Dr Rajendra Prasad Birth Anniversary: भारत के पहले राष्ट्रपति के बारे में कितना जानते हैं आप?
Dr Rajendra Prasad 136th Birth Anniversary: भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आज (3 दिसंबर) 136वीं जयंती है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के तत्कालीन सारण (अब सीवान) के जीरादेई नामक गांव में हुआ था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद एक प्रतिभाशाली विद्वान, एक शिक्षक, वकील, स्वतंत्रता सेनानी और भारत के पहले राष्ट्रपति थे। वो कितने विद्वान थे, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जब वे कोलकाता में प्रेसीडेंसी कॉलेज (अब प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी) में एक छात्र थे तो एक परीक्षक (examiner) ने राजेंद्र प्रसाद की कॉपी को देखकर कहा था, परीक्षार्थी (examinee) परीक्षक से बहेतर है।

डॉ राजेंद्र प्रसाद हमेशा अपने काम के प्रति अपने समर्पण के लिए जाने जाते थे। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि डॉ राजेंद्र प्रसाद की बहन की मृत्यु 25 जनवरी, 1950 को उस ऐतिहासिक क्षण से पहले हुई थी, जब भारतीय संविधान लागू होने जा रहा था। राजेंद्र प्रसाद भारत गणराज्य के स्थापना समारोह के बाद ही अपनी बहन के दाह संस्कार में शामिल हुए थे।
जानिए भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बारे में?
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे। भारत के पहले राष्ट्रपति के अलावा उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई थी। राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने भारत के पहले मंत्रिमंडल में 1946 और 1947 में कृषि और खाद्यमंत्री का दायित्व भी निभाया था। उन्हें ''राजेंद्र बाबू'' भी कहा जाता है।
- 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सारण जिले में जन्में राजेंद्र प्रसाद के पिता महादेव सहाय संस्कृत और फारसी के विद्वान थे। उनकी मां का नाम कमलेश्वरी देवी था। राजेंद्र प्रसाद की प्रारंभिक शिक्षा छपरा के एक जिला स्कूल में हुई थी। इसके बाद 18 साल की उम्र में उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा दी, जिसमें उन्हें प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान मिला। उसके बाद उन्होंने कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया। 1915 में राजेंद्र प्रसाद ने स्वर्ण पद के एम० एल० की परीक्षा पास की और बाद में लॉ में उन्होंने डॉक्ट्रेट की उपाधि भी ली।
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद कई भाषाओं को जानते थे। राजेंद्र प्रसाद ने बचपन में फारसी और उर्दू से पढ़ाई शुरू की थी। बीए में उन्होंने हिंदी लिया। अंग्रेजी, हिंदी, फारसी, बंगाली के साहित्य को उन्होंने अच्छे से पढ़ा था। उन्हें गुजराती भी समझ में आती थी। एम० एल० के लिए हिंदू कानून का राजेंद्र बाबू ने संस्कृत ग्रंथों से ज्ञान प्राप्त किया था।
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद बिहार के एक कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे, लेकिन बाद में उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की।
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कानून की पढ़ाई करते हुए कोलकाता के एक कॉलेज में पढ़ाया। बाद में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से लॉ में डॉक्टरेट किया।
-डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए थे। वे महात्मा गांधी से गहरे प्रभावित थे और 1931 के 'नमक सत्याग्रह' और 1942 के 'भारत छोड़ो आंदोलन' के दौरान जेल गए थे।
-डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारतीय संविधान बनाने में बड़ी भूमिका निभाई। 1962 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार - भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
-डॉ. राजेंद्र प्रसाद 1950 से 1962 तक भारत के राष्ट्रपति रहे। दो कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति बनने के बाद, 1962 में सर्वोच्च पद से हट गए। राजेंद्र प्रसाद का 28 फरवरी 1963 को 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया। अपने जीवन के आखिरी महीने बिताने के लिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पटना के निकट सदाकत आश्रम को चुना था। इसी आश्रम में उन्होंने आखिरी सांस ली थी।