केजरीवाल जी! अपनी विधायक को छुट्टी दे दीजिए
दिल्ली सरकार के सामने मां बनी विधायक का अनोखा प्रश्न सामने आया है.
दिल्ली के रोहताश नगर विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी की विधायक सरिता सिंह नंवबर के महीने में मां बनीं. दिल्ली विधानसभा का सत्र 15 से 17 जनवरी तक चला. अपने दो महीने के बच्चे के साथ सरिता रोज़ विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने पहुंचती रहीं.
तीन दिन तक चले सत्र में सरिता ने सीलिंग पर हुई चर्चा में भी हिस्सा लिया और प्रश्न काल में भी वैसे ही हिस्सा लिया जैसे पहले लेती आ रही थीं.
दिल्ली विधानसभा में ये पहली बार हुआ है कि कोई महिला विधायक अपने बच्चे के साथ विधानसभा के सत्र में हिस्सा लेने पहुंची हो.
केन्द्र सरकार ने हाल ही में मेटरनिटी बेनिफ़िट (संशोधित) विधेयक 2016 पास किया है, जिसके मुताबिक पहले और दूसरे बच्चे के लिए हर कामकाजी मां को 26 हफ्ते की मेटरनिटी लीव मिलेगी.
तो क्या दिल्ली की विधायक सरिता को ये छुट्टी नहीं मिली?
बीबीसी ने विधायक सरिता सिंह से ये सवाल पूछा तो उनका जवाब था, " एमएलए और एमपी की ऐसी कोई मेटरनिटी लीव नहीं होती है. हम तो जनता के प्रति जवाबदेह हैं. मुझे लगता नहीं कि मुझे ये लीव लेनी चाहिए. छह महीने घर बैठ जाएंगे तो फिर जनता कहां जाएगी."
28 साल की सरिता पहली बार विधायक बनी हैं. अप्रैल 2016 में उनकी शादी हुई और नवंबर 2017 में उनको बेटा पैदा हुआ.
दिल्ली विधानसभा सत्र में हिस्सा लेने जब सरिता अपने बच्चे और देवर के साथ पहुंचीं तो पूरे सत्र में वो चर्चा का विषय बनी रहीं.
इसलिए विधानसभा के नियमों को तोड़ते हुए पहली बार विधानसभा अध्यक्ष ने सरिता सिंह के अटेंडेंट को एमएलए लाउंज में साथ जाने की इजाज़त दे दी.
एमएलए लाउंज में कभी उनके बेटे को विधायक भावना गौड़ प्यार से पुचकारतीं तो कभी विधायक नरेश यादव दुलार करते नज़र आते.
उनका ये कदम पब्लिसिटी स्टंट तो नहीं?
इस सवाल के जवाब में सरिता कहती हैं, ''न मैं काम से समझौता कर सकती हूं और न मैं अपने बच्चे के साथ. इसलिए हर जगह उसे साथ ले कर जाती हूं जिसको जो समझना हो वो समझे.''
सरिता को बेटे को जब दूध पिलाना होता है तो इसके लिए वो दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष राखी बिड़लान के कमरे में जाती हैं.
ऐसा क्यों? क्या दिल्ली विधानसभा में महिला विधायक को बच्चे को दूध पिलाने के लिए कमरा तक नहीं? इस पर सरिता कहती हैं, "नई पार्टी है, कम उम्र में हम विधायक बन गए हैं, पहले इसकी ज़रूरत नहीं हुआ करती थी. अब जब ज़रूरत है, तो हमारी सरकार ज़रूर इस पर ध्यान देगी."
लिखित में है कोई सुविधा?
महिला विधायक की मेटरनिटी लीव, ब्रेस्टफ़ीडिंग जैसी ज़रूरतों पर बीबीसी ने विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल से बात की.
उनके मुताबिक, "विधायकों या सांसदों के लिए मेटरनिटी लीव जैसी कोई सुविधा लिखित में नहीं है."
गोयल आगे कहते हैं, "विधायकों के लिए कोई लीव पॉलिसी नहीं होती. जितनी सरकारी छुट्टियां है बस वही छुट्टियां उन्हें मिलती हैं."
नियमों का हवाला देते हुए गोयल आगे बताते हैं, "अगर छह महीने में विधानसभा का दो सत्र होता है और दोनों में विधायक गैर हाज़िर रहता है तो उसकी सदस्यता रद्द मानी जाती है. लेकिन कोई कारण बता कर लिखित में छुट्टी की अर्ज़ी लगाए तो उस पर विचार किया जा सकता है."
सरिता से हमने यही सवाल पूछा कि क्या उन्होंने मेटरनिटी लीव की मांग की थी?
उनका कहना है, "मैंने खुद छुट्टी के बारे पता करने की कोशिश नहीं की. अब तक असुविधा नहीं हुई. मुझे उम्मीद है आगे भी किसी को ऐसी असुविधा न हो उसके लिए मेरी सरकार ज़रूर सोचेगी."
रामनिवास गोयल ने भरोसा दिलाया कि ब्रेस्टफ़ीडिंग रूम बनाने के लिए जनरल पर्पस कमेटी की बैठक होने वाली है. उसमें इस विषय पर चर्चा की जाएगी ताकि आगे किसी महिला विधायक को ये दिक्कत न आए.
लेकिन देश में ये पहला मौका नहीं है जब कोई विधायक विधानसभा में अपने छोटे बच्चे को लेकर पहुंची हो.
असम से भारतीय जनता पार्टी की विधायक अंगूरलता डेका ने भी विधानसभा में बच्चे को दूध पिलाने के लिए अलग कमरे की मांग की थी.
इससे पहले आरजेडी की राज्यसभा सांसद मीसा भारती भी अपने छोटे बच्चे के साथ राज्यसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने संसद पहुंची थीं.
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विदेशों में भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं.
ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड सीनेटर लारिसा वाटर्स ने संसद में पहली बार बच्चे को स्तनपान करवाकर एक नया इतिहास ही रच दिया था.
ऑस्ट्रेलिया में बाकायदा इसके लिए क़ानून है जिसके तहत महिला सांसद चेंबर में बच्चे को स्तनपान करा सकती हैं.