आखिर है क्या 'निपाह वायरस', जिसका नाम सुनते ही दहशत में आ गए लोग
नई दिल्ली। केरल में एक बार फिर से 'निपाह वायरस' का मामला सामने आया है। केरल के स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने 'निपाह वायरस' मामले की पुष्टि की है। केरल में 'निपाह वायरस' का मामला सामने आने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने केरल के स्वास्थ्य मंत्री को केंद्र सरकार की तरफ से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। गौरतलब है कि कोच्चि के एर्नाकुलम के एक युवक का टेस्ट पॉजिटिव पाए जाने के बाद उसको अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) से रिपोर्ट मिलने के बाद इस मामले की पुष्टि हो गई है कि वो 'निपाह वायरस' से ग्रसित है।
अब सवाल ये उठता है कि आखिर लोग 'निपाह वायरस' का नाम सुनकर इतना भयभीत क्यों हैं?
क्या है 'निपाह वायरस'
'निपाह वायरस' एक तरह का पशुजन्य रोग है, मेडिकल टर्म में इसे NIV वायरस भी कहा जाता है। ये वायरस Paramyxoviridae family का सदस्य है, जो कि जानवर से फलों में और फलों के जरिए व्यक्तियों में फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक निपाह वायरस (NiV) तेजी से उभरता वायरस है।
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भारत में 'निपाह वायरस' का पहला मामला बंगाल का था
NiV के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया में आया था, वहीं से इस वायरस को ये नाम मिला। उस वक्त इस बीमारी के वाहक सूअर थे और आज इस बीमारी के वाहक चमगादड़ हैं। इसके बाद से इन वायरस के केस साउथ एशिया ( भारत, बांग्लादेश, मलेशिया और सिंगापुर) में देखे गए।
भारत में 'निपाह वायरस' का पहला मामला बंगाल का था
भारत में 'निपाह वायरस' का पहला मामला वर्ष 2001 के जनवरी और फरवरी माह में पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में दर्ज किया गया था। इस दौरान 66 लोग निपाह वायरस से संक्रमित हुए थे। इनमें से उचित इलाज न मिलने की वजह से 45 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, 'निपाह वायरस' का दूसरा हमला वर्ष 2007 में पश्चिम बंगाल के नदिया में दर्ज किया गया, उस वक्त पांच मामले दर्ज किए गए थे, इसमें से पांचों की मौत हो गई थी।
खजूर चमगादड़ की वजह से संक्रमित थे...
इसके कुछ वक्त बात इस वायरस का संक्रमण उन लोगों में देखा गया, जिन्होंने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखा या पेड़ से गिरे हुए खजूर खाए, कहा गया कि ये खजूर चमगादड़ की वजह से संक्रमित थे और इस वजह से इन्हें 'फ्रूट बैट' कहा गया, जिसके कारण इस वायरस के चमगादड़ वाहक बने।
'निपाह वायरस' के लक्षण
- 'निपाह वायरस' की चपेट में आने वाले इंसान को तेज बुखार,दिमाग या सिर में तेज जलन,दिमाग में सूजन और दर्द,मानसिक भ्रम, सांस लेने में परेशानी होती है।
- संक्रमण बढ़ने से मरीज कोमा में भी जा सकता है, इसके बाद इंसान की मौत हो जाती है।
- ये वायरस एन्सेफलाइटिस सिड्रोंम के जरिए बहुत तेजी से फैलता है। डाक्टरों ने इसे घातक इंसेफ्लाइटिस या दिमागी बुखार कहा है।
- सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक 'निपाह वायरस' का इंसेफ्लाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग को नुकसान पहुंचता है।
- इसे रोकने के लिये संक्रमित रोगी से दूरी बनाए रखने की जरूरत होती है।
- पीड़ित से यदि मिलना ही पड़े तो बाद में साबुन से अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें।
- आमतौर पर शौचालय में इस्तेमाल होने वाली चीजें, जैसे बाल्टी और मग को खास तौर पर साफ रखें।
- 'निपाह बुखार' से मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को ढंकना महत्वपूर्ण है, मृत व्यक्ति को गले लगाने से बचें और उसके अंतिम संस्कार से पहले शरीर को स्नान करते समय सावधानी बरतें।
- अपने पालतू जानवरों को भी संक्रमित जानवरों, संक्रमित इलाकों या संक्रमित व्यक्ति से दूर रखें।
- अगर आपको जरा भी बुखार का अनुभव हो या फिर सांस लेने में दिक्कत लगे तो तुरंत डॉक्टर से मिले।
इस बीमारी को दूर करने के लिए कोई वैक्सीन नहीं
'निपाह वायरस' संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में फैल सकता है। 'निपाह वायरस' की अभी कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं हैं, इस रोग से ग्रस्त लोगों का इलाज मात्र रोकथाम है। इस वायरस से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए। पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए, जब भी बाहर से कोई फल लेकर आए उसे अच्छे से गर्म पानी में धोकर खाएं।
इन बातों का ख्याल रखें
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