खरगोन लोकसभा: जहां 1967 में किया गया वादा, आज तक पूरा नहीं हुआ
नई
दिल्ली।
लोकसभा
चुनाव
के
आखिरी
चरण
में
चुनाव
प्रचार
की
अंतिम
रैली
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र
मोदी
ने
खरगोन
में
की।
नरेन्द्र
मोदी
इसके
पहले
2003
में
कसरावद
और
2008
में
महेश्वर
में
विधानसभा
चुनाव
के
दौरान
भाजपा
प्रत्याशियों
के
पक्ष
में
वोट
डालने
आ
चुके
है।
शुक्रवार
को
हुई
सभा
में
नरेन्द्र
मोदी
ने
भाजपा
के
300
पार
होने
की
बात
कही।
खरगोन
में
इन
दिनों
गर्मी
अपने
चरम
पर
है।
इसलिए
प्रधानमंत्री
के
भाषण
के
लिए
विशालकाय
डोम
बनाए
गए
और
फुहार
की
व्यवस्था
भी
की
गई,
ताकि
श्रोताओं
को
गर्मी
का
एहसास
कम
हो।
2014
के
लोकसभा
चुनाव
में
भाजपा
यहां
से
भारी
बहुमत
से
जीती
थी।
भाजपा
के
सुभाष
पटेल
को
करीब
साढ़े
छह
लाख
वोट
मिले
थे,
जबकि
कांग्रेस
के
रमेश
पटेल
को
3
लाख
90
हजार
के
करीब
वोट
ही
मिले।
भाजपा
ने
इस
बार
गजेन्द्र
पटेल
को
उम्मीदवार
बनाया
है,
जो
पार्टी
के
पुराने
कार्यकर्ता
है।
सुभाष
पटेल
के
प्रति
मतदाताओं
की
नाराजगी
देखते
हुए
उनका
टिकट
काट
दिया
गया।
कांग्रेस
ने
डॉक्टर
गोविंद
मुजालदा
को
प्रत्याशी
बनाया
है।
कांग्रेस
को
लगता
है
कि
भले
ही
संसदीय
सीट
पर
10
साल
से
भाजपा
का
कब्जा
हो,
विधानसभा
चुनाव
में
कांग्रेस
ने
यहां
अच्छा
प्रदर्शन
किया।
खरगोन में रेल लाइन बिछाने का 1967 में किया था वादा
मध्यप्रदेश की कैबिनेट मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ, सचिव यादव और बाला बच्चन इसी संसदीय क्षेत्र के हैं और वे सघन जनसंपर्क करते हुए अपने प्रत्याशी को जिताने की अपील कर रहे है। खरगोन किसी जमाने में कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। 1967 के चुनाव में कांग्रेस ने दिल्ली से शशि भूषण वाजपेयी को खरगोन लाकर खड़ा किया था। वे मूलत: ग्वालियर लश्कर क्षेत्र के थे और आजादी के आंदोलन में लाहौर जेल में रहे, लेकिन उनकी पूरी सक्रियता दिल्ली में ही रही, जब कांग्रेस ने उन्हें खरगोन से टिकट दिया, तब उन्होंने एक ही मुद्दे पर चुनाव लड़ा और वह मुद्दा था। खरगोन में रेल लाइन बिछाने का। 1967 में किया गया वादा अभी तक पूरा नहीं हो पाया। 1967 में चुनाव जीतने के बाद शशि भूषण वाजपेयी ने दक्षिण दिल्ली से चुनाव लड़ा और संसद में पहुंचे। साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म विभूषण भी दिया गया था।
नरेन्द्र मोदी ने चुनाव अभियान की आखिरी सभा खरगोन में की
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र
मोदी
ने
शुक्रवार
को
खरगोन
की
सभा
में
कहा
कि
मैंने
चुनाव
अभियान
की
शुरुआत
उत्तरप्रदेश
के
मेरठ
से
की
थी
और
आखिरी
सभा
मध्यप्रदेश
के
खरगोन
में
कर
रहा
हूं।
ये
दोनों
ही
शहर
1857
के
स्वतंत्रता
संग्राम
से
जुड़े
हैं।
मेरठ
में
जहां
अंग्रेजों
के
खिलाफ
सैनिकों
ने
क्रांति
का
बिगुल
बजाया
था,
वहीं
खरगोन
में
महान
योद्धा
और
स्वाधिनता
सैनानी
भीमा
नायक
ने
आदिवासी
आंदोलन
का
नेतृत्व
किया
था।
प्रधानमंत्री
मोदी
की
सभा
में
खरगोन
में
भारी
भीड़
उमड़ी।
इस
पूरे
इलाके
में
आदिवासी
मतदाता
का
बाहुल्य
है।
प्रधानमंत्री
मोदी
ने
उन्हें
आश्वस्त
किया
कि
जब
तक
भाजपा
है,
तब
तक
जंगल
में
रहने
वाले
आदिवासियों
और
उनकी
जमीनों
को
कोई
हाथ
नहीं
लगा
सकता।
हमारी
सरकार
आदिवासी
समाज
की
पढ़ाई,
दवाई
और
सिंचाई
के
लिए
पूरी
मेहनत
लगाकर
काम
कर
रही
है।
प्रधानमंत्री
के
भाषण
में
उमड़ी
भीड़
से
भाजपा
प्रत्याशी
और
उनके
समर्थकों
के
हौसले
बुलंद
हुए।
उन्हें
लगता
है
कि
प्रधानमंत्री
मोदी
की
आखिरी
सभा
मतदाताओं
के
लिए
यादगार
होगी।
जब नीतीश की तंगहाली देख कर्पूरी ठाकुर ने दिया था नौकरी का ऑफर
विधानसभा चुनावों में यहां कांग्रेस ने किया था शानदार प्रदर्शन
खरगोन
संसदीय
क्षेत्र
में
खरगोन
जिले
के
4
विधानसभा
क्षेत्र
खरगोन,
कसरावद,
भगवानपुरा
और
महेश्वर
तथा
बड़वानी
जिले
के
बड़वानी,
राजपुर,
सेंधवा
और
पानसेमल
विधानसभा
क्षेत्र
शामिल
हैं।
प्रधानमंत्री
की
आमसभा
इस
इलाके
में
रखने
के
पीछे
भाजपा
का
उद्देश्य
यह
था
कि
5
महीने
पहले
हुए
विधानसभा
चुनाव
में
इस
क्षेत्र
में
हुई
कांग्रेस
की
बढ़त
को
रोका
जा
सके।
विधानसभा
चुनाव
में
बड़वानी
को
छोड़कर
सभी
सीटों
पर
कांग्रेस
ने
कब्जा
जमा
लिया
है।
राहुल
गांधी
भी
इस
संसदीय
क्षेत्र
में
आम
सभा
कर
चुके
है।
भाजपा
दो
बार
खरगोन
से
जीत
चुकी
है।
अगर
इस
बार
भी
भाजपा
यहां
से
जीतती
है,
तो
यह
भाजपा
की
हैट्रिक
होगी।
खरगोन
लोकसभा
क्षेत्र
राष्ट्रीय
स्वयंसेवक
संघ
के
प्रभाव
वाला
क्षेत्र
माना
जाता
है।
यहां
से
भारतीय
जनसंघ
के
उम्मीदवार
भी
चुनाव
जीत
चुके
है।
भाजपा
ने
1989
में
पहली
बार
यहां
से
जीत
हासिल
की
और
लगातार
3
बार
चुनाव
जीता।
आरएसएस
से
जुड़े
और
बाद
में
भाजपा
में
शामिल
हुए
कृष्ममुरारी
मोघे
भी
2004
में
खरगोन
से
लोकसभा
चुनाव
जीत
चुके
हैं।
2007
में
हुए
उपचुनाव
में
कांग्रेस
ने
यहां
से
वापसी
की
थी।
कभी
इस
इलाके
में
भारतीय
कम्युनिष्ट
पार्टी
का
भी
प्रभाव
था
और
उसके
उम्मीदवार
तीसरे
क्रम
पर
आते
थे,
लेकिन
अब
यहां
से
कम्युनिष्ट
पार्टी
का
सफाया
हो
चुका
है।
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