केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने CAA खारिज करने की मांग की 3 वजहें बताईं
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नई दिल्ली- नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने नए सिरे से मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने इस कानून को संविधान की भावना के खिलाफ और भेदभाव से पूर्ण बताते हुए वो तीन वजहें बताई हैं, जिसके आधार पर वह चाहते हैं कि इस कानून को खत्म कर दिया जाना चाहिए। इसमें से एक वजह उनके विरोधी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा भी है, जिसे वामपंथी कतई पसंद नहीं करते।
केरल के मुख्यमंत्री ने मुंबई में रविवार को फिर से नागरिकता संशोधन कानून को खत्म किए जाने की वकालत की। उन्होंने दावा किया कि 3 वजहें ऐसी हैं, जिसकी वजह से यह कानून समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने मांग की है कि, "सीएए को 3 कारणों से खारिज कर दिया जाना चाहिए: पहला, यह पूरी तरह से हमारे संविधान की भावना के खिलाफ है। दूसरा, यह बहुत ज्यादा भेदभावपूर्ण और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाला है, तीसरा- यह संघ परिवार का दर्शन थोपना चाहता है, जिसका मिशन 'हिंदू राष्ट्र' है। "
गौरतलब है कि केरल विधानसभा से वहां की एलडीएफ सरकार पहले ही इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पास कर चुकी है। वह इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच चुकी है और लगातार इसे खत्म किए जाने को लेकर मुहिम चला रही है। जबकि, केंद्र सरकार ने बार-बार साफ कर दिया है कि चाहे जितना भी विरोध क्यों न कर लिया जाए, वह इस कानून से एक इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं है।
उधर, सीएए के समर्थन में एक बार फिर से शिवसेना भी कूद पड़ी है। पार्टी सुप्रीमो और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि यह कानून किसी की नागरिकता लेने का कानून नहीं है, बल्कि पड़ोसी मुल्कों में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होने वाले अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का कानून है।
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के तहत तीन पड़ोसी मुल्कों, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होने की वजह से भारत में शरण लेने की स्थिति में नागरिकता देने का प्रावधान है। इसके लिए जरूरी है कि इन तीनों देशों के धार्मिक अल्पसंख्यक शरणार्थी 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आ चुके हों।