क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

केजरीवाल की अनोखी राजनीति ने जानिए दिल्ली चुनाव में कैसे लगाई जातिगत समीकरण पर झाड़ू

The Aam Aadmi Party is going to form the government in Delhi for the third time in a row. Let us know which caste supported Kejriwal and who tried to win Modi.आम आदमी पार्टी दिल्ली में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है।आइए जानते हैं किस जाति ने दिया केजरीवाल का साथ और किसने मोदी को जिताने की को

Google Oneindia News

बेंगलुरु। आम आदमी पार्टी दिल्ली में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। नतीजों से साफ हो चुका है कि अरविंद केजरीवाल लगातार तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी को एक बार फिर प्रचंड बहुमत मिला है। अब तक के रुझानों से साफ हो चुका है कि आम आदमी पार्टी के मुखिया दिल्ली का किला फतेह कर लिया हैं। दिल्ली के लोगों ने केजरीवाल की फ्री बिजली, पानी, अच्छी स्कूली शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएं पर मुहर लगाई। भाजपा भले ही शाहीन बाग का मुद्दा उठाकर चुनावी प्रचार की लड़ाई में वापस आ गई थी लेकिन यह मुद्दा बीजेपी के लिए वोटों में तब्दील होता नहीं दिखा।

Recommended Video

Delhi Election Results: Arvind Kejriwal को इन 10 Master strokes ने दिलाई Victory | वनइंडिया हिंदी
धर्म की राजनीति के बजाय केजरीवाल ने समझा आम जरुरतों को

धर्म की राजनीति के बजाय केजरीवाल ने समझा आम जरुरतों को

बता दें देश की अन्‍य राजनीतिक पार्टियां जहां जातिगत समीकरणों और धर्म की राजनीति करती हैं वहीं उनसे इतर अरविंद केजरीवाल की पॉलिटिक्स विकास, भ्रष्‍टाचार समेत आम जन से जुड़ी समस्‍याओं जैसे तमाम मुद्दे पर ध्‍यान केन्द्रित कर वोट बैंक साधने का प्रयास करते आए हैं। केजरीवाल ने एक बार फिर ऐसी राजनीति का ट्रेड ला दिया जिसमें आम इंसान की मूलभूत जरुरतें ही प्रमुख मानी जाती है। केजरीवाल की ये अनोखी राजनीति भाजपा, कांग्रेस समेत अन्‍य पार्टियों की नाक में दम मचाकर उन्‍हें ये यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वो भी जाति और धर्म की राजनीति को छोड़कर आम जन की जरुरतों के बारे में सोचे।

 जनता के संकटमोचन बने केजरीवाल

जनता के संकटमोचन बने केजरीवाल

बता दें शिक्षा,पानी, बिजली, प्‍याज के दाम समेत अन्‍य चीजें जो इंसान की मूलभूत जरुरत हैं उन पर केजरीवाल ने जनता के हक में समय समय पर फैसले लिए। जिसका प्रतिफल अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की हैट्रिक के रुप में मिला है। हर चुनाव में जातिगत समीकरण एक बड़ा रोल अदा करते ही हैं लेकिन इस चुनाव परिणाम को देखे तो जनता से उन सभी सीमाओं को पार करते हुए विकास को तब्बजों दी। आइए जानते हौ वो कौन से जातिगत समीकरण थे जिन्होंने अरविंद केजरीवाल की विजय का रास्ता प्रशस्त कर दिया? आइए जानते हैं किस जाति ने दिया केजरीवाल का साथ और किसने मोदी को जिताने की कोशिश की।

मुस्लिमों वोटरों की पहली पसंद बने केजरीवाल

मुस्लिमों वोटरों की पहली पसंद बने केजरीवाल

जहां अभी तक ये माना जाता था कि मुस्लिम जनता कांग्रेस का वोट बैंक हैं लेकिन दिल्ली की जनता ने उसे झुटला दिया है। विधानसभा चुनाव में राजधानी की दर्जन भर सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाई। सीमापुरी, गांधी नगर, संगम विहार, चांदनी चौक, गोकुलपुरी, बाबरपुर, मुस्तफाबाद, किराड़ी, ओखला, बल्लीमारान, मटिया महल, सीलमपुर ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 20 से 60 फीसदी तक है। चाहे वो पीएम मोदी हो या सीएम केजरीवाल ये दोनों को ही पता था कि मुस्लिम वोटर आप पार्टी को ही वोट करेंगे। पहले नागरिकता संशोधन कानून सीएए लागू करने और उसमें मुसलमानों को न शामिल करने से मुसलमान पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से नाराज थे। उसके बाद मोदी सरकार ने शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे मुस्लिमों को गद्दार कह डाला। इसके बाद मोदी सरकार के मंत्रियों के बयानों ने आग में घी डालने जैसा काम किया। भाजपा नेता अनुराग ठाकुर ने नारा लगवाया 'देश के गद्दारों को, गोली मारे कहा तो प्रवेश वर्मा ने कहा कि शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोग दिल्लीवालों के घरों में घुस कर मां-बहनों का रेप कर देंगे और हत्या कर देंगे।

भाजपा के ये बयान ने दुखी किया वोटरों को

भाजपा के ये बयान ने दुखी किया वोटरों को

भाजपा जैसी राष्‍ट्रीय पार्टी के नेताओं के ये बयान मुसलमान ही नहीं दिल्ली की जनता के दिल पर तीर की तरह चुभे। सबने ये ही कहा कि भाजपा गंदी राजनीत‍ि कर रही है। महिला मुस्लिम वोटर जो तीन तलाक के फैसले पर मोदी की प्रशंसक बन गयी थी उनका भी सीएए और इन बयानों से मोह भंग हो गया। मुस्लिमों के प्रति मोदी सरकार का इतना नकारात्मक और नफरत भरा रवैया था तो उनके वोट तो भाजपा के खिलाफ जाने ही थे। वहीं दूसरी ओर, इस बार कांग्रेस कहीं भी सीन में नहीं दिख रही थी तो मुस्लिम समुदाय ने कांग्रेस को वोट देकर अपना वोट बर्बाद करने से अच्छा भाजपा को हराने के लिए अपने वोट सीधे आम आदमी पार्टी को दे दिए। आंकड़ों के अनुसार 69 फीसदी मुस्लिम वोट आप के खाते में गए और 15 फीसदी मुस्लिमों ने कांग्रेस को वोट दिया। भाजपा के खाते में सिर्फ 9 फीसदी वोट ही आए।

भाजपा का पूर्वांचल, बिहार कार्ड भी नहीं चला

भाजपा का पूर्वांचल, बिहार कार्ड भी नहीं चला

आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में पैदा हुए मतदाताओं की हिस्सेदारी 57 फीसदी जरूर है, लेकिन यूपी और बिहार से आने वाले वोटर 29 फीसदी दखल रखते हैं और इसीलिए निर्णायक भूमिका में रहते हैं। दिल्ली में दो दर्जन से ज्यादा ऐसे इलाके हैं जहां पूर्वांचल के वोटर ही हार जीत का फैसला करते हैं। दिल्ली में करीब 35 फीसदी पूर्वांचली रहते हैं। इसी लिए भाजपा ने चुनाव प्रचार में यूपी के सीएम योगीआदित्‍यनाथ, हो या बिहार के सीएम नीतीश कुमार समेत अन्‍य दिग्गज नेता पहुंचे थे। माना जाता है कि दिल्ली की करीब 27 ऐसी सीटें हैं, जहां पर जीत-हार पूर्वांचली वोटों से ही तय होती है। इन्हें ही साधने के मकसद से भाजपा ने दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को बनाया था, लेकिन वह कुछ खास कमाल नहीं कर सके।

वो भी अपनी सीट से हार गए। मनोज तिवारी हो या पीएम मोदी सभी ने चुनावी रैली में पूर्वांचली लोगों को याद दिलाने की कोशिश की कि अरविंद केजरीवाल यूपी-बिहार के लोगों के खिलाफ हैं, लेकिन वह दाव भी दिल्ली चुनाव में काम नहीं आया। आंकड़ों के अनुसार र 55 फीसदी पूर्वांचलियों ने अरविंद केजरीवाल को वोट दिया है। 36 फीसदी लोगों ने जो भाजपा को वोट दिया वो मनोज तिवारी को नही पीएम मोदी और भाजपा के कारण दिया।

सामान्य वर्ग ने भी दी केजरीवाल को किया पसंद

सामान्य वर्ग ने भी दी केजरीवाल को किया पसंद

वहीं दूसरी ओर सामान्य वर्ग के लोगों ने आम आदमी पार्टी और भाजपा दोनों को वोट दिया।जिसमें नौकरी पेशा समेत अन्‍य लोग शामिल थे। भाजपा को सामान्य वर्ग के 45 फीसदी वोट मिले, वहीं आम आदमी पार्टी ने 50 फीसदी वोट हासिल कर लिए। यानी सामान्य वर्ग ने भी भाजपा से अधिक आम आदमी किया। सामान्‍य वर्ग को भी दिल्ली के सीएम की कुर्सी पर बैठाने के लिए अरविंद केजरीवाल ही सही लगे।

ब्राह्मण और जाट-गुर्जर बीजेपी के साथ

ब्राह्मण और जाट-गुर्जर बीजेपी के साथ

एग्जिट पोल को देखें तो पता चलता है कि ब्राह्मण और जाट समुदाय के लोगों ने अपना पूरा भरोसा भाजपा पर दिखाया। भाजपा को 57 फीसदी ब्राह्मणों ने वोट दिया, जबकि केजरीवाल को सिर्फ 35 फीसदी ब्राह्मणों ने पसंद किया. कांग्रेस को तो सिर्फ 5 फीसदी ब्राह्मणों के ही वोट मिले। इसके अलावा जाट समुदाय के भी 57 फीसदी लोगों ने भाजपा को वोट दिया, जबकि आम आदमी पार्टी को 36 फीसदी वोट मिले। वहीं गुर्जर समुदाय से सबसे अधिक वोट भाजपा को मिले हैं। 64 फीसदी लोगों ने भाजपा को अपनी पहली पसंद बताया है, जबकि 31 फीसदी ने आम आदमी पार्टी को अपना कीमती वोट दिया।

इसे भी पढ़े- दिल्ली में भाजपा की हार के 5 बड़े कारण जानिए

दिल्ली चुनाव नतीजों के बाद शाहीन बाग में साइलेंट प्रोटेस्ट, कहा- हम किसी पार्टी के समर्थक नहींदिल्ली चुनाव नतीजों के बाद शाहीन बाग में साइलेंट प्रोटेस्ट, कहा- हम किसी पार्टी के समर्थक नहीं

Comments
English summary
Kejriwal's unique vote bank politics, know how to sweep the caste equation
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X