बाहुबली विधायक अनंत सिंह पर एक्शन लेने वाली IPS लिपि सिंह क्यों हैं सुर्खियों में?
पटना। बाहुबली विधायक अनंत सिंह पर एक्शन को लेकर बिहार की आइपीएस अधिकारी लिपि सिंह सुर्खियों में हैं। एक तरफ उनके साहस की तारीफ हो रही है तो दूसरी तरफ इस कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण भी बताया जा रहा है। विधायक अनंत सिंह ने आरोप लगाया है बाढ़ की एएसपी लिपि सिंह, जदयू सांसद ललन सिंह के इशारे पर उनके खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित हो कर कार्रवाई कर रही हैं। आखिर अनंत सिंह यह आरोप क्यों लगा रहे हैं ? कौन हैं आइपीएस लिपि सिंह जो विवादों के केन्द्र में आ गयी हैं ? इस बीच जदयू की नेता और पूर्व प्रवक्ता प्रोफेसर सुहेली मेहता ने अपने फेसबुक पोस्ट के जरिये लिपि सिंह की खूब तारीफ की है। अनंत सिंह पर कार्रवाई को लेकर सुहेली मेहता ने लिपि सिंह के लिए लिखा है- खूब लड़ रही मर्दानी, ये है नालंदा की राजकुमारी। एक झांसी की रानी थी और ये है पटना की पुलिसिया रानी। जदयू नेता की इस टिपण्णी से इस पूरे मामले पर राजनीतिक रंग चढ़ गया है।
कौन हैं लिपि सिंह के पिता?
लिपि सिंह के पिता का नाम रामचंद्र प्रसाद सिंह है। वे आरसीपी सिंह के नाम से अधिक मशहूर हैं। आरसीपी सिंह जदयू के राष्ट्रीय महासचिव हैं। वे राज्यसभा के सांसद हैं और नीतीश के सबसे करीबी माने जाते हैं। आरसीपी उत्तर प्रदेश कैडर के आइएएस अफसर रहे हैं और नालंदा जिले के ही रहने वाले हैं। नीतीश जब केन्द्र में मंत्री बने थे तब उन्होंने अपने गृह जिले के इस अधिकारी को प्राइवेट सेक्रेटरी बना लिया था। दोनों एक ही जिले के थे और स्वजातीय थे। फिर तो दोनों की खूब जमी। नीतीश जब 2005 में सीएम बने तो उन्होंने आरसीपी को प्रिंसिपल सेक्रेटरी बना कर पटना बुला लिया। नीतीश के आग्रह पर ही उन्होंने आइएएस की नौकरी छोड़ कर नेता बनना कबूल किया था। वे नेता बने और नीतीश के सबसे बड़े सलाहकार के रूप में स्थापित हो गये। 2010 में नीतीश ने उन्हें राज्यसभा में भेजा था। आज की तारीख में नीतीश के बाद जदयू में आरसीपी सिंह और ललन सिंह ही सबसे मजबूत नेता माने जाते हैं।
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कौन हैं लिपि सिंह?
लिपि सिंह आरसीपी सिंह की बड़ी पुत्री हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश के उन शहरों में हुई जहां-जहां उनके पिता आइएएस अफसर के रूप में तैनात रहे। फिर वे दिल्ली पब्लिक स्कूल, आरकेपुरम पढ़ने के लिए गयीं। वहां से इंटरमीडिएट पास करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में बीए किया। फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से ही उन्होंने कानून में डिग्री हासिल की। इसके बाद यूपीएससी की तैयारी में जुट गयीं। पहली बार में उनका चयन भारतीय राजस्व सेवा के लिए हुआ लेकिन उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। लिपि सिंह को खुद पर भरोसा था और बेहतर रैंक लाना चाहती थीं। वे पटना लौट आयीं। उन्होंने नये सिरे से यूपीएससी पर फोकस किया। पटना हाईकोर्ट में वकालत भी करने लगीं। 2016 में जब यूपीएससी का रिजल्ट निकला तो उन्हें 114 वीं रैंक मिली। वे आइपीएस के लिए चुनी गयीं और बिहार कैडर मिला। ट्रेनिंग के दौरान उनकी पहली तैनाती पटना से सटे नौबतपुर में थानेदार के रूप में हुई। वहां उन्होंने एक सख्त अधिकारी की छवि बनायी। फिर 2018 में उन्हें बाढ़ का एसडीपीओ बनाया गया तो पहली बार उनके राजनीति सरोकारों पर सवाल उठे। दरअसल लिपि सिंह को पटना के आसपास ही पोस्टिंग मिलने से कहा जाने लगा कि उनके सांसद पिता की वजह से ऐसा हो रहा है। इसके अलावा लिपि सिंह के आइएएस पति सुहर्ष भगत को भी पटना में ही पोस्टिंग मिलती रही। इन कारणों से लिपि सिंह के पोलिटिकल कनेक्शन पर सवाल होते रहे।
कैसे बढ़ा विवाद?
इस साल लोकसभा चुनाव के समय जब निर्दलीय विधायक अनंत सिंह ने मुंगेर से मैदान में उतरने की घोषणा की थी तो बिहार की राजनीति में जोर का तूफान उठा था। अनंत के इस फैसले से जदयू के कद्दावर नेता ललन सिंह असहज हो गये थे। वे खुद चुनाव लड़ने वाले थे। अनंत कभी ललन सिंह के खासमखास थे। जब अनंत नहीं माने तो ललन सिंह खफा हो गये। इस बीच कांग्रेस ने अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को मुंगेर से टिकट दे दिया। कहा जाता है कि यहीं से ललन सिंह की अनंत से अदावत शुरू हो गयी। हालांकि ललन सिंह बड़े मार्जिन से चुनाव जीता फिर भी उनका गुस्सा अनंत पर बना रहा। चुनाव के समय ही अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी ने बाढ़ की एएसपी लिपि सिंह पर आरोप लगाया था कि वे जदयू के इशारे पर उनके समर्थकों को परेशान कर रही हैं। ललन सिंह के पक्ष में लिपि सिंह पर पक्षपात की आशंका जतायी गयी थी। चुनाव आयोग में इसकी लिखित शिकायत भी की गयी थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने लिपि सिंह को इलेक्शन ड्यूटी से अलग करते हुए एटीएस में तबादला कर दिया था। कहा जाता है कि इससे लिपि सिंह भी बहुत नाराज हुईं थीं। जैसे ही चुनाव आचार संहिता खत्म हुआ बिहार सरकार ने एक बार फिर लिपि सिंह को बाढ़ का एएसपी बना दिया। इसके बाद यह आरोप लगने लगा कि सरकार ने अनंत सिंह को टारगेट करने के लिए ही फिर लिपि सिंह को बाढ़ में तैनात किया है। अनंत सिंह का पैतृक घर बाढ़ के लदमा गांव में ही है।
ललन के भाषण के बाद कार्रवाई पर सवाल
जदयू के सांसद ललन सिंह परिवहन विभाग के एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बाढ़ पहुंचे थे। 12 अगस्त को उनका एक वीडियो सार्वजनिक हुआ था जिसमें उन्होंने अनंत सिंह का नाम लिये बिना एएसपी लिपि सिंह को कार्रवाई के लिए कहा था। वीडियो में ललन सिंह कहते दिखे थे, एएसपी साहिबा, हम आपसे विशेष तौर पर आग्रह करते हैं कि आप सख्ती से बाढ़ में कानून का शासन स्थापित कीजिए। अपराधी कोई भी हो उसे बख्शने की जरूरत नहीं। अपराधी, अपराधी होता है, वो किसी का नहीं होता। आप विचलित नहीं होना, क्यों कि जब अपराधी पर कार्रवाई होती है या संगठित लोगों पर कार्रवाई होती है तो लोग तरह -तरह की बातें बोलते हैं। इस वीडियो के सार्वजनिक होने के चार दिन बाद ही बाढ़ की एएसपी लिपि सिंह, पटना के ग्रामीण एसपी, कई थानों की पुलिस ने अनंत सिंह के घर पर आधी रात के बाद छापा मार दिया था। इस छापेमारी में ही अनंत सिंह के पैतृक घर से एके-47 राइफल बरामद की गयी थी। अब अनंत सिंह का आरोप है कि पुलिस उन्हें राजनीतिक कारणों से फंसा रही है। दूसरी तरफ सवाल ये भी पूछा जा रहा है कि आखिर ललन सिंह के कहने के चार दिन बाद ही ये छापा क्यों पड़ गया ? यूएपीए कानून में संशोधन के बाद देश में पहली बार इसे अनंत सिंह पर ही लागू किया गया है। इसके तहत किसी को आतंकी घोषित किया जा सकता है। अब विधायक के समर्थक सवाल पूछ रहे हैं कि क्या अनंत सिंह को निबटाने की तैयारी है ?
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