जानें रानी पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी के रिश्ते का सच
रानी पद्मावती पर बन रही एक फिल्म की शूटिंग के दौरान डायरेक्टर से कथित तौर पर बदसलूकी की गई। तो आईए बताते हैं कि इस बवाल के केंद्र बिन्दु में रानी पद्मावती हैं कौन और खिलजी से उनके रिश्ते का सच।
नई दिल्ली। फिल्म डायरेक्टर संजय लीला भंसाली अपनी आगामी फिल्म पद्मावती की शूटिंग राजस्थान स्थित नाहरगढ़ फोर्ट में कर रहे हैं। इस दौरान उनके साथ बदसलूकी की गई। करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने भंसाली के साथ धक्का-मुक्की की और शूटिंग के लिए रखे उपकरणों और स्पीकर वगैरह तोड़ दिया। सेना के एक कार्यकर्ता ने भंसाली को थप्पड़ भी मार दिया। सेना के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि भंसाली की फिल्म में इतिहास से जुड़े तथ्यों और रानी पद्मावती की छवि तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। सेना का कहना है कि उन्हें अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मावती के बीच कथित रूप से फिल्माए जा रहे लव सीन पर आपत्ति है। तो आईए बताते हैं कि इस बवाल के केंद्र बिन्दु में रानी पद्मावती हैं कौन? रानी पद्मावती चित्तौड़ की रानी थी।
इतिहास
की
किताबों
की
मानें
तो
उनके
साहस
और
गौरवगाथा
का
वृहद
इतिहास
रहा
है।
राजा
गंधर्व
सेन
और
रानी
चंपावती
की
बेटी
रानी
पद्मावती
का
विवाह,
चित्तौड़
के
राजा
रतन
सिंह
से
हुआ
था।
वीरांगना
होने
के
साथ-साथ
रानी
पद्मावती
बहुत
खूबसूरत
भी
थीं।
इतिहास
की
किताबें
बताती
हैं
कि
दिल्ली
के
सुल्तान
अलाउद्दीन
खिलजी,
रानी
की
खूबसूरती
पर
मोहित
था।
किंवदंती
है
कि
खिलजी
ने
आईने
में
रानी
पद्मावती
को
देखा
था
और
वो
उसी
से
उन
पर
अभिभूत
हो
गया
था।
इतिहास
के
मुताबिक
पद्मावती
के
लिए
खिलजी
ने
चित्तौड़
पर
हमला
कर
दिया।
इसके
बाद
उसने
रानी
पद्मावती
के
पति
राजा
रतन
सिंह
को
बंधक
बना
लिया
और
पद्मावती
की
मांग
करने
लगा।
इसके
बाद
चौहान
राजपूत
सेनापति
गोरा
और
बादल
ने
खिलजी
को
हराने
के
लिए
संदेश
भिजवाया
कि
अगली
सुबह
पद्मावती
उसके
हवाले
कर
दी
जाएगी।
इसके
लिए
अगली
सुबह
150
पालकियां
खिलजी
के
शिविर
की
ओर
भेजी
गई।
पालकियों
को
वहीं
रोक
दिया
गया
जहां
रतन
सिंह
बंदी
बनाए
गए
थे।
इसके
बाद
पालकियों
से
सशस्त्र
सैनिक
निकले
और
रतन
सिंह
को
छुड़ा
कर
ले
गए।
जब
खिलजी
को
इस
बात
की
जानकारी
हुई
कि
रतन
सिंह
को
छुड़ा
लिया
गा
तो
उसने
अपनी
सेना
को
चितौड़
करने
का
आदेश
दिया।
लेकिन
वो
किले
में
प्रवेश
ना
कर
पाया।
जिसके
बाद
खिलजी
ने
किले
की
घेराबंदी
कर
दी।
ये
घेराबंदी
इतनी
मजबूत
थी
कि
धीरे-धीरे
किले
में
राशन
और
खाद्य
सामग्रियों
के
लिए
दिक्कत
हो
गई।
आखिरकार
हार
मान
कर
रतन
सिंह
ने
द्वार
खोलने
का
आदेश
और
खिलजी
से
लड़ते
हुए
मारे
गए।
जिसके
बाद
चित्तौड़
की
महिलाओं
ने
आग
जलाई
और
अपनी
आन-बान
को
बचाने
के
लिए
रानी
पद्मावती
ने
आग
में
कूद
कर
अपनी
जान
दे
दी।
बतातें
हैं
कि
रानी
पद्मावती
के
बाद
चित्तौड़
की
औरतें
इसी
आग
में
कूद
गई।
इस
तरह
से
अपनी
जान
देने
को
जौहर
कहते
थे।
बता
दें
कि
खिलजी
का
साम्राज्य
दक्षिण
में
मदुरै
तक
फैला
था।
इसके
बाद
इतना
बड़ा
भारतीय
साम्राज्य
अगले
तीन
सौ
सालों
तक
कोई
भी
शासक
स्थापित
नहीं
कर
पाया
था।
ये
भी
पढ़ें:
जयपुर
में
'पद्मावती'
की
शूटिंग
के
दौरान
हंगामा,
संजय
लीला
भंसाली
को
जड़ा
थप्पड़