जानिए, कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके उन नेताओं की एक पूरी फेहरिस्त, जो गांधी परिवार से नहीं थे
बेंगलुरू। 100 वर्ष से अधिक पुरानी पार्टी कांग्रेस एक बार फिर परिवार और बाहरी की देहरी के बीच एक नया अध्यक्ष चुनने की ओर बढ़ रही है। चूंकि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा 2019 लोकसभा चुनाव के बाद खुद को अध्यक्ष पद से किनारे कर लिया है और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी रेस में नहीं हैं, तो 10 अगस्त को समाप्त हुए अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की कुर्सी के बाद अब कांग्रेस में नए अध्यक्ष को चुनने की कवायद शुरू हो गई है। प्रियंका गांधी ने गांधी परिवार से इतर कांग्रेस अध्यक्ष चुनने की बात कहकर मुद्दे को दिलचस्प बना दिया है।
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कांग्रेस पार्टी पिछले एक वर्ष से कांग्रेस अध्यक्ष की तलाश में नाकाम रही
इसे कांग्रेस पार्टी की खराब दशा और दिशा का द्योतक मानेंगे कि कांग्रेस पार्टी पिछले एक वर्ष से कांग्रेस अध्यक्ष तलाशने में नाकाम रही है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष पद सौंपने की बात कह चुके हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव 2019 में हार की हताशा में अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश की थी, जिसके बाद सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष चुन लिया गया, लेकिन अभी तक कांग्रेस को वह चेहरा नहीं मिल सका है, जिसको सेहरा पहनाया जा सके।
प्रियंका गांधी ने गांधी परिवार से इतर कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की बात कही
फिलहाल, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा गांधी परिवार से इतर कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की बात कहकर मामला दिलचस्प बना दिया है, जिस पर पिछले लोकसभा चुनाव के बाद लंबे वक्त तक पार्टी में घमासान मच गया था और कोई सर्वमान्य नेता नहीं मिला तो हारकर बुजुर्ग सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष का जिम्मा संभालना पड़ा था, लेकिन अब उनका कार्यकाल पूरा हो चुका है, इसलिए शशि थरूर ने भी अध्यक्ष पद के चुनाव प्रक्रिया शुरू करने का आह्वान करते हुए कहा कि सोनिया गांधी अनिश्चित काल के लिए अंतरिम अध्यक्ष नहीं बनी रह सकती हैं।
नया अध्यक्ष वहीं चुना जाएगा, जो गांधी परिवार के प्रति निष्ठावान होगा
माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी के बयान के बाद अब कांग्रेस पार्टी में नए अध्यक्ष की तलाश शुरू हो गई है और गांधी परिवार से इतर बुजुर्ग कांग्रेसी और युवा कांग्रेसी नेताओं के बीच रस्साकसी का एक नया दौर देखने को मिलेगा। कौन कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुना जाएगा, यह महत्वपूर्ण सवाला है, क्योंकि नया अध्यक्ष वहीं चुना जाएगा, जो गांधी परिवार के प्रति निष्ठावान होगा। गांधी परिवार से इतर उसी कांग्रेसी नेता को पूर्णकालिक अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलेगी, जो पूर्ण रूप से गांधी परिवार के प्रति वफादार हो। इनमें पहला नाम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम लिया जा सकता है।
कांग्रेस में कुल 18 अध्यक्ष हुए हैं, 13 अध्यक्षों का नाता गांधी परिवार से नहीं रहा
सबसे महत्वपूर्ण सवाल है कि 100 वर्ष से अधिक पुरानी कांग्रेस पार्टी के इतिहास में अब तक कितने बाहरी कांग्रेस अध्यक्ष पद की शोभा बढ़ा चुका है। आजाद भारत के बाद कांग्रेस में अब तक 18 अध्यक्ष हुए हैं। इनमें जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी तक सभी गांधी परिवार से अध्यक्ष बने, जबकि 13 अध्यक्षों का नाता गांधी परिवार से नहीं रहा।
1955 से लेकर 1978 तक कांग्रेस की कमान गैर गांधी व्यक्ति के पास रही
वर्ष 1951 से 54 के बीच तक नेहरू प्रधानमंत्री रहने के दौरान पार्टी अध्यक्ष भी रहे। सिर्फ 1959 को छोड़कर 1955 से लेकर 1978 तक कांग्रेस की कमान गैर गांधी व्यक्ति के पास रही। इस दौरान कांग्रेस की ही सत्ता रही। इंदिरा गांधी ने 1967 और 1971 के लोकसभा चुनाव में लगातार दो बहुमत की सरकार भी गैर गांधी अध्यक्ष के कार्यकाल में बनाई। तो आइए जानते हैं कि वर्ष 1947 के बाद से कब-कब कांग्रेस गांधी परिवार से मुक्त रही।
आजादी के बाद अध्यक्ष बने जेबी कृपलानी पहले गैर गांधी परिवार व्यक्ति थे
वर्ष 1947 में अंग्रेजों से मिली आजादी के बाद जेबी कृपलानी कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। गैर-गांधी परिवार के कांग्रेसी नेता जेबी कृपलानी को कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मेरठ में कांग्रेस के अधिवेशन में मिली थी। कृपलानी को महात्मा गांधी के भरोसेमंद व्यक्तियों में माना जाता था।
वर्ष 1948 से 1949 के बीच कांग्रेस की कमान पट्टाभि सीतारमैया के पास रही
वर्ष 1948 से 1949 के बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष की कमान पट्टाभि सीतारमैया के पास रही। कांग्रेस अध्यक्ष रहे पट्टाभि सीतारमैया ने ही जयपुर कांफ्रेंस की अध्यक्षता की थी।
वर्ष 1950 में पुरुषोत्तम दास टंडन कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए
वर्ष 1950 में पुरुषोत्तम दास टंडन कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। उन्होंने नासिक अधिवेशन की अध्यक्षता की। यह पुरुषोत्तम दास टंडन ही थे, जिन्होंने हिंदी को आधिकारिक भाषा देने की मांग की थी
वर्ष 1955 से 1959 के बीच यूएन ढेबर कांग्रेस के अध्यक्ष रहे
वर्ष 1955 से 1959 के बीच यूएन ढेबर कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान अमृतसर, इंदौर, गुवाहाटी और नागपुर के अधिवेशनों की अध्यक्षता की। यूएन ढेवर के बाद वर्ष 1959 में इंदिरा गांधी अध्यक्ष चुनी गईं।
वर्ष 1960 से 1963 के बीच नीलम संजीव रेड्डी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे
वर्ष 1960 से 1963 के बीच नीलम संजीव रेड्डी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। उन्होंने बेंगलूरु, भावनगर और पटना के अधिवेशनों की अध्यक्षता की। हालांकि बाद में नीलम संजीव रेड्डी देश के छठे राष्ट्रपति भी चुन लिए गए।
वर्ष 1964 से1967 के बीच के कामराज कांग्रेस के अध्यक्ष रहे
वर्ष 1964 से1967 के बीच भारतीय राजनीति में किंगमेकर कहे जाने वाले के कामराज कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। उन्होंने भुबनेश्वर, दुर्गापुर और जयपुर के अधिवेशन की अध्यक्षता की। कामराज ने पं. नेहरू की मौत के बाद लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री बनने में अहम भूमिका निभाई थी।
वर्ष 1968 से 1969 एस. निजलिंगप्पा कांग्रेस अध्यक्ष रहे
वर्ष 1968 से 1969 एस. निजलिंगप्पा कांग्रेस अध्यक्ष रहे। निजलिंगप्पा ने स्वतंत्रता आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।
वर्ष 1970 से 1971 के बीच बाबू जगजीवन राम कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर रहे
वर्ष 1970 से 1971 के बीच बाबू जगजीवन राम कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर रहे। इससे पहले 1946 में बनी नेहरू की अंतरिम सरकार में वह सबसे नौजवान मंत्री रह चुके थे। उनकी बेटी मीरा कुमार करीब एक दशक तक लोकसभा अध्यक्ष पद पर आसीन रहीं थीं।
वर्ष 1972 से 1974 के बीच शंकर दयाल शर्मा कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए
वर्ष 1972 से 1974 के बीच शंकर दयाल शर्मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। नीलम संजीव रेड्डी के बाद शंकर दयाल शर्मा दूसरे अध्यक्ष रहे, जिन्हें बाद में राष्ट्रपति बनने का मौका मिला था।
वर्ष 1975 से 1977 के बीच देवकांत बरुआ कांग्रेस के अध्यक्ष बने
वर्ष 1975 से 1977 के बीच देवकांत बरुआ कांग्रेस के अध्यक्ष बने। यह भारत पर थोपे गए इमरजेंसी का दौर था। देवकांत बरुआ ने ही इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा का चर्चित नारा दिया था।
वर्ष 1977 से 1978 के बीच ब्रह्मनंद रेड्डी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे
वर्ष 1977 से 1978 के बीच ब्रह्मनंद रेड्डी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। इसके बाद ही कांग्रेस का विभाजन हो गया। इंदिरा गांधी कांग्रेस(आई) की अध्यक्ष बनीं और वर्ष 1984 में हत्या होने तक इंदिरा गांधी कांग्रेस आई की अध्यक्ष पद पर रहीं। इंदिरा गांधी की मौत के बाद वर्ष 1985 से 1991 तक राजीव गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे।
वर्ष 1992 से 1996 के बीच पूर्व PM पीवी नरसिम्हा राव कांग्रेस अध्यक्ष रहे
वर्ष 1992 से 1996 के बीच राजीव गांधी की हत्या के बाद पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। पीवी नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्रित्व काल में ही देश में उदारीकरण की नींव पड़ी थी।
वर्ष 1996 से 1998 के बीच सीताराम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए
वर्ष 1996 से 1998 के बीच सीताराम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए। सीताराम केसरी का विवादों से भी नाता रहा। इसके बाद से यानी वर्ष 1998 से 2017 तक सबसे लंबे समय तक सोनिया गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर विराजमान रहीं। उनके बाद कुछ अंतराल के लिए राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने, लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद त्यागने की पेशकश की, जिसके बाद सोनिया गांधी को एक वर्ष के लिए अंतरिम अध्यक्ष चुना गया, जिसका कार्यकाल 10 अगस्त, 2020 को खत्म हो गया।