बिहार में चमकी बुखार से मरने वालों की संख्या 110 के पार, मोतिहारी में 36 नए मामले
नई दिल्ली। बिहार में चमकी बुखार बच्चों के लिए लगातार जानलेवा बना हुआ है। चमकी बुखार की वजह से बिहार में अबतक 110 बच्चों की मौत हो चुकी है। चमकी बुखार से सबसे अधिक पीड़ित बच्चे पूर्वी चंपारण जिले में हैं, यहां चमकी बुखार काफी तेजी से बच्चों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। यहां अबतक एक्यूट इंसेफिलाइटिस सिंड्रोम यानि एईएस के 36 मामले सामने आए हैं। इन तमाम बच्चों का मुजफ्फरपुर और पूर्वी चंपारण के अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
थम नहीं रहा है चमकी बुखार का कहर
पीड़ित बच्चों की बात करें तो सबसे अधिक चकिया प्रखंड के गांवों के बच्चे चमकी बुखार से पीड़ित हैं। यहां अबतक पांच बच्चों की इस बुखार की वजह से मौत हो चुकी है। वहीं 18 नए मरीजों की पहचान हुई है जोकि मोतिहारी के सदर अस्पताल में भर्ती हैं, जिनका यहां इलाज चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस बात की पुष्टि की गई है सभी मरीज एईएस से पीड़ित हैं। उधर स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि यह महामारी का रूप ले चुकी है और इससे निपटने के लिए हमने पुख्ता इंतजाम किए हैं।
कुपोषित बच्चे जल्दी होते हैं शिकार
आपका बता दें कि चमकी बुखार की मुख्य वजह कुपोषण है। कुपोषण के शिकार बच्चों को यह बुखार काफी तेजी से अपनी गिरफ्त में लेता है। बिहार में कुपोषण से पीड़ित अधिकतर बच्चे महादलित परिवार के हैं। रविवार को स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने मुजफ्फरपुर का दौरा किया था और इस दौरान उन्होंने कहा कि इस बीमारी की पहचान के लिए शोध होना चाहिए। अभी तक इसकी पहचान नहीं हो पा रही है. लिहाजा मुजफ्फरपुर में शोध के लिए सुविधा विकसित करनी चाहिए।
चमकी बुखार के लक्षण
'चमकी बुखार' में बच्चे को लगातार तेज बुखार हमेशा ही रहता है, इस दौरान बच्चे के शरीर में ऐंठन होती है, दांत किटकिटाने लगते हैं, आंखें लाल हो जाती हैं, कमज़ोरी की वजह से बच्चा बार-बार बेहोश होता है, शरीर सुन्न हो जाता है, कई मौकों पर ऐसा भी होता है कि अगर बच्चों को चिकोटी काटेंगे तो उसे पता भी नहीं चलेगा, जबकि आम बुखार में ऐसा नहीं होता है, इस बुखार में बच्चा हिल-डुल भी नहीं पाता है, हालांकि शरीर में किसी भी प्रकार की सूजन नहीं होती है।
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