एग्जिट पोल गलत साबित हुए तो ये किंगमेकर बनाएंगे नई सरकार
नई दिल्ली- इस बार के चुनाव में एक बात खास है। 19 मई को अंतिम दौर की वोटिंग के बाद जितने भी एग्जिट पोल आए, उन सभी में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के दोबारा प्रधानमंत्री बनने की संभावना जताई गई है। अलबत्ता बीजेपी (BJP) एवं एनडीए (NDA) के लिए सीटों के अनुमान में भारी अंतर है और राज्यों से आने वाली सीटों को लेकर भी काफी मतभेद नजर आ रहे हैं। ये भी कोई दावे के साथ कहने की स्थिति में नहीं है कि उसी का अनुमान 23 तारीख को काउंटिंग के बाद भी सही साबित होने जा रहा है। यानी एग्जिट पोल (Exit Polls) की भविष्यवाणियां गलत भी हो सकती हैं। ऐसा पहले कई बार हो भी चुका है। इसलिए ये सवाल वाजिब है कि अगर एनडीए (NDA) को फिर से बहुमत नहीं मिला, तो देशभर में सियासत के वो कौन-कौन चेहरे हैं, जो नई सरकार बनाने में किंगमेकर (Kingmakers) की भूमिका निभा सकते हैं। क्षेत्रीय दलों के ये चेहरे मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी या राहुल गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस को 272 सीटों के जादुई आंकड़े तक पहुंचाने में मदद कर सकते हैं।
ममता बनर्जी
तमाम एग्जिट पोल जिसे टीएमसी (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) गप्पबाजी (Gossip) कहकर खारिज कर चुकी हैं, उन्होंने पश्चिम बंगाल में दीदी की पार्टी को 24 से 29 सीटें तक मिलने का अनुमान जताया है। 16वीं लोकसभा में राज्य की 42 सीटों में से टीएमसी को 34 सीटें मिली थीं। पिछले 5 वर्षों में ममता क्षेत्रीय नेताओं में मोदी की सबसे बड़ी विरोधी के तौर पर उभरी हैं। 23 तारीख के बाद वो गैर-बीजेपी सरकार बनवाने में बहुत बड़ा रोल प्ले कर सकती हैं। उन्होंने 1998 में कांग्रेस से निकल कर टीएमसी (TMC) बनाई थी। मौजूदा लोकसभा चुनावों के दौरान भी वो मोदी की सबसे कट्टर विरोधी की भूमिका में नजर आईं, ऐसे में वो एक बार फिर से कांग्रेस के करीब जा सकती हैं।
मायावती
63 साल की मायावती (Mayawati) की बीएसपी (BSP) दलितों की पार्टी होने का दावा करती है, जो भारत की आबादी में लगभग पांचवां हिस्सा हैं। इस चुनाव में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की समाजवादी पार्टी (SP) के गठबंधन की वजह से ये दोनों यूपी में बीजेपी की राह का सबसे बड़ा रोड़ा बने हुए हैं। माना जा रहा था कि इनका गठबंधन उत्तर प्रदेश (UP) में बीजेपी (BJP) का सफाया कर देगा। हालांकि, एग्जिट पोल में इनके लिए 10 से लेकर 45 सीटों तक का अनुमान बताया गया है। इन अनुमानों को देखने के बाद ही मायावती (Mayawati) ने दिल्ली में विपक्षी नेताओं के साथ होने वाली बैठक में जाने से मना कर दिया। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान मायावती (Mayawati) ने जिस तरह से मोदी और बीजेपी के खिलाफ रुख अपनाया है, उससे लगता है कि वो गैर-मोदी सरकार बनवाने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती हैं।
एम के स्टालिन
16वीं लोकसभा में तमिलनाडु (Tamilnadu) की सत्ताधारी पार्टी एआईएडीएमके (AIADMK) राज्य की 39 में से 37 सीटें जीतकर लोकसभा में तीसरे नंबर की पार्टी बनी थी। लेकिन, इस बार के सारे एग्जिट पोल में विपक्षी डीएमके (DMK) का पलड़ा वहां भारी बताया जा रहा है। इस चुनाव में डीएमके (DMK) के मुखिया एम के स्टालिन (M K Stalin) ने प्रदेश में कांग्रेस के साथ अपनी पार्टी का गठबंधन किया है और एग्जिट पोल में उनके गठबंधन को राज्य की 39 लोकसभा सीटों में से 27 सीटें तक मिलने का अनुमान जताया गया है। एम के स्टालिन (M K Stalin) तो सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि वो राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाना चाहेंगे। हालांकि, जीडीपी के नजरिए से भारत के इस दूसरे सबसे राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी के मुखिया के बारे में बीजेपी (BJP) के लोकल लीडर यहां तक दावा कर चुके हैं कि 66 साल के डीएमके चीफ चुनाव बाद होने वाली डील को लेकर उनसे भी संपर्क में हैं।
अखिलेश यादव
16वीं लोकसभा में 46 वर्षीय अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की समाजवादी पार्टी (SP) के पास लोकसभा में 7 सांसद हैं। लेकिन, इस बार बीएसपी (BSP) के साथ महागठबंधन की वजह से उनकी सीटों में भारी इजाफे के कयास लगाए जाते रहे हैं। लेकिन, एग्जिट पोल के अनुमानों में भी यूपी में एसपी-बीएसपी (SP-BSP) की सीटों को लेकर राय बंटी हुई नजर आती है। इस चुनाव में अखिलेश यादव ने जिस तरह से प्रचार अभियान चलाया है, उसे देखने के बाद कहा जा सकता है कि अगर उनके लिए परिस्थितियां बनीं, तो वे एंटी-मोदी कैंप की सरकार बनाना ही पसंद करेंगे।
के चंद्रशेखर राव
के चंद्रशेखर राव (K Chandrashekar Rao) को वैसे तो बीजेपी का करीब माना जाता रहा है। लेकिन, पिछले कुछ वक्त में उन्होंने गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेस सरकार बनाने की संभावनाओं को लेकर बहुत ज्यादा हाथ-पैर मारे हैं। तेलंगाना (Telangana) के 65 वर्षीय मुख्यमंत्री अपने इरादे को लेकर केरल के सीएम विजयन और तमिलनाडु में डीएमके नेता एम के स्टालिन तक से बात कर चुके हैं। वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता कुमारस्वामी से भी संपर्क में हैं। मौजूदा लोकसभा में उनकी टीआरएस (TRS) के पास राज्य की 17 में से 10 सीटें हैं और एग्जिट पोल के अनुमानों में ये बढ़कर 13 तक बताई जा रही हैं। अगली सरकार बनाने में इनकी भी बड़ी भूमिका हो सकती है।
चंद्रबाबू नायडू/जगनमोहन रेड्डी
आंध्र प्रदेश के दो राजनेताओं टीडीपी (TDP) नेता चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) और वाईएसआर कांग्रेस (YSR Congress) के नेता वाईएस जगनमोहन रेड्डी (Y S Jagan Mohan Reddy) में से इस बार किसी की भी लॉटरी लग सकती है। एग्जिट पोल के अनुमानों में अबकी बार रेड्डी की संभावनाएं ज्यादा बेहतर नजर आ रही हैं। हालांकि, नतीजे से पहले मोदी को कुर्सी से हटाने की मुहिम को लेकर चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) ज्यादा परेशान नजर आ रहे हैं। अभी वाईएस जगनमोहन रेड्डी (Y S Jagan Mohan Reddy) का पूरी तरह तय नहीं है कि वो किसका साथ देंगे। जानकारी है कि उन्हें अपनी तरफ करने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों कोशिशें कर रही हैं। खबरों के मुताबिक कांग्रेस उन्हें विपक्षी दलों की बैठक में आने का बुलावा दे रही है, तो बीजेपी (BJP) आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए तैयार होने का भी संकेत भेज रही है। इसके पीछे की वजह ये है कि एग्जिट पोल में राज्य की 25 सीटों में से इस बार वाईएसआर कांग्रेस (YSR Congress) को 20 सीटें तक मिलने की बात कही गई है।
नवीन पटनायक
ओडिशा (Odisha) को लेकर एग्जिट पोल के अनुमान निश्चित तौर पर बीजेडी (BJD) अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ( Naveen Patnaik) को भी परेशान कर रहे होंगे। क्योंकि, अलग-अलग सर्वे में उनकी पार्टी को राज्य की 21 में से 2 से लेकर 15 सीटें मिलने तक की भविष्यवाणी की गई है। इसलिए, एग्जिट पोल आने से पहले से ही बीजेपी और कांग्रेस दोनों खेमों से सौम्य व्यक्तित्व के धनी 73 वर्षीय नवीन बाबू से रिझाने की कोशिशें जारी हैं। ओडिशा में हाल में आए तूफान से निपटने में राज्य सरकार की तत्परता की प्रधानमंत्री मोदी भी जमकर सराहना कर चुके हैं। खुद पटनायक भी कह चुके हैं कि वह केंद्र सरकार से अच्छे रिश्ते के हिमायती हैं। ऐसे में वो किसी का भी साथ दे सकते हैं। मौजूदा लोकसभा में भी उनकी पार्टी के 18 सांसद हैं और उनका कभी भी बीजेपी से ज्यादा गंभीर सियासी अनबन महसूस नहीं किया गया है।
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