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मोदी की कार्बन कॉपी बनने की कोशिश कर रहे हैं केजरीवाल, ये रहे सबूत

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नई दिल्ली- 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही अरविंद केजरीवाल ने अपनी नीति बहुत ज्यादा बदलाव लाना शुरू कर दिया था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना साधने से तोबा कर लिया। जब पाकिस्तान के नेता ने पीएम मोदी के लिए उलटी-सीधी बातें कीं तो केजरीवाल ने बिना देर किए उसे जमकर लताड़ लगा दी। चुनाव में भारी जीत के बाद उन्होंने खुद प्रधानमंत्री को शपथग्रहण समारोह में आने का निमंत्रण दिया। लेकिन, व्यस्तता की वजह से प्रधानमंत्री नहीं आए तो भी केजरीवाल ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर दिल्ली के विकास में जुटने जैसी बातें सार्वजनिक मंच से कहीं। उन्होंने ये भी कहा कि विरोधी दलों के नेताओं ने उनपर चुनाव के दौरान चाहे कोई भी टिप्पणी की हो, वह उन सबको माफ करते हैं। अपनी आदत और अपनी राजनीति से केजरीवाल का ये रवैया पूरी तरह विपरीत नजर आ रहा है। ऊपर से उनका बर्ताव अब ऐसा हो गया है, जिसके बाद उनके पुराने साथी भी कहने लगे हैं कि अरविंद ने राजनीति में विरोधियों को पीछे छोड़ने का मोदी मंत्र सीख लिया है। आज ऐसे कई सबूत मौजूद हैं, जिससे जाहिर होता है कि केजरीवाल दरअसल पीएम मोदी की ही सियासी नकल करने की कोशिश करने लगे हैं।

खुद को बदल चुके हैं केजरीवाल

खुद को बदल चुके हैं केजरीवाल

दिल्ली विधानसभा चुनाव में जब भाजपा आम आदमी पार्टी और उसके सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को घेरने की चौतरफा कोशिशों में जुटी थी तो उनमें और उनकी पार्टी में अचानक कई सारे बदलाव नजर आने शुरू हो गए। विरोधियों के मुताबिक एक समय सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान मोदी सरकार से सबूत मांगने वाली पार्टी ने अपनी राजनीति की दिशा मोड़ी और स्कूलों में देशभक्ति का पाठ पढ़ाने का वादा करना शुरू कर दिया। खुद सीएम केजरीवाल की मंदिरों में पूजा-पाठ की तस्वीरें वायरल होनी शुरू हो गईं तो कई टीवी चैनलों पर उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ भी करना शुरू कर दिया। यहां तक कि उन्हें ये कहते भी देर नहीं लगी कि अगर दिल्ली पुलिस उनके हाथ में होती तो शाहीन बाग में सड़क पर कब्जा कर बैठे प्रदर्शनकारियों को भगाने में दो घंटे भी नहीं लगते। तब बीजेपी के नेता गर्व से उछल रहे थे कि अभी तो उसकी वजह से हनुमान जी की भक्ति ही शुरू हुई है, आगे-आगे देखिए होता क्या है? क्योंकि, अभी तक इस तरह की राजनीतिक पूजा-पाठ में भाजपा खुद का ही एकाधिकार समझती रही थी। पीएम मोदी की पूजा-अर्चना की तस्वीरें राष्ट्रीय मीडिया में हमेशा से सुर्खियां बनती रही हैं। नवरात्र में वह नौ दिनों का उपवास रखते हैं, इसकी जानकारी किसे नहीं है? दिल्ली चुनाव में बड़ी जीत के बाद अरविंद केजरीवाल भी हनुमान भक्त केजरीवाल के नाम से मशहूर हो रहे हैं।

शपथग्रहण समारोह में भी दिखा बदलाव

शपथग्रहण समारोह में भी दिखा बदलाव

रामलीला मैदान में तीसरी बार शपथ लेने पहुंचे अरविंद केजरीवाल के साथ मंच पर 50 लोग विशिष्ठ अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। इनमें दिल्ली के आम लोगों को जगह दी गई। कोई ऑटो चलाने वाला था तो कोई रिक्शा चलाने वाला। दिल्ली की स्कूल टीचर, मोहल्ला क्लीनक के डॉक्टर, स्टूडेंट्स यही लोग थे मुख्यमंत्री के विशेष मेहमान। प्रधानमंत्री मोदी समाज के सामान्य से सामान्य लोगों को राष्ट्र निर्माण में विशेष योगदान देने के लिए अपने मंच पर हमेशा सम्मान देते हैं। कई अवसरों पर उन्होंने सार्वजनिक जगहों पर बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद भी लिए हैं, उन्होंने दलितों के पैर भी पखारे हैं, क्योंकि उन्होंने समाज को स्वच्छ रखने में विशेष योगदान दिए हैं। वो बार-बार कहते हैं कि समाज के लिए विशेष योगदान देने वालों से ही उन्हें कार्य करते रहने की प्रेरणा मिलती है। वह अक्सर केंद्रीय योजना के लाभार्थियो से सीधा विडियो कॉन्फ्रेंस करते हैं और उनसे सीधे संवाद करने की कोशिश करते हैं। यही मॉडल अब केजरीवाल भी अपना रहे हैं। उन्होंने शपथग्रहण समारोह में जिन चार लोगों से दिल्ली वालों का परिचय कराया उनमें कोई गरीब परिवार से निकलकर आईआईटी में दाखिला लेने वाला स्टूडेंट था तो कोई मेट्रो चलाने वाली पायलट। केजरीवाल ने डीटीसी बस में मार्शल की भूमिका निभाने वाले एक शख्स की विशेष योगदान के बारे में खुद ही लोगों को जानकारी दी। अगर सियासी टर्म में कहें तो यह व्यवहार नेता को सामान्य आदमी से सीधा कनेक्ट करता है, जिसके मोदी माहिर खिलाड़ी रहे हैं। आज वही कोशिश केजरीवाल भी कर रहे हैं।

ट्रिपकल मोदी मॉडल पर चल रहे हैं केजरीवाल!

ट्रिपकल मोदी मॉडल पर चल रहे हैं केजरीवाल!

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पीएम मोदी की कॉपी कर रहे हैं, ये बात अब उनके पुराने साथी भी मानने लगे हैं। आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और अब राजनीतिक विश्लेष के तौर पर टीवी डिबेट में शामिल होने वाले पूर्व वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने शपथग्रहण के बाद हुए उनके भाषण के बारे में एक चैनल पर बहस के दौरान कहा, "उनका भाषण ट्रिपकल मोदी मॉडल है। जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने 5.5 करोड़ गुजरातियों की बात की। आज के भाषण में वे कहते रहे कि मैं दिल्ली का बेटा हूं , दिल्ली ने कमाल कर दिया दिल्ली...दिल्ली...दिल्ली। जैसे मोदी गुजरात...गुजरात...गुजरात करते थे। कहीं न कहीं केजरीवाल की समझ में आ गया है कि अपनी जो सब-नेशनलिटी वाली जो अस्मिता है, उसी को आप पकड़े रहेंगे तब आप मोदी की तरह से कामयाब रहेंगे। अब उन्होंने जो ये गाना गाया कि हम होंगे कामयाब...(हंसते हुए) मैं ये जानता हूं कि बहुत ही बेसुरा गाते हैं.... लेकिन मुझे लगता है कि इस मौके पर उन्हें वही पुराना वाला गाना गाना चाहिए ...इंसान से इंसान का हो भाईचारा... वो गाना आज की जरूरत है।" केजरीवाल के बारे में अब कांग्रेस का भी नजरिया बदलने लगा है। पार्टी के नेता आचार्य प्रमोद कृष्णन ने उनके रामलीला मैदान वाले भाषण पर ट्वीटर के जरिए ये टिप्पणी की है, "अरविंद केजरीवाल की "बातों" से आज ये बात साफ हो गयी कि वो मोदी 'समर्थक' हों ना हों, लेकिन मोदी 'विरोधी' नहीं हैं।"

'आप' तो बदल गए केजरीवाल

'आप' तो बदल गए केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी में पांच-छह साल पहले और आज की तारीख में काफी बदलाव नजर आ रहा है। अन्ना आंदोलन से निकलकर और अन्ना हजारे को किनारे रखकर बनी पार्टी शुरू से भारत माता की जय और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाती रही थी। लेकिन, अब वंदे मातरम की गूंज भी ज्यादा जोर-शोर से सुनाई देने लगी है। दिल्ली जीतने के बाद केजरीवाल को हनुमान जी याद आए और उन्होंने माना कि दिल्ली पर राम भक्त हनुमान ने कृपा बरसाई है। जानकारी ऐसी भी है कि चुनाव के दिन कई बूथों पर जब भाजपा और आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच भिड़ंत की नौबत आई तो बीजेपी वालों के जय श्रीराम का जवाब 'आप' के कार्यकर्ताओं ने जय हनुमान और जय बजरंगबली के नारों से दिया। कुछ जगह तो जय श्रीराम के नारे लगाए जाने की भी चर्चा है। यानि अब भगवान राम और उनके भक्त की गूंज सिर्फ भाजपा वालों की जागीर नहीं रही, अब दिल्ली के आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता भी उस पर ताल ठोकते नजर आएंगे।

टोपी नहीं सिर पे लगाकर पहुंचे तिलक

टोपी नहीं सिर पे लगाकर पहुंचे तिलक

2013 और 2015 के शपथग्रह के मुकाबले पिछले रविवार को हुआ केजरीवाल का शपथग्रहण समारोह कई मामलों में बहुत ही साधारण रहा। मसलन, न तो कोई रोड शो निकला या न ही मेट्रो की सवारी हुई। यहां तक कि राजघाट की यात्रा भी नहीं की गई। खास बात ये रही कि मुख्यमंत्री ने मंच पर पिछले दो शपथग्रहण की तरह 'मैं हूं आम आदमी' लिखी हुई पार्टी की टोपी भी नहीं लगाई। अलबत्ता, उनके माथे पर 'राज'तिलक साफ नजर आ रहा था। मतलब, वह घर से पूरा पूजा-पाठ करके निकले थे। ये भी शायद मोदी जी का ही असर है, जिनकी दिनचर्या में पूजा-अर्चना हमेशा से शामिल रही है।

सकारात्मक राष्ट्रवाद पर जोर

सकारात्मक राष्ट्रवाद पर जोर

सौफ्ट हिंदुत्व के साथ-साथ केजरीवाल और उनकी पार्टी सकारात्मक राष्ट्रवाद की राह भी चल पड़ी है। गौरतलब है कि बीजेपी और नरेंद्र मोदी की राजनीति का आधार ही हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर टिका है। आरोपों के मुताबिक राजनीति में कदम जमाने के दौरान खुद को कभी कथित तौर पर 'अराजक' बताने वाले अरविंद केजरीवाल ने धीरे-धीरे उसी राह पर कदम बढ़ाना शुरू किया है और इसके लिए भाजपा वाले भी अपनी पीठ यदाकदा थपथपाते नजर आ जाते हैं। देशभक्ति की पाठ को घोषणापत्र में जगह देने के बाद चुनाव नतीजे वाले दिन ही आम आदमी पार्टी ने सकारात्मक राष्ट्रवाद की दिशा में कदम बढ़ाते हुए 'राष्ट्र निर्माण' का कार्यक्रम लॉन्च किया है। पार्टी का दावा है कि 24 घंटे में ही 11 लाख लोग मिस्ड कॉल कैंपेन के जरिए इस मुहिम से जुड़ गए। यह कैंपेन पूरे देश में 23 फरवरी से 23 मार्च के बीच में चलाया जाना है, जिसके तहत पूरे देश में राष्ट्र निर्माण के लिए एक करोड़ लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। यानि जिस राष्ट्र निर्माण की थीम पर मोदी और उनकी पार्टी पिछले 6 वर्षों या उससे भी पहले से बढ़ रही है, उसी के रास्ते आगे बढ़ने की कोशिश में केजरीवाल एंड 'कंपनी' भी जुट गई है। अलबत्ता दावा किया जा रहा है कि यह हार्ड हिंदुत्व को सॉफ्ट हिंदुत्व से और उग्र राष्ट्रवाद को सकारात्मक राष्ट्रवाद से चुनौती देने की एक कोशिश है।

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Comments
English summary
Kejriwal is trying to become a carbon copy of Modi, here is the proof
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