भारत की सत्ता के दो अहम सेंटर बने नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को जानिए
नई दिल्ली। देश में नई सरकार का गठन भी हो गया है और नए मंत्री अपना पदभार संभालने में लग गए हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जो पहले बतौर गृहमंत्री नॉर्थ ब्लॉक में बैठते थे, अब रक्षा मंत्री बनने के बाद उनका नया ठिकाना साउथ ब्लॉक होगा। निर्मला सीतारमण जो रक्षा मंत्री के पद पर थीं और साउथ ब्लॉक में बैठती थीं, अब वित्त मंत्री बनने के बाद उनका नया ऑफिस नॉर्थ ब्लॉक में होगा। कुछ चेहरे जैसे नए होम मिनिस्टर अमित शाह पहली बार नॉर्थ ब्लॉक पहुंचे हैं। नॉर्थ और साउथ ब्लॉक ये सिर्फ दो बिल्डिंग्स ही नहीं बल्कि ऐसी इमारतें हैं जिनके आसपास पिछले कई दशकों से देश की सत्ता घूम रही है। आज आपको बताते हैं कि नॉर्थ और साउथ ब्लॉक दरअसल क्या हैं और इन दोनों हर बिल्डिंग्स में केंद्र सरकार के कौन-कौन से विभाग हैं।
यह भी पढ़ें-जानिए उन विभागों की अहमियत जो मोदी ने अपने पास रखे
राष्ट्रपति भवन से नजर आते हैं साफ
नॉर्थ और साउथ ब्लॉक, केंद्रीय सचिवालय का हिस्सा हैं और राष्ट्रपति भवन के दायीं और बायीं तरफ हैं। भारत सरकार के कई अहम ऑफिसेज यहीं पर हैं और यहां से संसद भवन का परिसर भी बस कुछ ही दूरी पर है। सन् 1911 में ब्रिटिश सरकार ने दिल्ली को राजधानी के तौर पर अपनाया। यहां पर इसके बाद एडविन लुटियंस को राष्ट्रपति भवन, जिसे उस समय वाइसराय हाउस नाम दिया गया था, उन्होंने दिल्ली का निर्माण किया। लुटियंस जहां दिल्ली की कई अहम इमारतों की डिजाइन में लगे थे तो हरबर्ट बेकर को साउथ अफ्रीका से बुलाया गया।
कौन-कौन से सरकारी ऑफिस
नॉर्थ ब्लॉक में गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय जैसे सरकारी विभाग हैं तो वहीं, साउथ ब्लॉक में रक्षा और विदेश मंत्रालय के अलावा पीएमओ और नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर यानी एनएसए का ऑफिस भी है। इसके अलावा सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) के चेयरमैन का ऑफिस नॉर्थ ब्लॉक में तो विदेश सचिव का ऑफिस साउथ ब्लॉक में है। वहीं कैबिनेट सेक्रेटरी का ऑफिस भी साउथ ब्लॉक में है। इसके अलावा तीनों सेनाओं के जनसंपर्क अधिकारी भी साउथ ब्लॉक में बैठते हैं।
सन् 1912 में पूरा हुआ काम
बेकर को केंद्रीय सचिवालय की डिजाइनिंग की जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने रायसीना हिल में केंद्रीय सचिवालय के दो अहम ब्लॉक नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को डिजाइन किया। कहा जाता है कि जैसे-जैसे निर्माण कार्य बढ़ता गया, बेकर और लुटियंस की रिलेशनशिप भी खराब होती गई। सन् 1912 में नॉर्थ दिल्ली में कुछ ही माह के अंदर केंद्रीय सचिवालय तैयार कर लिया गया। कई ऑफिसेज को यहां पर लाया गया। 13 फरवरी 1931 में बतौर राजधानी लॉर्ड इरविन ने दिल्ली का उद्घाटन किया। इसके साथ ही इस बिल्डिंग का कामकाज भी शुरू हो गया। बिल्डिंग के आने से पहले सारे सरकारी ऑफिस ओल्ड सेक्रेटेरिएट में हुआ करते थे। आज ओल्ड सेक्रेटेरिएट में दिल्ली की विधानसभा है।
दोनों बिल्डिंग्स में 1,000 कमरें
नॉर्थ और साउथ ब्लॉक्स में चार स्तर हैं और करीब 1,000 कमरें हैं। इन बिल्डिंग्स को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि एक साथ आने पर यह दो चतुर्भुज बना सकें। बिल्डिंग का ज्यादातर आर्किटेक्चर मुगल और राजस्थानी संस्कृति से प्रभावित है। दोनों बिल्डिंग्स पर गुंबद है जिसे छतरी कहा जाता है। आजादी के बाद बिल्डिंग्स पर भारत की सरकार का अधिकार हो गया और अब भारत सरकार के अहम विभाग के ऑफिसेज यहीं पर हैं।