क्विक अलर्ट के लिए
For Daily Alerts
जानिए नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी से जुड़ी 11 महत्वपूर्ण बातें
बेंगलौर। गांधीवादी परंपरा से जुड़े भारतीय समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। सत्यार्थी लंबे समय से बच्चों को बाल मजदूरी से हटाकर उन्हें शिक्षा अभियान से जोड़ने की मुहिम चलाते रहे हैं।
वहीं, दूसरी ओर पाकिस्तान की मलाला युसुफजई ने 14 साल की उम्र से ही लड़कियों की शिक्षा के पक्ष में आवाज उठाई थी। गौरतलब है कि, दोनों ही इस बार नोबेल पुरस्कार भारत और पाकिस्तान के उन दो लोगों को मिला है , जो बच्चों की पढ़ाई और उनके हक के लिए कट्टरपंथ से संघर्ष कर रहे हैं।
यहां हम आपको बता रहे हैं शांति का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले कैलाश सत्यार्थी से जुड़ी 11 बातें:
- कैलाश सत्यार्थी पहले ऐसे नोबेल विजेता हैं , जो भारत में जन्मे हैं।
- भारत के मध्य प्रदेश के विदिशा में 11 जनवरी 1954 को पैदा हुए कैलाश सत्यार्थी इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे। लेकिन 26 वर्ष की आयु में कैलाश समाज सेवा में कूद पड़े और बच्चों से जुड़े आंदोलन शुरू किया।
- 1983 में कैलाश सत्यार्थी ने बाल श्रम के खिलाफ आवाज उठाई और 'बचपन बचाओ आंदोलन' की शुरूआत की। इनकी वजह से हजारों बच्चों को बाल श्रम की गिरफ्त से बाहर निकलने का मौका मिला।
- कैलाश सत्यार्थी ने की एनजीओ और एक्टिविस्ट की मदद से विभिन्न जगहों पर स्थित ऐसे फैक्टरियों और वेयरहाउस पर छापे मरवाए थे, जहां बच्चों से मजदूरी कराई जाती है।
- इस समय कैलाश 'ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर' (बाल श्रम के ख़िलाफ़ वैश्विक अभियान) के अध्यक्ष भी हैं।
- जब नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने को सत्यार्थी ने ट्विट किया था कि, 'एक चाय बेचने वाले लड़के ने प्रधानमंत्री बनकर अपने निंदकों का मुंह बंद कर दिया है। अब उसकी बारी है कि वह सुनिश्चित करे कि कोई भी बच्चा बाल श्रम के फंदे में फंसाया जाए।
- सत्यार्थी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बच्चों के अधिकार से जुड़े प्रथा और रिवाजों के विकास के लिए काफी योगदान दिया है।
- उन्होंने 'रगमार्क' की शुरूआत की, जो यह प्रमाणित करती है कि विदेशों में बेचे जाने वाले दरी, कालीन एवं कंबल जैसे उत्पादों में बाल श्रम का योगदान नहीं लिया गया है। इनका यह कदम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बाल श्रम को लेकर जागरूकता फैलाने में काफी सफल साबित हुई।
- उनके संगठन 'बचपन बचाओ आंदोलन' ने अब तक 80,000 से ज़्यादा बालश्रमिकों को मुक्त कराया है।
- सत्यार्थी का नाम बाल अधिकार के लिए लंबी संघर्ष करने के लिए पहले भी कई बार नोबेल पुरस्कार के लिए नोमिनेट किया गया था।
- कैलाश सत्यार्थी ने विभिन्न रूपों में प्रदर्शनों तथा विरोध-प्रदर्शनों की परिकल्पना और नेतृत्व को अंजाम दिया, जो सभी शांतिपूर्ण ढंग से पूरे किए गए। इन सभी का मुख्य उद्देश्य आर्थिक लाभ के लिए बच्चों के शोषण के खिलाफ काम करना था।
Comments
English summary
Indian child rights activist Kailash Satyarthi has won the Nobel Peace Prize for 2014, it was announced on Friday.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें