पार्टी छोड़ी, केजरीवाल से दोस्ती नहीं: फुल्का
आरोप है दिल्ली से भेजे गए पर्यवेक्षकों ने पंजाब की चुनावी गतिविधियों को नियंत्रण में लेना चाहा और अपने हिसाब से काम किया और ये बात पार्टी के स्थानीय नेताओं को पसंद नहीं आई.
फ़ुल्का कहते हैं, "मैं पार्टी की किसी गतिविधि में नहीं जा रहा था. मैं पार्टी में सिर्फ़ नाम के लिए था. मैं खुद अपने कामों में बिज़ी था. सज्जन कुमार का मामला इतना हावी था कि मेरे पास टाइम ही नहीं था."
पंजाब से आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता एचएस फुल्का ने कहा है कि वो बीजेपी में शामिल नहीं होंगे.
बीबीसी से बातचीत में फुल्का ने कहा, "मैं कई बार कह चुका हूं कि मैं कोई राजनीतिक पार्टी में शामिल नहीं हो रहा हूं… मैं बिल्कुल बीजेपी ज्वाइन नहीं कर रहा हूं."
राज्यसभा जाने की इच्छा पर पूछे एक सवाल पर उन्होंने कहा, "अभी तक तो कोई प्लान नहीं है."
जब से वरिष्ठ वकील एचएस फुल्का ने आम आदमी पार्टी से इस्तीफ़ा दिया है, तब से कयास लगाए जा रहे थे कि वो भाजपा में शामिल हो सकते हैं.
भाजपा नेताओं के कुछ वक्तव्यों के बारे में कहा गया है कि उन्हें पार्टी में शामिल होने के इशारे दिए जा रहे हैं.
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रविवार को केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह और विजय गोयल की उपस्थिति में एचएस फुल्का को "1984 के दंगा पीड़ितों को इंसाफ दिलाने" के लिए सम्मानित भी किया गया था.
एक ट्वीट पर विजय गोयल के बारे में फुल्का ने लिखा था कि वो बहुत अच्छे दोस्त हैं, कई बार उनकी मुलाकात हो चुकी है और 1984 सिख विरोध दंगे से जुड़े मामलों में बिना श्रेय लिए विजय गोयल उनकी मदद करते रहे हैं.
1984 के दंगे में खुद फुल्का बाल बाल बच पाए थे और वो सालों से दंगों पीड़ितों की ओर से लड़ते रहे हैं.
याद रहे कि हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को 1984 के सिख दंगों के मामले दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सज़ा सुनाई थी. इस मामले में फुल्का दंगा पीड़ितों के वकील थे.
अरविंद केजरीवाल से अपने निजी संबंधों पर फुल्का ने कहा, "हम हमेशा अच्छे दोस्त थे. आज भी हैं. मैंने पार्टी छोड़ दी है केजरीवाल से दोस्ती नहीं खत्म की है."
पिछले कुछ वक्त से अरविंद केजरीवाल के काम करने के तरीके पर सवाल उठते रहे हैं.
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में उनके साथ रहे कई लोगों के पार्टी से दूरी बनाने के लिए इसी तरीके को ज़िम्मेदार ठहराया जाता रहा है.
फ़ुल्का कहते हैं, "उनका अपना काम करने का तरीका है. वो उस तरीके से काम कर रहे हैं और कामयाब भी हैं…. कुछ गाली गलौज करके निकले. कुछ मेरे जैसे दोस्ती करके, गले मिलकर, आराम से निकले हैं."
केजरीवाल से अपने मतभेदों पर फ़ुल्का ने कहा, "जिस तरह (चुनाव से पहले) दिल्ली से 60-70 पर्यवेक्षकों को वहां पंजाब में भेजे गए मैं उसके खिलाफ़ था. जिस तरह पर्यवेक्षकों ने स्थिति को कंट्रोल करना चाहा, मैं उसके खिलाफ़ था.... मैंने खुद को पार्टी से दूर कर लिया था."
आरोप है दिल्ली से भेजे गए पर्यवेक्षकों ने पंजाब की चुनावी गतिविधियों को नियंत्रण में लेना चाहा और अपने हिसाब से काम किया और ये बात पार्टी के स्थानीय नेताओं को पसंद नहीं आई.
फ़ुल्का कहते हैं, "मैं पार्टी की किसी गतिविधि में नहीं जा रहा था. मैं पार्टी में सिर्फ़ नाम के लिए था. मैं खुद अपने कामों में बिज़ी था. सज्जन कुमार का मामला इतना हावी था कि मेरे पास टाइम ही नहीं था."
भविष्य की गतिविधियों के बारे में फ़ुल्का ने कहा कि उनका लक्ष्य है "शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के राजनीतिकरण" को रोकना.