा बनने के लिए लगातार हाथ-पैर मार रहे हैं। 152-वर्षीय टाटा समूह वॉलमार्ट इंक से सुपर-ऐप में निवेश के लिए जहं 25 अरब डॉलर के निवेश के लिए बात कर रहा है, तो दुनिया में 6वें सबसे अमीरों में शुमार रिलायंस इंड्स्ट्रीज इसी साल 20 खरब डॉलर जुटाए हैं। रिलायंस के डिजिटल वेंचर में फेसबुक, अल्फाबेट, सिल्वर लेक व अन्य निवेश किए हैं।
टाटा सूमह के चर्चित सुपर ऐप चीनी वी चैट एप की तरह होगा
टाटा सूमह के चर्चित सुपर एप चीनी वी चैट ऐप की तरह होगा, जो फैशन, जीवनशैली और इलेक्ट्रॉनिक्स खुदरा, खाद्य और किराना, बीमा और वित्तीय सेवाओं के संयोजन के लिए एक बहुउद्देशीय ऑनलाइन मंच होगा। मिंट अखबार ने बताया कि टाटा समूह के सुपर एप में डिजिटल सामग्री और शिक्षा सामाग्री का संयोजन होगा।
63 वर्षीय मुकेश अंबानी भारत की सबसे बड़े रिटेल कारोबारी में शुमार है
वहीं, 4 जी दूरसंचार नेटवर्क के लिए लगभग 40 करोड़ नियमित ग्राहकों के साथ 63 वर्षीय मुकेश अंबानी भारत की सबसे बड़े रिटेल कारोबार में भी शुमार है। उनके करीब 12 हजार स्टोर्स हैं। रतन टाटा की बात करें तो टाटा ग्रुप के 100 से अधिक बिजनस हैं। वह चायपत्ती से लेकर कार तक बनाती है। हर कैटिगरीज के बिजनस के लिए कंप्लीट अलग-अलग सप्लाई चेन सिस्टम है। अगर अंबानी 82 वर्षीय रतन टाटा को पछाड़ना चाहते हैं, तो उन्हें खुद के लिए अलीबाबा एप का लक्ष्य रख सकते हैं।
टाटा समूह टेटली चाय और जगुआर लैंड रोवर कार ब्रांडों का मालिक है
टाटा समूह टेटली चाय और जगुआर लैंड रोवर कार ब्रांडों का मालिक है, जिसकी आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ 100 से अधिक व्यवसाय है। अगर टाटा अपने वेंडरों को अपना माल, होस्ट डेटा और डिस्काउंट बिल बेचने, बिज़नेस-टू-कंज्यूमर या कंज्यूमर-टू-कंज्यूमर वेबसाइट्स में विस्तार करने के लिए एक पोर्टल प्रदान करते हैं, तो उनके लिए बहुत मुश्किल नहीं होना चाहिए। वहीं, टाटा समूह के सुपर एप में वॉलमार्ट निवेश करता है तो टाटा को यू.एस. रिटेलर की भारतीय ई-कॉमर्स वेबसाइट फ्लिपकार्ट के साथ-साथ भुगतान सेवा एप PhonePe तक भी पहुँचा जा सकता है, जिसे वॉलमार्ट ने 1600 करोड़ डॉलर में खरीदा है।
उपभोक्ता व्यवसायों को चलाने में टाटा समूह अधिक मजबूत है
माना जाता है कि उपभोक्ता व्यवसायों को चलाने में अंबानी की तुलना में टाटा समूह अधिक मजबूत है। हालांकि उसके कुछ उद्यम जैसे दुनिया की सबसे सस्ती कार जरूर फ्लॉप हो गई हैं। वहीं, समूह ने अंबानी के Jio 4G नेटवर्क से चुनौती को कम करके आंका और उसे अपने मोबाइल सेवा व्यवसाय को बंद करने के लिए मजबूर हो गया। वह कम लागत वाली घरेलू एयरलाइन में 51% का भागीदार है। हालांकि भारत के विमानन मंत्री ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि यह इकाई बंद दुकान के करीब है।
टाटा ग्रुप पर 20 अरब डॉलर यानी 1.5 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज है
टाटा ग्रुप पर 20 अरब डॉलर यानी 1.5 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज है। मुकेश अंबानी ने हाल ही में RIL को नेट डेट फ्री किया है। अंबानी ने रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल पर अपनी निर्भरता को कम किया है, ये ऐसे व्यवसाय थे, जो कोविद महामारी के बाद घटती मांग से वैश्विक ओवर सप्लाई के साथ संघर्ष करेंगे। टाटा समूह का स्टील और ऑटोमोटिव व्यवसायों में टाटा का 20 बिलियन डॉलर से अधिक का शुद्ध कर्ज है।
शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप को खरीदने के लिए अरबों डॉलर की जरूरत
रतन टाटा को होल्डिंग कंपनी में 18.4% शेयरधारक शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप को खरीदने के लिए अरबों डॉलर की जरूरत होगी, जबकि उसका शापूरजी पालोनजी मिस्त्री के साथ विवाद चल रहा है। ग्रुप ने SPG ग्रुप से टाटा संस की 18.4 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की बात की है। दूसरी तरफ रिलायंस की बात करें तो मुकेश अंबानी ने रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल्स पर अपनी निर्भरता घटा दी है।