क्या ये चुनावी वादा केजरीवाल पूरा कर पाएंगे ? जानिए सच...
Kejriwal remembers Yamuna in election, what did Kejriwal do for Yamuna in five yearदिल्ली विधानसभा चुनाव के पहले सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि अगली बार आप पार्टी की दिल्ली में सरकार बनती है तो वह यमुना को प्रदूषण मुक्त बना देंगे। जानें पिछले पांच साल में यमुना की सफाई के लिए केजरीवाल ने क्या प्
बेंगलुरु। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के लिए नया दांव चला है। दिल्ली की जनता को सब कुछ फ्री बांटने वाले केजरीवाल को अचानक यमुना नदी की याद आ गयी। अब वह जनता से वादा कर रहे है कि अगर उनकी सरकार फिर चुनकर आती है तो यमुना नदी को इतना स्वच्छ बनाया जाएगा कि उसमें लोग डुबकी लगा सकें। केजरीवाल ने कहा कि अगर उनकी सरकार आती है तो आने वाले पांच साल में यमुना की सफाई आप सरकार की प्राथमिकता होगी। अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि पिछले पांच सालों से दिल्ली में केजरीवाल मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने नाले में तब्दील हो चुकी यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए केजरीवाल ने क्या प्रयास किए?
यह पहला मौका नहीं है जब चुनाव के दौरान केजरीवाल को यमुना की चिंता सताने लगी है। सच्चाई ये हैं कि आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से जुड़े अपने घोषणापत्र में लिखा था कि 'लंबे समय से यमुना नदी दिल्ली की सामुहिक याद का हिस्सा रही है लेकिन ये जीवनरेखा मर रही है। हम दिल्ली के 100 प्रतिशत सीवेज को इक्ट्ठा करके उसका ट्रीटमेंट सुनिश्चित करेंगे जिसके लिए व्यापक सीवर नेटवर्क और नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे। बिना ट्रीटमेंट वाले पानी और औद्योगिक गंदगी को यमुना में बहाए जाने से सख्ती से रोका जाएगा। आइए जातने हैं जनता ने इस चुनावी वादे पर उन्हें बहुमत देकर दिल्ली की सल्तनत उन्हें सौंप दी, लेकिन क्या उन्होंने अपना ये वादा पूरा किया? जानिए सच.......
केजरीवाल ने ही संभाला जल मंत्रालय, और मैली हुई यमुना
केजरीवाल
ने
ही
संभाला
जल
मंत्रालय,
और
मैली
हुई
यमुना
सबसे
आश्चर्य
की
बात
ये
है
कि
अपने
घोषणापत्र
में
यह
वादा
करने
वाली
पार्टी
आप
के
मुखिया
और
दिल्ली
के
सीएम
अरविंद
केजरीवाल
के
पास
ही
लगभग
तीन
सालों
तक
जल
विभाग
मंत्रालय
रहा।
सरकार
बनने
के
कुछ
वर्ष
बाद
दिल्ली
के
जलसंकट
को
दूर
करने
के
लिए
उन्होंने
इस
विभाग
की
कमान
संभाली
थी।
सीएम
के
जल
विभाग
संभालने
के
बाजजूद
यमुना
साफ
होने
के
बजाय
और
मैली
हो
गई
है।
यमुना
वहीं
नदी
है
जिसके
किनारे
श्रीकृष्ण
ने
बाल
गोपालों
के
साथ
बाललीला
की,
गोपियों
के
संग
रासलीला
की,
जिस
नदी
के
प्रति
लोगों
के
मन
में
श्रद्धा
है,
वह
पौराणिक
नदी
यमुना
वर्षों
से
सिसक
रही
है।
इसके
प्रदूषण
का
स्तर
खतरनाक
तरीके
से
बढ़
चुका
है।
दिल्ली
जल
बोर्ड
ने
भी
यमुना
के
लगभग
मृत
होने
की
बात
स्वीकार
की
है।
छठ पर दुनिया ने देखा जहरीही हो चुकी यमुना का सच
पिछले दिनों छठ पूजा के दौरान दिल्ली में प्रवाहित यमुना नदी का सच पूरी दुनिया ने देखा यहां जब छठ पूजा के लिए हजारों लोग जहरीली यमुना में खड़े दिखे। फैक्ट्री से निकल कर यमुना नदी में गिरने वाले कैमिकल के कारण यमुना का पानी सफेद फोम में परिवर्तित हो गया था। यमुना नदी की कुछ तस्वीरें वायरल हुई हैं, जिनमें आसानी से देखा जा सकता था है कि ये नदी कितनी प्रदूषित और जहरीली हो चुकी है। जिसमें केजरीवाल लोगों को तैराने का चुनावी वादा कर रहे हैं।
प्रतिदिन 200 मिलियन से अधिक कचरा यमुना में गिर रहा
दिल्ली में प्रतिदिन 700 मिलियन गैलन से ज़्यादा सीवेज पैदा होता है। इसमें से 200 मिलियन गैलन से ज़्यादा सीवेज का ट्रीटमेंट नहीं हो पाता और ये सीधे यमुना नदी में गिरता है। बिना ट्रीटमेंट वाले सीवेज से व्यापक स्तर पर निपटने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को एक जून तक का समय दिया गया था। लेकिन बोर्ड ऐसा नहीं कर पाया। दिल्ली जल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में लगभग 20 सीवेज प्लांट हैं जिसमें से कुछ खराब पड़े हैं। इसकी ट्रीटमेंट की क्षमता 600 एमजीडी की है लेकिन ये महज 500 एमजीडी के करीब ही ट्रीट कर पाते हैं। ऐसे में भविष्य में सीवेज संकट थमने की कोई संभावना नहीं है। जिस तरह से उच्च तकनीक से लैस देश की राजधानी दिल्ली में यमुना को मारा जा रहा है। प्रतिदिन घरों से पानी के साथ निकलने वाला मैला, कचरा और गंदगी ही सीवेज है।
साफ-सफाई को लेकर उदासीन रवैया
यमुना को साफ करने के लिए दिल्ली सरकार के पांच वर्ष के कार्यकाल में अलग-अलग विभाग निर्धारित डेडलाइन के तहत काम नहीं किया। इसी कारण समस्या जस की तस बनी हुई है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 13 जनवरी 2015 को यमुना में दिल्ली के गिराए जा रहे सीवेज की रोकथाम को लेकर और नदी की सफाई के लिए 31 मार्च 2017 की डेडलाइन दी थी। तब से ये डेडलाइन्स लगातार मिस होती रही हैं। सरकार हो या विभाग दिल्ली की लाइफ-लाइन कही जाने वाली यमुना में गंदगी तो धड़ल्ले से गिरा रही है लेकिन साफ-सफाई को लेकर उदासीन रवैया बनाया हुआ है। इससे यह कहा जा सकता है कि यमुना कुछ सालों में सिर्फ नाम रह जाएगी।
यमुना की सफाई पर दिल्ली सरकार को लग चुकी है फटकार
यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों पर दिल्ली सरकार ने कई योजनाएं बनाई। लेकिन, अपनी ही योजनाओं को लागू करने में सरकार फिसड्डी साबित हुई। सभी संबंधित विभागों के साथ हुई पिछली बैठकों में यमुना निगरानी समिति ने इस पर कड़ी नाराजगी की जाहिर की है। निगरानी समिति ने फरवरी और मार्च 2019 में सरकार को जहरीली हो चुकी यमुना को प्रदूषण मुक्त करने और दिल्ली के ताल-तलैयों को बचाने के लिए लोगों में जागरुकता अभियान चलाने का निर्देश दिया था। इसके बाद सरकार ने स्कूली बच्चों और धर्म गुरुओं की मदद लेने का निर्णय लिया था। कई माह बीत जाने के बाद भी अधिकारियों द्वारा इस योजना पर अमल नहीं किए जाने पर निगरानी समिति ने नाराजगी व्यक्त करते हुए फटकार लगायी।
जागरुकता अभियान पर नहीं किया गया अमल
यमुना नदी की साफ-सफाई की निगरानी के लिए दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव शैलजा चंद्रा और एनजीटी के पूर्व विशेषज्ञ सदस्य बी.एस. साजवान की समिति का गठन किया था। समिति ने कहा है कि यह चिंताजनक है कि शिक्षा निदेशालय ने स्कूली बच्चों के जरिए नदी को बचाने के लिए जागरुकता अभियान की रूपरेखा तय की, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ। निगरानी समिति को बताया गया कि अभी यमुना नदी में फेंकी जानी वाली पूजा सामग्री से दोबारा अगरबत्ती व अन्य उपयोगी उत्पाद बनाने का काम शुरू नहीं हुआ है। लेकिन अगरबत्ती बनाने का काम अब तक शुरू नहीं हुआ
सरकार ने ये योजना बनाई थीं
सरकार ने यमुना की सफाई को ध्यान में रखते हुए योजना बनायी। जिसमें धर्म गुरु आवासीय कॉलोनियों में जाएंगे और लोगों को बताएंगे कि कैसे हम सब अनजाने में यमुना नदी के प्रदूषण में भागीदार बन रहे हैं। धर्म गुरु लोगों के ऐसा कोई कार्य नहीं करने की अपील करेंगे, जिससे यमुना नदी, तलाबों और नालों में गंदगी फैले। साथ ही यमुना किनारे पेंटिंग प्रतियोगिता के जरिए बच्चे चित्रकारी से यमुना नदी और स्वच्छ जल के महत्व को बताएंगे।
दिल्ली सरकार ने कोई सार्थक कदम नहीं उठाया
दिल्ली में यमुना के मैली होने का पहला कारण नजफगढ़ नाला और दूसरा शहादरा वाला नाला है। इन दोनों ही नालों से आधी से अधिक दिल्ली की अनाधिकृत कॉलनियों का बिना ट्रीटमेंट किया गया मैला यमुना में गिरता है। दिल्ली में यमुना से जुड़ी 22 सहायक प्राकृतिक धाराएं (ट्रीब्यूटरीज़) भी हैं1 जिसे यमुना की सहायक नदियां भी कहा जाता है, इनसे बहकर बारिश का पानी नदी में आता था। अब दिल्ली जल बोर्ड अनाधिकृत कॉलनियों से पानी निकासी के लिए इन श्रोतों का उपयोग नाले के तौर पर कर रहा है। इन सब से निबटने के लिए वर्तमान सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की क्षमता को 99% तक ले जाना था।
सीवर को जोड़ने में नाकाम रही सरकार
यमुना में सीवेज ले जा रहे चार नालों पर भी लगाम लगानी थी और इंटरसेप्टर सीवेज प्रोजेक्ट (आईएसपी) के जरिए बिना सीवर लाइन वाले इलाकों को सीवर से जोड़ना था। तय समय में संबंधित विभाग इनमें से कुछ भी नहीं कर पाया। कुल मिलाकर सीवेज यमुना में प्रदूषण और जल संकट का बड़ा कारण है। इसके बावजूद पिछले पांच सालों में यमुना में सीवेज का पानी जाने से रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने कोई सार्थक कदम नहीं उठा सकी। इसके बाद अब चुनाव आते ही जनता से वादा कर रही है कि उनकी सरकार बनने पर वह यमुना को ऐसा निर्मल बना देंगे कि उसमें दिल्ली की जनता तैर सकेगी।
इसे भी पढ़े- 7th Pay Commission: नए साल 2020 में केंद्रीय कर्मचारियों के लिए होंगे ये 4 अहम बदलाव, इन कर्मचारियों को होगा फायदा
कल्पेश से कल्पना बन 2 साल से किन्नरों संग रह रहा था युवक, घर पहुंचते ही लगाई फांसी
Vijay Singh Gurjar : दिल्ली पुलिस कांस्टेबल से बने IPS, 6 बार लगी सरकारी नौकरी, अब IAS की दौड़ में