केरल और मिजोरम का पॉजिटिविटी रेट फिर से खतरनाक स्तर पर, सख्त लॉकडाउन ही नजर आ रहा है समाधान
नई दिल्ली, अक्टूबर 02। देश में कोरोना के नए मामलों में उतार-चढ़ाव जारी है। शनिवार को 197 दिनों के बाद एक्टिव केस में सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली, लेकिन इस बीच मिजोरम और केरल अभी भी सरकार के लिए चिंता का सबक बने हुए हैं। इन दोनों ही राज्यों में पॉजिटिविटी रेट में एकबार फिर इजाफा देखने को मिल रहा है और वो भी उस वक्त जब देश के अन्य राज्यों में कोरोना संक्रमण काफी हद तक काबू में है।
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इन दोनों राज्यों में ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट पर काम नहीं कर रही है सरकार
केरल और मिजोरम में हाई पॉजिटिविटी रेट इस बात का संकेत है कि इन दोनों ही राज्यों में केवल गंभीर रूप से बीमार लोगों की ही टेस्टिंग की जा रही है। यहां की सरकारें टेस्टिंग के साथ-साथ ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट पर काम नहीं कर रही हैं। केरल और मिजोरम को लेकर बस राहत वाली बात यही है कि अप्रैल-मई में दूसरी लहर के मुकाबले इस बार मृत्यु दर कम है।
केरल और मिजोरम का पॉजिटिविटी रेट खतरनाक
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, केरल में अगर पिछले 14 दिनों का हाल देखा जाए तो पॉजिटिविटी रेट 16 फीसदी है। यानि कि 100 लोगों की टेस्टिंग पर 16 लोगों का टेस्ट पॉजिटिव आ रहा है। वहीं मिजोरम में पिछले 14 दिन का पॉजिटिविटी रेट 17 फीसदी है। मिजोरम के अलावा मणिपुर, सिक्किम और मेघालय में पॉजिटिविटी रेट 5 से 8 फीसदी के बीच है।
बाकि राज्यों का पॉजिटिविटी रेट
कोरोना के पॉजिटिविटी रेट के मामले में इस वक्त राजधानी दिल्ली, यूपी, हरियाणा, बिहार, राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्य बहुत ही सही स्थिति में हैं। इन राज्यों में पॉजिटिविटी रेट 1 फीसदी से काफी नीचे है। वहीं गोवा, कर्नाटक, पश्चिम, उत्तराखंड में भी पॉजिटिविटी रेट भी 1 फीसदी के करीब या फिर उससे नीचे बना हुआ है। वहीं कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इन राज्यों का पॉजिटिविटी रेट 30 से 40 फीसदी के आसपास था। मई के महीने में गोवा का पॉजिटिविटी रेट 42 फीसदी तक चला गया था। वहीं कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में 31% और 30% था। वहीं केरल में 27 फीसदी था।