नए अध्यादेश पर मुख्यमंत्री की सफाई, 'फ्रीडम ऑफ स्पीच' के खिलाफ नहीं है एक्ट
तिरुवनंतपुरम। केरल पुलिस अधिनियम (Kerala Police Act) में किए संशोधन को लेकर विवाद अभी भी जारी है। रविवार को राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस संशोधन को लेकर हो रहे विवाद को खत्म करने की कोशिश की। दरअसल, मुख्यमंत्री ने बताया कि केरल पुलिस एक्ट में किया गया संशोधन किसी भी तरह से 'फ्रीडम ऑफ स्पीच' और निष्पक्ष मीडिया के खिलाफ नहीं है। उन्होंने बताया कि संशोधन से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को पूरा बढ़ावा मिलेगा। साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस एक्ट में संशोधन के बाद ऐसा नहीं कि पुलिसवाले अपने मर्जी चलाएंगे, बल्कि कानून के दायरे में रहकर ही कोई कार्रवाई की जाएगी।

In addition to media freedom, the government has a responsibility to protect the individual liberty and dignity guaranteed by the Constitution: Kerala CM Pinarayi Vijayan https://t.co/WUbLyXy6Ee
— ANI (@ANI) November 22, 2020
लोगों को संदेह करने की जरूरत ही नहीं- पिनाराई विजयन
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने लोगों के संदेह को दूर करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा है कि इस अध्यादेश के आने के बाद किसी की भी अभिव्यक्ति की आजादी को नुकसान नहीं पहुंचेगा। साथ ही मीडिया भी पूरी तरह स्वतंत्र होगा। वहीं पुलिस में कानून के दायरे में रहकर कार्य करेगी।
A special Standard Operating Procedure will be prepared before taking action on the amendment to the Kerala Police Act. The SOP will be prepared in consultation with legal experts. This is to ensure that ordinance won't be misused in any way: Kerala DGP Lokanath Behera
— ANI (@ANI) November 22, 2020
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अध्यादेश का दुरुपयोग नहीं होने देंगे- केरल डीजीपी
केरल के डीजीपी लोकनाथ बेहरा ने बताया है कि नए अध्यादेश के बाद कार्रवाई करने से पहले एक विशेष मानक प्रक्रिया तैयार की जाएगी। इस प्रक्रिया को कानूनी एक्सपर्ट की सलाह के आधार पर तैयार किया जाएगा। हमारी प्राथमिकता यही है कि किसी भी तरह से अध्यादेश का दुरुपयोग नहीं किया जाए।
केरल में किस अध्यादेश पर हो रहा है विवाद?
आपको बता दें कि केरल पुलिस अधिनियम में किया गया संशोधन मुख्यतौर पर महिलाओं व बच्चों के खिलाफ साइबर क्राइम को रोकने के मकसद से किया गया है। इस अध्यादेश को शनिवार को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने ही मंजूरी दी थी। इस अध्यादेश में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर ऐसी जानकारी साझा करता है, जिसमें किसी को अपमानित करने या फिर किसी को धमकी देने की कोशिश है तो ऐसे व्यक्ति को 5 साल की जेल और 10 हजार रुपए का जुर्माना हो सकता है। इस अध्यादेश के आने के बाद से ही इसको लेकर विवाद हो रहा है। विपक्षी दल इस अध्यादेश को अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला मान रहे हैं।